नई दिल्ली (शाश्वत अहीर): Independence Day 2022: आज से ठीक 75 साल पहले स्वतंत्रता के मंगलप्रभात का उदय हुआ था। इस परमपावन बेला के इंतज़ार में कई आज़ादी के मतवालों ने अपना खून का भारती के चरणों में अर्पित किया। जिसके बाद कश्मीर (Kashmir) की घाटियों से लेकर कन्याकुमारी (Kanyakumari) के समुद्री किनारे तक और गुजरात (Gujarat) के तटों से लेकर पूर्वोत्तर के घने जंगलों तक आज़ादी की बयार बही थी। शौर्य, शहादत और समर्पण के रंगों में रंगी आज़ादी को इस साल 75 साल पूरे होने को है। इन सालों के दौरान हमें एक लंबा सफर तय किया, कई उतार-चढ़ाव देखे। आज विश्व में हमारी मजूबत मौजूदगी है।
इस मौके पर केंद्र सरकार (Central government) ने आज़ादी के अमृतकाल (Amrit Kaal) की मुहिम छेड़ रखी है। इसके तहत आज़ादी के मतवालों के अनसुने किस्सों को आम लोगों तक पहुँचाया जा रहा है, तिरंगा यात्रा (Tiranga Yatra) निकाली जा रही है, कई इलाकों में प्रभातफेरियां निकाली जा रही है। इस मौके पर आज मंगलमय बेला पर पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित किया, इस दौरान उन्होनें कई पहलूओं को छुआ। आइये जाने उन्होनें देश के लिये क्या संदेश दिया।
Independence Day 2022 के मौके पर पीएम मोदी ने देश को कहीं ये अहम बातें
- मैं विश्व भर में फैले हुए भारत प्रेमियों को, भारतीयों को आजादी के इस अमृत महोत्सव की बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
- न सिर्फ हिंदुस्तान का हर कोना, लेकिन दुनिया के हर कोने में आज किसी न किसी रूप में भारतीयों के द्वारा या भारत के प्रति अपार प्रेम रखने वाला विश्व के हर कोने में ये हमारा तिरंगा आन-बान-शान के साथ लहरा रहा है।
- हिंदुस्तान का कोई कोना, कोई काल ऐसा नहीं था, जब देशवासियों ने सैंकड़ों सालों तक गुलामी के खिलाफ जंग न की हो, जीवन न खपाया हो, यातनाएं न झेली हो, आहुति न दी हो। आज हम सब देशवासियों के लिए ऐसे हर महापुरुष को, हर त्यागी और बलिदानी को नमन करने का अवसर है।
- आज का ये दिवस ऐतिहासिक है। एक पूण्य पड़ाव, एक नई राह , एक नए संकल्प और नए सामर्थ्य के साथ कदम बढ़ाने का ये शुभ अवसर है।
- देश कृतज्ञ है मंगल पांडे, तात्या टोपे, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद, असफाक उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल ऐसे अनगिनत ऐसे हमारे क्रांति वीरों ने अंग्रेजों की हुकूमत की नींव हिला दी थी।
- आजादी की जंग लड़ने वाले और आजादी के बाद देश बनाने वाले भी अनेक महापुरुषों को आज नमन करने का अवसर है।
- कल 14 अगस्त को विभाजन भयावह स्मृति दिवस पर, हमने भारी मन से उन लोगों को याद किया जिन्होंने हमारे तिरंगे के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
- 2014 में देश की जनता ने मुझे जिम्मेदारी दी थी। मैं आजादी के बाद पैदा हुआ पहला व्यक्ति था जिसे लाल किले से लोगों को संबोधित करने का मौका मिला।
- अमृत महोत्सव के दौरान देशवासियों ने देश के हर कोने में लक्ष्यावधि कार्यक्रम किये। शायद इतिहास में इतना विशाल, व्यापक, लंबा एक ही मकसद का उत्सव मनाया गया हो। वो शायद एक पहली घटना हुई है।
- हिंदुस्तान के हर कोने में उन सभी महापुरुषों को याद करने का प्रयास किया गया, जिनको किसी न किसी कारणवश इतिहास में जगह न मिली, या उनकों भुला दिया गया था। आज देश ने खोज खोज कर ऐसे वीरों, महापुरुषों, बलिदानियों, सत्याग्रहियों को याद किया, नमन किया।
- आकांक्षी समाज किसी भी देश की सबसे बड़ी संपत्ति होता है। देश का हर नागरिक चीजों को बदलना चाहता है और बदलाव देखना चाहता है। वे अपनी आंखों के सामने बदलाव देखना चाहते हैं।
