न्यूज डेस्क (मृत्युजंय झा): एकनाथ शिंदे के खेमे को बड़ा झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज (4 अगस्त 2022) चुनाव आयोग (Election Commission) को निर्देश दिया कि वो एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) गुट के असली शिवसेना के तौर पर पहचाने जाने और पार्टी के चुनाव चिन्ह को फिलहाल के लिये देने के अनुरोध पर फैसला न करे।
मामले पर CJI एनवी रमन्ना (CJI NV Ramanna) ने कहा कि- “पीठ मौखिक तौर पर भारत के चुनाव आयोग से कहती है कि फिलहाल शिंदे खेमे द्वारा उन्हें असली शिवसेना (Shiv Sena) पार्टी के रूप में मान्यता देने के लिये उठाये गये दावे पर किसी भी किस्म की शुरूआती कार्रवाई न करें। बेंच ने आदेश में कहा कि ईसीआई उद्धव को उचित स्थगन (Proper Adjournment) दे सकता है। सुप्रीम कोर्ट में मामले की पेंडेंसी को देखते हुए ग्रुप अपना जवाब दाखिल करे”
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हेमा कोहली (Justice Krishna Murari and Justice Hima Kohli) की अगुवाई वाली न्यायिक पीठ अयोग्यता कार्यवाही, अध्यक्ष के चुनाव के संबंध में शिवसेना पार्टी के एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे खेमे (Eknath Shinde and Uddhav Thackeray Camp) से जुड़ी याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही था। पार्टी व्हिप की मान्यता, महाराष्ट्र विधानसभा में शिंदे सरकार के लिये शक्ति परीक्षण, भारत के चुनाव आयोग द्वारा शिंदे की अगुवाई वाले गुट को ‘असली’ शिवसेना के तौर पर मान्यता के लिये किये गये अनुरोध और पार्टी के चुनाव चिन्ह पर दावे से जुड़े मामले भी इस केस के अहम बिंदु है।
बता दे कि शीर्ष अदालत ने पार्टी के भीतर दरार से उपजे ठाकरे और शिंदे के बीच विवाद से जुड़े मामलों में शुरूआती दलीलें सुनीं। एक घंटे से ज़्यादा समय तक दोनों पक्षों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकीलों को सुनने के बाद पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे (Senior Advocate Harish Salve) को और ज़्यादा सफाई से लिखित प्रस्तुतियाँ फिर से तैयार करने को कहा।
गौरतलब है कि शिवसेना पिछले महीने दोफाड़ हो गयी जब पार्टी के दो-तिहाई से ज़्यादा विधायकों ने ठाकरे की अगुवाई वाली महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) से अपना समर्थन वापस ले लिया, शिंदे के साथ कई शिवसैनिकों ने उनका दामन थामा। शिंदे ने 30 जून को भाजपा के समर्थन से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।