न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): बिहार का हालिया झटका भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के लिये अहम सबक लेकर आया है। पूर्व सहयोगी नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने अपनी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) समेत महागठबंधन के साथ अपने हाथ पीछे खींच लिये। भाजपा ने अब साल 2024 के आम चुनावों से पहले बिहार में पार्टी की मौजूदगी का विस्तार करने के लिये विस्तृत रणनीति बनायी है।
केंद्र में अपना शासन बनाये रखने के लिये भाजपा ने साल 2024 में बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 35 जीतने का लक्ष्य रखा है। मौजूदा हालातों में बिहार में बीजेपी के पास 17 लोकसभा सीटें हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जद (यू) के पास 16 सीटें हैं। लोक जनशक्ति पार्टी (Lok Janshakti Party) के पास छह और कांग्रेस (Congress) के पास एक लोकसभा सीट है।
हाल ही में पार्टी के राष्ट्रीय मुख्यालय में मैराथन बैठक हुई थी। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) ने इसकी अध्यक्षता की और गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) जो कि पिछली लोकसभा जीत के सूत्रधार थे, भी मौजूद थे। बैठक में शामिल होने वाले लोगों में राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष, बिहार के सह प्रभारी हरीश द्विवेदी, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, नित्यानंद राय (Nityanand Rai), अश्विनी चौबे, पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, राधा मोहन सिंह, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी, तारकिशोर प्रसाद, रेणु देवी केंद्र और बिहार सरकार में पूर्व मंत्री शाहनवाज हुसैन और बिहार भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल (Sanjay Jaiswal) जैसे बड़े नाम शुमार थे।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि पार्टी के बिहार नेतृत्व को पूरे राज्य में आधार मजबूत करने के साफ निर्देश दिये गये हैं। इस योजना में जद (यू) और राजद की अगुवाई वाले कथित “धोखेबाज” गठबंधन को उजागर करना भी शामिल है।
बिहार भाजपा (Bihar BJP) के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने महागठबंधन को विश्वासघात करार दिया और कहा कि ये लालू राज (Lalu Raj) को पिछले दरवाजे से वापस लाने की सियासी कवायद है। उन्होंने खुलासा किया कि पार्टी हालिया झटके के खिलाफ संसद से सड़क तक आंदोलन करने की योजना बना पर काम किया जा रहा है।
पार्टी ने अब से सिर्फ छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन करने का फैसला किया है ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि उसके विस्तार अभियान में इस तरह की बाधायें न आये।