न्यूज डेस्क (आदर्श शुक्ला): सुप्रीम कोर्ट ने स्वयंभू संत आसाराम बापू (Asaram Bapu) की 80 साल से ज़्यादा उम्र और उनकी बिगड़ती सेहत के आधार पर जमानत की मांग वाली याचिका पर गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया। जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सीटी रविकुमार (Justice Ajay Rastogi and Justice CT Ravi kumar) की बेंच ने गुजरात राज्य (Gujarat State) से जवाब मांगा और मामले की सुनवाई 7 सितंबर को तय की। न्यायिक पीठ (Judicial Bench) ने 10 अगस्त को पारित अपने आदेश में कहा कि, “जारी नोटिस 7 सितंबर 2022 को वापस किया जा सकता है।”
आसाराम पर गुजरात के एक पूर्व महिला भक्त ने यौन शोषण (Sexual Exploitation) का आरोप लगाया जिसके बाद से ही वो बलात्कार और ज़बरन बंधक (Rape and Forced Hostage) बनाये रखने के आरोप में हवालात के पीछे सज़ा काट रहे है। अपनी शिकायत में पीड़िता ने आसाराम पर साल 2001 से 2006 के बीच बार-बार यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था, जब वो अहमदाबाद (Ahmedabad) के मोटेरा (Motera) में उनके आश्रम में रह रही थी।
आसाराम ने बलात्कार के मामले में अपनी जमानत याचिका खारिज करने के गुजरात उच्च न्यायालय (Gujarat High Court) के 10 दिसंबर, 2021 के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील दायर की थी। उन्होंने जमानत की मांग करते हुए कहा कि मुकदमे के निष्कर्ष पर पहुंचने के कोई संकेत नहीं हैं। साल 2018 में आसाराम को राजस्थान (Rajasthan) की एक विशेष अदालत उन्हें एक नाबालिग से बलात्कार के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी।
साल 1997 से 2006 के बीच अहमदाबाद के मोटेरा इलाके में बने आसाराम के आश्रम में रहने वाली सूरत (Surat) की दो बहनों ने उनके और उनके बेटे नारायण साईं (Narayan Sai) के खिलाफ अलग-अलग शिकायतें दर्ज करायी थी, जिसमें दोनों पीड़िताओं ने उन दोनों पर बलात्कार और अवैध रूप से बंधक बनाने का आरोप लगाया गया था।
26 अप्रैल 2019 को सूरत की एक अदालत ने नारायण साई को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार), 377 (अप्राकृतिक अपराध), 323 (हमला), 506-2 (आपराधिक धमकी), और 120-बी (साजिश) के तहत दोषी ठहराया। उसे आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सजा सुनायी थी।