न्यूज डेस्क (प्रियंवदा गोप): कुछ समय पहले नूपुर शर्मा प्रकरण (Nupur Sharma Case) के बाद धर्म के नाम पर हत्याओं, हमलों और धमकियों में आये इज़ाफे ने देश को हिंसा के किनारे पर ला खड़ा। हाल ही में झारखंड के दुमका (Dumka of Jharkhand) में सोनाली फोगट (Sonali Phogat) की सनसनीखेज मौत और एक नाबालिग हिंदू लड़की को सिरफिरे आश़िक द्वारा जिंदा जलाये जाने से देश में आक्रोश का माहौल है।
पिछले साल मुंबई (Mumbai) के पास हिरेन मनसुख (Hiren Mansukh) और धनबाद (Dhanbad) में एक जज की हत्या ने सुर्खियां बटोरी थीं। असल में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB- National Crime Records Bureau) के मुताबिक साल 2021 में कुल 29,272 हत्या के मामले दर्ज किये गये थे। ये तादाद साल 2020 में 29,193 और एक साल पहले 28,915 से थोड़ी ज़्यादा है। कुल पीड़ितों की तादाद 30,132 है, यानि कि कि आंकड़ों के हिसाब से हर दिन 82 से ज़्यादा हत्यायें रोजाना हुई। इन पीड़ितों में 1,402 नाबालिग और 8,405 महिलाएं शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 3,717 हत्यायें हुईं, इसके बाद बिहार (2,799) और महाराष्ट्र (2,330) दूसरे तीसरे पायदान पर रहे। प्रति लाख जनसंख्या पर अपराध दर 1.6, 2.3 और 1.9 थी, जबकि राष्ट्रीय औसत 2.1 था। बड़े राज्यों में झारखंड (4.1) और हरियाणा (3.8) में अपराध दर सबसे ज़्यादा थी।
ये लगातार तीसरा साल था, जब दर्ज हत्या के मामलों में यूपी, बिहार और महाराष्ट्र (UP, Bihar and Maharashtra) टॉप पर रहे। लेकिन पहले दो मामलों में कुल मामलों में थोड़ी गिरावट आयी, लेकिन महाराष्ट्र के मामले में ऐसा नहीं था। साल 2019 में यूपी में 3,806 हत्या के मामले देखे गये; बिहार में 3,138 मामले; और महाराष्ट्र में 2,142 मामले सामने आये।
यहां तक कि दिल्ली में लगातार तीसरे साल भी क्राइम कैपिटल के तौर पर अपनी स्थिति बरकरार रखी। साल 2021 में मुंबई (162) और चेन्नई (161) से बहुत आगे सरपट दौड़ते हुए दिल्ली में हत्या के 454 मामले दर्ज किये गये। साल 2019 के बाद से दिल्ली में 1,420 हत्याओं के मामले दर्ज किये गये, यानि कि मौ टेतौर पर हर 10 दिनों में 13 हत्यायें हुई। साल 2020 की शुरुआत में दिल्ली में तीन दशकों में सबसे भीषण दंगे हुए, जिसमें 50 से ज़्यादा मौतें हुईं।
साल 2021 में मेट्रो शहरों में कुल 1,955 हत्या के मामले दर्ज किये गये। साल 2020 के मुकाबले में 5.7 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई (1,849 मामले)। मुख्य उद्देश्य विवाद (849 मामले), व्यक्तिगत दुश्मनी (380 मामले) और प्रेम संबंध (122 मामले) थे। राष्ट्रीय स्तर पर मुख्य उद्देश्य विवाद (9,765 मामले), प्रतिशोध (3,782 मामले) और लाभ (1,692 मामले) से जुड़े मामले थे।