- आज जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तो पिछले 75 साल में देश के लिए जीने-मरने वाले, देश की सुरक्षा करने वाले, देश के संकल्पों को पूरा करने वाले चाहे सेना के जवान हों,पुलिसकर्मी हों, जन प्रतिनिधि हों, स्थानीय स्वराज की संस्थाओं के प्रशासक रहे हों।
- आजादी के इतने दशकों के बाद पूरे विश्व का भारत की तरफ देखने का नजरिया बदल चुका है। समस्याओं का समाधान भारत की धरती पर दुनिया खोजने लगी है। विश्व का ये बदलाव, विश्व की सोच में ये परिवर्तन 75 साल की हमारी यात्रा का परिणाम है।
- अमृतकाल का पहला प्रभात Aspirational Society की आकांक्षा को पूरा करने का सुनहरा अवसर है। हमारे देश के भीतर कितना बड़ा सामर्थ्य है, एक तिरंगे झंडे ने दिखा दिया है।
- 75 साल में आज इन सबको और देश के कोटि-कोटि नागरिकों को, जिन्होंने 75 साल में अनेक कठिनाइयों के बीच भी देश को आगे बढ़ाने के लिए अपने से जो हो सका, वो करने का प्रयास किया है, को स्मरण करने का दिन है।
- कोरोना के कालखंड में दुनिया वैक्सीन लेने या न लेने की उलझन में जी रही थी। उस समय हमारे देश लोगों ने 200 करोड़ डोज लेकर दुनिया को चौंका देने वाला काम करके दिखाया।
- आजादी के इतने दशकों बाद पूरे विश्व का भारत की तरफ देखने का नजरिया बदल चुका है। विश्व, भारत की तरफ गर्व और अपेक्षा से देख रहा है। समस्याओं का समाधान भारत की धरती पर, दुनिया खोजने लगी है।
- कोरोना के दौर में दुनिया इस बात को लेकर असमंजस में जी रही थी कि वैक्सीन ली जाए या नहीं। उस समय हमारे देश की जनता ने 200 करोड़ डोज लेकर एक अद्भुत उपलब्धि हासिल की थी।
- अनुभव कहता है कि एक बार हम सब संकल्प लेकर चल पड़ें, तो हम निर्धारित लक्ष्यों को पार कर लेते हैं।
- जिस प्रकार से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनी है, जिस मंथन के साथ बनी है, कोटि-कोटि लोगों के विचार प्रवाह को संकलित करते हुए बनी है। भारत की धरती से जुड़ी हुई शिक्षा नीति बनी है।
- हम खाड़ी देशों के तेल पर अत्यधिक निर्भर थे। हमने पेट्रोल में 10% एथेनॉल मिलाने की योजना बनाई है। ऐसा लगता था कि इसे पूरा करना मुश्किल काम है। हालांकि, हमने समय से पहले ही पेट्रोल के साथ इथेनॉल का सम्मिश्रण हासिल कर लिया था।
- आज विश्व पर्यावरण की समस्या से जूझ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग की समस्याओं के समाधान का रास्ता हमारे पास है। इसके लिए हमारे पास वो विरासत है, जो हमारे पूर्वजों ने हमें दी है।
- आज दुनिया होलिस्टिक हेल्थकेयर की बात कर रही है। जब वे समग्र स्वास्थ्य देखभाल का उल्लेख करते हैं तो वे भारत के योग और आयुर्वेद को देखते हैं। यह वह विरासत है जो हम दुनिया को दे रहे हैं।
- हमने देखा है कि कभी कभी हमारे talent भाषा के बंधनों में बंध जाते हैं। ये गुलामी की मानसिकता का परिणाम है। हमें हमारे देश की हर भाषा पर गर्व होना चाहिए।
- हम वो लोग हैं, जो जीव में शिव देखते हैं, हम वो लोग हैं, जो नर में नारायण देखते हैं। हम वो लोग हैं, जो नारी को नारायणी कहते हैं, हम वो लोग हैं, जो पौधे में परमात्मा देखते हैं। हम वो लोग हैं, जो नदी को मां मानते हैं, हम वो लोग हैं, जो कंकड़-कंकड़ में शंकर देखते हैं।
- आत्मनिर्भर भारत, ये हर नागरिक का, हर सरकार का, समाज की हर एक इकाई का दायित्व बन जाता है। आत्मनिर्भर भारत, ये सरकारी एजेंडा या सरकारी कार्यक्रम नहीं है, ये समाज का जनआंदोलन है, जिसे हमें आगे बढ़ाना है।
