न्यूज डेस्क (समरजीत अधिकारी): साल 2002 में गुजरात दंगों (Gujarat Riots) के दौरान बिलकिस बानो गैंगरेप (Bilkis Bano Gang Rape) के दोषी 11 लोगों की रिहाई का विरोध करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज (25 अगस्त 2022) गुजरात सरकार को जवाब देने का आदेश दिया। स्वतंत्रता दिवस पर गुजराती सरकार ने पुरानी छूट नीति के तहत इन अपराधियों को रिहा किया, जिसके बाद बड़े पैमाने पर राजनीतिक आक्रोश फैल रहा है।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है, “सवाल ये है कि गुजरात के नियमों के तहत दोषी छूट के हकदार हैं या नहीं? हमें देखना होगा कि इस मामले में छूट देते समय दिमाग लगाया गया था या नहीं।”
साल 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो गुजरात के कई मुस्लिम परिवारों में से एक थी, जिन्होंने राज्य छोड़ने की कोशिश की थी। 3 मार्च को 20-30 पुरूषों के एक गुट ने बानो और उसके परिवार पर हंसियों, तलवारों और लाठियों से हमला किया, जब वो परिवार के कुछ अन्य सदस्यों और अपनी 3 साल की बेटी के साथ एक खेत में छिपी हुई थी।
दंगों के दौरान बिलकिस बानो पांच महीने की गर्भवती थी। बानो के परिवार पर हमला करने वाले दंगाइयों ने उसकी 3 साल की बेटी समेत परिवार के सात सदस्यों की मौके पर ही हत्या कर दी, जबकि हमलावरों ने उसके साथ गैंग रेप किया।
बीते मंगलवार (23 अगस्त 2022) को प्रधान न्यायाधीश एनवी रमन्ना (Chief Justice NV Ramanna), न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार (Justice C T Ravikumar) की पीठ ने गोधरा (Godhra) के बाद हुए कुख्यात दंगों के मामले में दोषियों को छूट देने के फैसले के खिलाफ वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और वकील अपर्णा भट (Advocate Kapil Sibal and Advocate Aparna Bhat) द्वारा किये गये दावों पर ध्यान दिया। जो कि मौजूदा वक़्त में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं।