बिजनेस डेस्क (राजकुमार): रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट का इज़ाफा किया है। पिछले चार महीनों में ये तीसरी ऐसी बढ़ोत्तरी है। आरबीआई लगातार मुद्रास्फीति (Inflation) पर काबू पाने की कोशिश कर रहा है, जो कि पर्समिसिबिल 6 फीसदी की सीमा के उत्तर में रही है। पिछले दो महीनों में RBI ने रेपो दर में क्रमशः 40 आधार अंक और 50 आधार अंक का सीधा इज़ाफा किया है।
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने प्रमुख उधार दर या रेपो दर को बढ़ाकर 5.40% कर दिया। जिसके चलते स्थायी जमा सुविधा दर और सीमांत स्थायी सुविधा दर को समान मात्रा से बढ़ाकर क्रमश: 5.15% और 5.65% कर दिया गया। आरबीआई के फैसले के बारे में बताते हुए गवर्नर शक्तिकांत दास (Governor Shaktikanta Das) ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति (Consumer Price Inflation) उच्च बनी हुई है और मुद्रास्फीति छह फीसदी के निशान से ऊपर रहने की संभावना है।
दास ने आगे कहा कि अगर मानसून सामान्य रहता है और वैश्विक कच्चे तेल की कीमतें 105 डॉलर प्रति बैरल से ज़्यादा नहीं होती तो वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिये भारत की मुद्रास्फीति संभावित तौर 6.7 प्रतिशत के आसपास बना रहेगा। उन्होंने मंदी (Recession) के जोखिम का भी जिक्र करते हुए कहा कि आईएमएफ (IMF) ने अपने आर्थिक विकास अनुमान को नीचे की ओर संशोधित किया है।
मौजूदा हालातों में भारतीय अर्थव्यवस्था का जिक्र करते हुए उन्होनें कहा कि-“भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) भू-राजनीतिक जोखिमों जैसे वैश्विक कारकों से ठीक उलट विपरीत परिस्थितियों का सामना लगातार कर रही है।”
हालांकि उन्होंने कहा कि भारत का वित्तीय क्षेत्र अच्छी तरह से पूंजीकृत है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) वैश्विक स्पिलओवर के खिलाफ एक तरह से बीमा मुहैया करवाता है।
आरबीआई के इस हालिया ऐलान से पहले बाजार में तेजी का रूख दिखा। एनएसई (NSE) निफ्टी-50 इंडेक्स 0.23% बढ़कर 17,421.35 पर पहुँच गया और S&P BSE सेंसेक्स 0.21% बढ़कर 58,418.86 पर पहुंच गया।
बता दे कि आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछले महीने कहा था कि केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति को कम करते हुए मैक्रोइकॉनॉमिक स्थिरता (Macroeconomic Stability) को बनाये रखने और बढ़ावा देने के लिए नीति को कैलिब्रेट करना जारी रखेगा, जिससे कि आने वाले महीनों में बढ़ती कीमतों से कुछ राहत मिल सकती है।