न्यूज डेस्क (गौरांग यदुवंशी): कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद (Congress leader Ghulam Nabi Azad) ने हाल ही में पार्टी की जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir) समिति के शीर्ष पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) की अगुवाई में पार्टी के भीतर अंदरूनी बगावत शुरू हो गयी है। पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने स्वास्थ्य कारणों के हवाला देते हुए हाल ही में कांग्रेस जम्मू-कश्मीर कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। बता दे कि उन्होनें पद ग्रहण करने के कुछ ही घंटों बाद ही इस्तीफा दे दिया।
हालांकि आजाद ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को इस पद के लिये मौका देने के लिये धन्यवाद दिया, लेकिन सूत्रों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने पद से इस्तीफा दे दिया क्योंकि उन्होंने इसे अपने लिये डिमोशन के तौर पर देखा। गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे के तुरंत बाद कांग्रेस के दो अन्य नेताओं ने कांग्रेस पार्टी में अपना पद छोड़ने का फैसला किया। नवगठित जम्मू-कश्मीर समिति को छोड़ने वाले नेताओं में से एक पूर्व विधायक गुलजार अहमद वानी (Gulzar Ahmed Wani) थे, जो कि आजाद के करीबी सहयोगी हैं।
अपना इस्तीफा देते हुए गुलजार अहमद वानी ने लिखा, “हम नाखुश हैं क्योंकि जम्मू-कश्मीर पीसीसी प्रमुख पर फैसला लेने से पहले वरिष्ठ नेताओं से सलाह नहीं ली गयी। हमने पीसीसी प्रमुख की हालिया घोषणाओं के विरोध में पार्टी की समन्वय समिति से इस्तीफा दे दिया है। मैंने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है।”
पूर्व विधायक हाजी अब्दुल रशीद डार (Haji Abdul Rashid Dar) के बयान के मुताबिक जम्मू-कश्मीर पीसीसी के प्रमुख की नियुक्ति से पहले पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से सलाह नहीं ली गयी, जिससे कांग्रेस पार्टी में इस्तीफे का सिलसिला शुरू हो गया।
गुलाम नबी आजाद कांग्रेस पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं, जिनका जम्मू-कश्मीर में खासा असर है। उन्होंने अतीत में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के तौर पर काम किया है और केंद्रीय मंत्री के साथ-साथ अन्य विभागों में भी पद संभाला है।
पार्टी पद से उनके इस्तीफे ने कांग्रेस पार्टी में पड़ी आंतरिक दरारों को साफ कर दिया, जिससे कई कांग्रेसी नेताओं द्वारा पार्टी शीर्ष प्रबंधन के खिलाफ बगावत हो सकती है जिसमें गांधी परिवार शामिल है।