न्यूज डेस्क (शाश्वत अहीर): प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (2 सितम्बर 2022) कोच्चि में कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (Cochin Shipyard Limited) में नयी नौसेना पताका ‘निशान’ का अनावरण किया। इसके साथ ही भारतीय नौसेना का निशान ब्रिटिश औपनिवेशिक पहचान से मुक्ति पा गया। नया निशान समृद्ध भारतीय समुद्री विरासत के अनुरूप है। इसका अनावरण स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) की कमीशनिंग के दौरान प्रधान मंत्री ने किया।
नौसेना पताका के झंडे हैं जो कि नौसेना के जहाजों की राष्ट्रीयता बताते है। पुराना भारतीय नौसेना का झंड़े में सेंट जॉर्ज क्रॉस (St. George’s Cross) शामिल था, जिसकी सफेद पृष्ठभूमि पर लाल क्रॉस था। क्रॉस के एक कोने में आज़ादी मिलने के साथ ही यूनियन जैक (Union Jack) की जगह तिरंगा लगाया गया था।
आजादी के बाद से भारतीय नौसेना का झंड़ा कई बार बदल जा चुका है। साल 2001 में ही सेंट जॉर्ज क्रॉस को हटा दिया गया था और भारतीय नौसेना (Indian Navy) के निशान को कोने पर जोड़ा गया। साल 2004 में क्रॉस के चौराहे पर भारत के प्रतीक के साथ क्रॉस को फिर से वापस रखा गया।
INS Vikrant की कमीशनिंग के मौके पीएम मोदी ने कहीं ये खास बातें
• आज यहाँ केरल (Kerala) के समुद्री तट पर भारत, हर भारतवासी, एक नए भविष्य के सूर्योदय का साक्षी बन रहा है। INS विक्रांत पर हो रहा ये आयोजन विश्व क्षितिज पर भारत के बुलंद होते हौसलों की हुंकार है।
• विक्रांत विशाल है, विराट है, विहंगम है। विक्रांत विशिष्ट है, विक्रांत विशेष भी है। विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है। ये 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
• यदि लक्ष्य दुरन्त हैं, यात्राएं दिगंत हैं, समंदर और चुनौतियाँ अनंत हैं- तो भारत का उत्तर है विक्रांत। आजादी के अमृत महोत्सव का अतुलनीय अमृत है विक्रांत आत्मनिर्भर होते भारत का अद्वितीय प्रतिबिंब है विक्रांत।
• आज भारत विश्व के उन देशों में शामिल हो गया है, जो स्वदेशी तकनीक से इतने विशाल एयरक्राफ्ट कैरियर (Aircraft Carrier) का निर्माण करता है। आज INS विक्रांत ने देश को एक नए विश्वास से भर दिया है, देश में एक नया भरोसा पैदा कर दिया है।
• INS विक्रांत के हर भाग की अपनी एक खूबी है, एक ताकत है, अपनी एक विकासयात्रा भी है। ये स्वदेशी सामर्थ्य, स्वदेशी संसाधन और स्वदेशी कौशल का प्रतीक है। इसके एयरबेस में जो स्टील लगी है, वो स्टील भी स्वदेशी है।
• छत्रपति वीर शिवाजी महाराज (Chhatrapati Veer Shivaji Maharaj) ने इस समुद्री सामर्थ्य के दम पर ऐसी नौसेना का निर्माण किया, जो दुश्मनों की नींद उड़ाकर रखती थी। जब अंग्रेज भारत आए, तो वो भारतीय जहाजों और उनके जरिए होने वाले व्यापार की ताकत से घबराए रहते थे।
• इसलिए उन्होंने भारत के समुद्री सामर्थ्य की कमर तोड़ने का फैसला लिया। इतिहास गवाह है कि कैसे उस समय ब्रिटिश संसद में कानून बनाकर भारतीय जहाजों और व्यापारियों पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए।
• आज 2 सितंबर, 2022 की ऐतिहासिक तारीख को, इतिहास बदलने वाला एक और काम हुआ है। आज भारत ने, गुलामी के एक निशान, गुलामी के एक बोझ को अपने सीने से उतार दिया है। आज से भारतीय नौसेना को एक नया ध्वज मिला है।
• अब तक भारतीय नौसेना के ध्वज पर गुलामी की पहचान बनी हुई थी। लेकिन अब आज से छत्रपति शिवाजी से प्रेरित, नौसेना का नया ध्वज समंदर और आसमान में लहराएगा।
• विक्रांत जब हमारे समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा के लिए उतरेगा, तो उस पर नौसेना की अनेक महिला सैनिक भी तैनात रहेंगी समंदर की अथाह शक्ति के साथ असीम महिला शक्ति, ये नए भारत की बुलंद पहचान बन रही है।
• अब इंडियन नेवी ने अपनी सभी शाखाओं को महिलाओं के लिए खोलने का फैसला किया है। जो पाबन्दियाँ थीं वो अब हट रही हैं। जैसे समर्थ लहरों के लिए कोई दायरे नहीं होते, वैसे ही भारत की बेटियों के लिए भी अब कोई दायरे या बंधन नहीं होंगे।
• बूंद-बूंद जल से जैसे विराट समंदर बन जाता है। वैसे ही भारत का एक-एक नागरिक ‘वोकल फॉर लोकल’ के मंत्र को जीना प्रारंभ कर देगा, तो देश को आत्मनिर्भर बनने में अधिक समय नहीं लगेगा।
• पिछले समय में इंडो-पैसिफिक रीज़न और इंडियन ओशन (Indo-Pacific Region and Indian Ocean) में सुरक्षा चिंताओं को लंबे समय तक नजरअंदाज किया जाता रहा। लेकिन आज ये क्षेत्र हमारे लिए देश की बड़ी रक्षा प्राथमिकता है। इसलिए हम नौसेना के लिए बजट बढ़ाने से लेकर उसकी क्षमता बढ़ाने तक हर दिशा में काम कर रहे हैं।