न्यूज डेस्क (निकुंजा वत्स): हाल ही में संसदीय पैनल (Parliamentary Panel) ने कहा है कि गोद लेने पर एक समान और व्यापक कानून लाने के लिये हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम और किशोर न्याय अधिनियम में सामंजस्य बनाने की खासा जरूरत है। कानून और कार्मिक संबंधी स्थायी समिति ने बीते सोमवार (8 अगस्त 2022) को कहा कि नये कानून में सभी धर्मों और LGBTQ (लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर और क्वीर) समुदाय को शामिल किया जाना चाहिये।
भाजपा (BJP) नेता सुशील मोदी (Sushil Modi) की अध्यक्षता वाले पैनल ने ये भी कहा कि ऐसा कानून ज़्यादा पारदर्शी, जवाबदेह, कम नौकरशाही और धर्म के बावजूद सभी पर लागू होना चाहिये। अभिभावकता और दत्तक कानूनों की समीक्षा पर अपनी रिपोर्ट में स्थायी समिति ने कहा कि हिंदू दत्तक ग्रहण और रखरखाव अधिनियम (HAMA) और किशोर न्याय अधिनियम के अपनी खूबियां और खामियां हैं।
रिपोर्ट पर स्थायी समिति ने आगे कहा कि- “हालांकि हमा के तहत निर्धारित गोद लेने की प्रक्रिया सरल है और जेजे अधिनियम में निर्धारित नियमों के मुकाबले में इसमें कम वक़्त लगता है, जेजे अधिनियम के तहत गोद लेने का प्रावधान पारदर्शी, जवाबदेह और सत्यापन योग्य हैं”
हालांकि कमिटी ने ये भी नोट किया कि किशोर न्याय अधिनियम के तहत बनाये गये एडॉप्शन रेगुलेशन में ज़्यादा देरी के साथ विस्तृत और समय लेने वाली गोद लेने की प्रक्रिया का प्रावधान है। सामने आये हालातों के मद्देनज़र समिति को लगता है कि दोनों कानूनों में सामंजस्य स्थापित करने और गोद लेने पर एक समान और व्यापक कानून लाने की जरूरत है।
नया कानून संस्थागत बच्चों और परिवार के साथ रहने वाले बच्चों के लिये अलग गोद लेने की प्रक्रिया निर्धारित कर सकता है। पैनल ने कहा कि, “रिश्तेदारों द्वारा गोद लेने के मामले में गोद लेने की प्रक्रिया ज़्यादा लचीली और सरल होनी चाहिए और इसमें कम दस्तावेज शामिल होना चाहिये … समिति का मानना है कि नये कानून में एलजीबीटीक्यू समुदाय को भी शामिल किया जाना चाहिये।”