- आजादी के अमृत काल के लिए ‘पंच प्रण लेने चाहिये’… 1- विकसित भारत 2- गुलामी के हर अंश से मुक्ति 3- विरासत पर गर्व 4- एकता और एकजुटता 5- नागरिकों का कर्तव्य
- आज विश्व पर्यावरण की समस्या से जूझ रहा है और हमारे पास ग्लोबल वार्मिंग की समस्या का समाधान है। इसके लिए हमारे पूर्वजों द्वारा हमें विरासत में मिली है।
- ये हमारे नौजवान हैं, जो आज नई नई खोज के साथ दुनिया के सामने आ रहे हैं। गुलामी की मानसिकता को हमें तिलांजली देनी पड़ेगी, अपने सामर्थ्य पर भरोसा करना होगा।
- हमारी विरासत पर हमें गर्व होना चाहिए। जब हम अपनी धरती से जुड़ेंगे, तभी तो ऊंचा उड़ेंगे। जब हम ऊंचा उड़ेंगे, तभी हम विश्व को भी समाधान दे पाएंगे।
- हमारा प्रयास है कि देश के युवाओं को असीम अंतरिक्ष से लेकर समंदर की गहराई तक रिसर्च के लिए भरपूर मदद मिले। इसलिए हम स्पेस मिशन, Deep Oce#IndiaAt75an Mission का विस्तार कर रहे हैं। स्पेस और समंदर की गहराई में ही हमारे भविष्य के लिए जरूरी समाधान हैं।
- 75 साल में पहली बार लाल किले से औपचारिक तोपों की सलामी के लिए मेड इन इंडिया गन का इस्तेमाल किया गया है।
- आजादी के 75 साल के बाद जिस आवाज को सुनने के लिए हमारे कान तरस रहे थे। आज 75 साल के बाद वो आवाज सुनाई दी है। 75 साल के बाद लाल किले पर तिरंगे को सलामी देने का काम पहली बार Made In India तोप ने किया है।
- मैं 5-7 साल की उम्र के बच्चों को सलाम करता हूं। मुझे पता चला कि वे विदेश में बने खिलौनों से नहीं खेलना चाहते। ये आत्मनिर्भर भारत का प्रतिबिंब है।
- आज देश की सेना के जवानों का हृदय से अभिनंदन करना चाहता हूं। मेरी आत्मनिर्भर की बात को संगठित स्वरूप में, साहस के स्वरूप में, सेना के जवानों और सेनानायकों ने जिस जिम्मेदारी के साथ कंधे पर उठाया, उनको आज मैं सैल्यूट करता हूं।
- भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह खोखला कर रहा है, उससे देश को लड़ना ही होगा। हमारी कोशिश है कि जिन्होंने देश को लूटा है, उनको लौटाना भी पड़े, हम इसकी कोशिश कर रहे हैं।
- जब मैं भाई-भतीजावाद और परिवारवाद की बात करता हूं, तो लोगों को लगता है कि मैं सिर्फ राजनीति की बात कर रहा हूं। जी नहीं, दुर्भाग्य से राजनीतिक क्षेत्र की उस बुराई ने हिंदुस्तान के हर संस्थान में परिवारवाद को पोषित कर दिया है।
- जय जवान, जय किसान का लाल बहादुर शास्त्री जी का मंत्र आज भी देश के लिए प्रेरणा है। अटल जी ने जय विज्ञान कह कर उसमें एक कड़ी जोड़ दी थी। लेकिन अब अमृत काल के लिए एक और अनिवार्यता है, वो है जय अनुसंधान। जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान।
- पिछले 8 वर्षों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के द्वारा आधार, मोबाइल जैसी आधुनिक व्यवस्थाओं का उपयोग करते हुए, गलत हाथों में जाने वाले 2 लाख करोड़ रुपये को बचाकर उन्हें देश की भलाई में लगाने में हम कामयाब हुए हैं।
- देश के सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं पहली चुनौती – भ्रष्टाचार दूसरी चुनौती – भाई-भतीजावाद, परिवारवाद एक तरफ वो लोग हैं जिनके पास रहने के लिए जगह नहीं है और दूसरी तरफ वो लोग हैं जिनके पास चोरी किया माल रखने की जगह नहीं है। ये स्थिति अच्छी नहीं है।
- ये ठीक है कि चुनौतियां बहुत हैं। अगर इस देश के सामने करोड़ों संकट हैं, तो इतने ही समाधान भी हैं। मेरा 130 करोड़ देशवासियों पर भरोसा है। निर्धारित लक्ष्य के साथ, संकल्प के प्रति समर्पण के साथ जब 130 करोड़ देशवासी आगे बढ़ते हैं, तो हिंदुस्तान 130 कदम आगे बढ़ जाता है।
- हम महिलाओं और बेटियों को जितना अधिक अवसर देंगे, उनके योगदान से हमें उतना ही अधिक लाभ मिलेगा।