कल (29 अगस्त 2022) से पूरे बगदाद (Baghdad) में कर्फ्यू लगा हुआ है और इराक (Iraq) में हिंसा की नयी लहर के बाद से मध्य पूर्वी मुल्क में हालात काबू से बाहर हो रही है। देश छह दशकों से लगातार खूनखराबा था और उसे कभी भी खुद को स्थिर करने का मौका नहीं मिला। हाल की घटनाओं से पता चलता है कि इराक के मौजूदा हालात दो बहुसंख्यक शिया हथियारबंद गुटों के बीच एक और गृहयुद्ध की ओर ले जायेगें।
मौजूदा संकट हालांकि एकाएक नहीं आया। अक्टूबर 2021 के इराकी संसदीय चुनावों के तुरंत बाद जब सत्ता के लिये संघर्ष ने दो बहुसंख्यक शिया समूहों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा कर दिया था, तो इसके स्पष्ट संकेत दिखाई दे रहे थे। जबकि एक गुट का नियंत्रण मुक्तदा अल-सदर (Muqtada Al-Sadr) ने किया था, दूसरा गुट जो कि ईरान के खेमे वाला है, पूर्व प्रधान मंत्री नूरी-ए-मलिकी (Noori-e-Maliki) के नियंत्रण में है।
हालांकि मौजूदा संकट के केंद्र में रहने वाले शख़्स मुक्तदा-अल-सदर था। ये 2021 के चुनावों के बाद बगदाद में सत्ता पर वार्ता के नाकाम होने के बाद शुरू हुआ और मुक्तदा-अल-सदर ने 29 अगस्त 2022 को राजनीतिक जीवन से अपनी रूखसती की ऐलान किया। इसके तुरंत बाद उनके समर्थकों ने बगदाद के “ग्रीन जोन” पर धावा बोल दिया और संपत्तियों को तबाह कर दिया साथ ही सरकारी महल पर कब्जा कर लिया। इस सैन्य कार्रवाई में कई लोग मारे गये थे। इसके एक दिन के बाद हिंसा कर्बला (Karbala), बसरा और बसरा में उम्म क़सर बंदरगाह से सटे इलाकों तक फैल गयी, जिससे इराक के एकमात्र गहरे पानी के बंदरगाह के सभी रास्ते बंद हो गये।
मौजूदा संकट को समझने के लिये मुक्तदा-अल-सदर के कद को समझना बेहद जरूरी है। वो इराक में सबसे प्रभावशाली राजनेता थे, जो मेहदी सेना के कमांडर रहे हैं, वो इराक में बड़े इलाके पर नियंत्रण रखने वाली एक मजबूत मिलिशिया (Militia) है। चूंकि इराक शिया बहुल देश है, इसलिए सदर का कद मजबूत है। उनकी ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 26 फरवरी 2016 को उन्होंने बगदाद के प्रतिष्ठित “ताहिर स्क्वायर” में एक विरोध प्रदर्शन की अगुवाई की थी, जिसमें दस लाख से ज़्यादा लोग शामिल हुए। ठीक उसी साल 18 मार्च को उनके समर्थकों ने भी ताकत दिखाने के लिये बगदाद के ग्रीन जोन में धावा बोल दिया।
इराक में हाल के संसदीय चुनावों के बाद सदर की पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, हालांकि वो सरकार बनाने के आंकड़े और आम सहमति हासिल करने में नाकाम रही और इसलिये आज तक पुरानी कार्यवाहक सरकार उनके भरोसेमंद मुस्तफा अल-कदीमी (Mustafa Al-Kadhimi) के तहत काम कर रही है। जबकि ईरान समर्थित गुट लगातार मजबूत हो रहा था, मुक्तदा-अल-सदर ने नये चुनावों की मांग की, ये अनुमान लगाते हुए कि विपक्ष सत्ता पर कब्जा कर सकता है और गृहयुद्ध की धमकी देकर देश को अपनी ओर मोड़ने की कोशिश कर रहा है।
मुक्तदा-अल-सद्र संयुक्त राज्य अमेरिका के कट्टर विरोधी के तौर पर जाने जाते है और पहले खाड़ी युद्ध (Gulf War) के बाद से ही वो वाशिंगटन (Washington) के रडार पर रहे है। वो इस तथ्य का समर्थन कर रहे थे कि इराक शिया बहुल ईरान और सुन्नी बहुल सऊदी अरब (Saudi Arab) के बीच मध्यस्थ कराने का काम कर सकता है, जो अमेरिकी हुकूमत के लिये नुकसानदेह हो सकता है और शायद यही वज़ह है कि 7 सितंबर 2019 को हथियारबंद ड्रोन (Armed Drone) ने बगदाद में उनके घर को निशाना बनाया हालांकि अल – सदर इस हमले में बच गये।
मौजूदा हालातों पर बात करते हुए हमें प्रमुख शिया मौलवी अयातुल्ला कदीम अल-हेयरी (Shia cleric Ayatollah Kadim al-Hairy) को नहीं भूलना चाहिए। कदीम-अल हैरी और मुक्तदा-अल सद्र दोनों शिया मौलवी मोहम्मद बाकिर-अल सद्र के उत्तराधिकारी होने का दावा करते रहे हैं, जिन्होंने खुद को मुहम्मद साहब (Muhammad sahib) का वंशज और उनकी सोच का वारिसदार बताया था। हालांकि अल-हैरी 1970 से निर्वासन में ईरान में रह रहे थे, फिर भी इराक की शिया आबादी के बीच उनके समर्थकों की एक बड़ी तादाद थी। यहां तक कि बड़ी संख्या में अल-सदर के समर्थक भी उनका अनुसरण करते रहे हैं।
कदीम-अल हैरी ने 29 अगस्त 2022 को ट्वेल्वर शिया समुदाय से अपनी स्वैच्छिक रिटायरमेंट का ऐलान किया और अपने सभी समर्थकों से गुज़ाऱिश की कि वो मुक्तादा-अल सद्र के बजाय सर्वोच्च ईरानी नेता अली होसैनी खामेनेई (Supreme Iranian leader Ali Hosseini Khamenei) को अपना समर्थन देने का वादा करे। अल-हैरी के इस फैसले की आलोचना करते हुए कुछ घंटों के भीतर नाराज़ अल-सद्र ने अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया।
इन सभी घटनाओं के बाद मोकतदा-अल सदर को लगता है कि उभरते हालातों से इराक में शिया बहुल सरकार बन सकती है, जिसमें ईरान का सीधा दखल होगा। ये ऐसी चीज है जिससे वो बचना चाहेंगे। पूर्व प्रधान मंत्री नूरी अल-मलिकी की अगुवाई वाला गठबंधन मजबूत हो रहा है और ईरान के समर्थन वाला ब्लॉक लगातार मजबूत हो रहा है। इस ब्लॉक के नियंत्रण में मिलिशिया भी हथियारबंद है और उन्हें ईरान से लगातार भारी समर्थन मिल रहा है। उन्हें ईरान द्वारा जंगी हथियारों, आर्टिलरी और यहां तक कि सशस्त्र ड्रोन की सप्लाई की जाती है।
ऐसे में अल-सदर के सामने सिर्फ एक ही विकल्प बचता है और वो है देश में अपने समर्थकों को गृहयुद्ध के लिये तैयार करें। इस कदम से शासन से घुटने पर लाकर नये सिरे चुनाव करवाये जा सकते है। ऐसे में इराक में फिलहाल के हालातों में गृहयुद्ध और हिंसा भड़काने पर्याप्त संभावनायें दिखती है।