न्यूज डेस्क (मृत्युजंय झा): बिहार की राजधानी पटना (Patna in Bihar) से आज (22 अगस्त 2022) हिंसक तस्वीर सामने आयी, जहां सैकड़ों प्रदर्शनकारी कई मांगों को लेकर इकट्ठा हुए थे। पुलिस ने हालातों को काबू करने के लिये लाठीचार्ज और वाटर कैनन (Lathi Charge and Water Cannon) का सहारा लिया। हंगामे के बीच कथित तौर पर पटना एडीएम ने जमीन पर गिरे एक प्रदर्शनकारी को बेरहमी से पीटा। पिटने वाले प्रदर्शनकारी के हाथ में तिरंगा था। इस वायरल वीडियो के सामने आने के बाद से लोगों में काफी गुस्सा देखा गया।
युवा प्रदर्शनकारी को जमीन पर लुढ़कते और दर्द से रोते हुए देखा जा सकता है। इस दौरान वो राष्ट्रीय ध्वज को ऊंचा रखता है। मामले पर बिहार में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की अगुवाई वाली सरकार को बाहर भीतर दोनों ही मोर्चों पर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। महागठबंधन के एक सहयोगी राज्य कांग्रेस के प्रवक्ता असित नाथ तिवारी (State Congress spokesperson Asit Nath Tiwari) ने दावा किया कि ये अधिकारी अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट केके सिंह (Additional District Magistrate KK Singh) थे, जिन्होनें इस अमानवीय हरकत को अंज़ाम दिया।
असित नाथ तिवारी ने कहा कि- “अधिकारी केके सिंह हैं, जो उच्च पद वाले अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट हैं। कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने बिहार के लोगों से कहा था कि वो जमकर बर्तन पीटे तब ही अनाज़ के लिये उनकी आवदेन पर विचार किया जायेगा। हम समझ सकते थे कि युवक पथराव या किसी भी तरह की हिंसा में शामिल था। लेकिन तिरंगा उठाने वाले युवक की पिटाई नहीं जानी चाहिये थी। उससे किसी को कोई खतरा नहीं था। ये पूरी तरह अस्वीकार्य है और संबंधित अधिकारी को दंडित किया जाना चाहिये।”
बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अमित मालवीय (BJP’s national media in-charge Amit Malviya) ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि पुलिस प्रदर्शनकारियों को अमानवीय तरीके से पीट रही है, जबकि सीएम 20 लाख नौकरियों की बात करते हैं।
इस बीच पटना के जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह (Patna District Magistrate Chandrashekhar Singh) ने कहा है कि आरोपों की जांच और वीडियो फुटेज की जांच के लिये दो सदस्यीय जांच टीम का गठन कर दिया गया है। समिति दो दिनों में अपनी रिपोर्ट देगी और उसके मुताबिक आगे कार्रवाई की जा सकती है। आज प्रदर्शन के दौरान डाक बंगला क्रॉसिंग पर परेशानी हुई, जहां प्रदर्शनकारियों के 2 अलग-अलग गुट जिनमें वो उम्मीदवार शामिल थे जिन्होंने शिक्षक पात्रता परीक्षा पास की थी और नौकरी की तलाश कर रहे थे और दूसरा गुट जन अधिकार पार्टी के कार्यकर्ताओं का था। उन्होंने राजभवन की ओर जाने की कोशिश की जो कि मौके से कुछ ही किलोमीटर दूर है।
डीएम चंद्रशेखर सिंह ने आगे कहा कि- “ये बहुत बड़ी भीड़ थी जिसे डाक बंगला क्रॉसिंग (Dak Bungalow Crossing) से आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती थी। हल्का बल प्रयोग किया गया क्योंकि उन्होंने प्रस्ताव के बावजूद तितर-बितर होने से इनकार कर दिया। प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों को मंजूरी दी थी कि वो पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल और मजिस्ट्रेट के साथ राजभवन (Raj Bhavan) का दौरा कर सकते है और मांगों को लेकर ज्ञापन सौंप सकते है।”