न्यूज डेस्क (यर्थाथ गोस्वामी): हर साल 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Pooja) मुख्य तौर पर भारतीय राज्यों कर्नाटक, असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा (Uttar Pradesh and Tripura) में मनायी जाती है। ये दिन भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है, जिन्हें बिश्वकर्म भी कहा जाता है। इस दिन श्रद्धालु अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, कार्यस्थलों, कारखानों और कार्यालयों में विश्वकर्मा पूजा करते हैं।
विश्वकर्मा पूजा वास्तुकार, भगवान विश्वकर्मा के जन्म के अवसर पर मनायी जाती है। ऋग्वेद (Rigveda) में उन्हें यांत्रिकी और वास्तुकला के विज्ञान के ज्ञान प्रदात्ता के साथ विश्व का वास्तुकार जाना गया है। किंवदंतियों के अनुसार उन्होंने द्वारकापुरी (Dwarkapuri) के पवित्र शहर का निर्माण किया, जहां भगवान कृष्ण (Lord Krishna) ने शासन किया था और पांडवों की माया सभा भी बनायी। भगवान विश्वकर्मा ने देवताओं के लिये कई शानदार हथियारों का भी निर्माण किया।
विश्वकर्मा पूजा 2022: तिथि
विश्वकर्मा पूजा उस दिन की याद में मनायी जाती है, जिस दिन भगवान विश्वकर्मा अवतरण हुआ था, जो कि कन्या संक्रांति का दिन है (जब सूर्य कन्या राशि में प्रवास करते है)। इस साल भी श्रद्धालु 17 सितंबर को ये त्यौहार मनायेगें।
विश्वकर्मा पूजा 2022 का शुभ मुहूर्त इस साल 17 सितंबर को सुबह 7:36 बजे है।
विश्वकर्मा पूजा 2022: महत्व
हर साल 17 सितंबर को श्रद्धालु अपने कारखानों और औद्योगिक इकाइयों में पूजा का आयोजन करते हैं। इस दिन कारखाने और दुकान के मालिक अपने क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करने के लिये पूजा कर भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद लेते है। इस दिन सभी इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट की पूजा की जाती है।
विश्वकर्मा पूजा 2022: पूजन विधि
कार्यस्थल पर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा स्थापित की जाती है। कुछ लोग अपनी मशीनरी को भगवान विश्वकर्मा के अवतार के तौर पर पूजते हैं। कई जगहों पर इस दिन को मनाने के लिये यज्ञ का भी आयोजन किया जाता है।
कैसे मनाते हैं लोग विश्वकर्मा पूजा?
लोग आमतौर पर पूजा से पहले स्नान करते हैं। श्रद्धालु अपने मन में भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का स्मरण करने के बाद एक मंच पर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या छवि रखते हैं। परंपरा के हिस्से के तौर पर दाहिने हाथ में फूल लिया जाता है। इसके बाद हाथों में अक्षत लेकर सिद्ध मंत्रों का पाठ किया जाता है। पूरे कमरे में अक्षत छिड़कें और फूल को पानी में छोड़ दें।
अपने दाहिने हाथ पर रक्षा सूत्र या कलावा बांधे और भगवान विश्वकर्मा का मानस स्मरण करे हैं। पूजा के बाद यंत्र को जल, फूल और मिठाई अर्पित करें। पूजा पूरी करने के लिये यज्ञ करें।