Pitru Paksha: मान्यता है कि दान से पितरों की आत्मा को संतृष्टि मिलती है, कालसर्प दोष और पितृ दोष (Kaal Sarp Dosh and Pitra Dosh) भी खत्म होता है। प्राचीनकाल में तो कई तरह के दान किये जाते थे जैसे गौ-दान, भूमिदान, स्वर्ण दान और चांदी दान लेकिन कलियुग में ये तो संभव नहीं है। श्राद्ध पक्ष में अन्न दान तो करते ही हैं लेकिन इसके अलावा कई अन्य तरह के दानों का भी प्रावधान है, जिनका फल अमोघ प्रभाव देता है, इससे जातक की कई समस्यायें स्वत: समाप्त हो जाती है, साथ ही सभी पितृ पूरी तरह से संतुष्ट होकर पितृलोक (Pitruloka) की ओर वापसी करते है।
‘ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु अद्य यथोक्त गुण विशिष्ट तिथ्यादौ… गौत्र… नाम ममस्य पितरानां दान जन्य फल प्राप्त्यर्थं क्रियामाण भगवत्प्रीत्यर्थं गौनिष्क्रय/ भूमि निष्क्रय द्रव्य वा भवते ब्राह्मणाय सम्प्रददे।’…
इन दानों में गौ-दान, भूमि दान, तिल दान, स्वर्ण दान, घृत दान, धान्य दान, गुड़ दान, रजत दान और लवण दान शामिल है।
1. जूते-चप्पल का दान
पूर्वजों के निमित्त और उनकी आत्मा शांति हेतु जूते या चप्पलों का दान करने से पितरो प्रसन्न होते हैं। मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से घर में सुख-शांति और खुशहाली आती है। शनि और राहु दोष (Rahu Dosha) भी समाप्त हो जाता है।
2. वस्त्र दान
जिसे भी भोजन कराया जा रहा है, उसे जूते चप्पल के अलावा वस्त्रों का दान भी करना चाहिये। वस्त्र दान में धोती, टोपी या उत्तरीय (गमछा) दिया जाता है। कहते हैं कि पितर अपने वंशजों से वस्त्र की भी कामना आदि करते हैं।
3. छाता दान
श्राद्ध-कर्म में और मनुष्य की मृत्यु के बाद एकादशाह श्राद्ध (ग्यारहवें दिन) में शय्यादान के अन्तर्गत छाता और जूता दान करने की प्रथा है। मान्यता है कि यममार्ग में पितरों की छाते से ही ग्रीष्म के ताप और बारिश से रक्षा होती है। ये भी कहा जाता है कि इससे पितरों की छत्र छाया जातकों पर बनी रहती है।
4. काले तिल का दान
काले तिलों का दान करने से से जातकों को ग्रह और नक्षत्र बाधा से मुक्ति तो मिलती है ही साथ ही ये दान संकट, विपदाओं से रक्षा करता है। तर्पण करने के दौरान ये कार्य किया जाता है।
5. घी दान
गाय का घी पात्र समेत दान करने से गृह क्लेश नहीं होता और पारिवारिक जीवन खुशहाल हो जाता है।
6. गुड़ दान
इसे पितरों को विशेष संतुष्टि प्राप्त होती है। इससे घर में सुख-शांति का वातावरण बना रहता है। ऐसा करने से गृह-क्लेश भी दूर होता है। घर में लक्ष्मी (Maa Laxmi) का वास होता है।
7. धान्य दान
इसमें किसी अनाज, दाल, चावल या आटे आदि का दान किया जाता है। इससे वंश वृद्धि में किसी भी तरह की रुकावट नहीं होती है।
8. नमक का दान
नमक का दान करने से प्रेत बाधा और बुरी आत्माओं से मुक्ति मिलती है।
9. चांदी या स्वर्ण का दान
स्वर्ण दान करने से सूर्य और गुरू संबंधी बाधा के अलावा रोगों से मुक्ति मिलती हैं। वहीं चांदी दान करने से चंद्र ग्रह संबंधी बाधा दूर होती है और परिवार में शांति, सुख एवं एकता बनी रहती है। स्वर्ण के अभाव में पीतल या दक्षिणा दे सकते हैं और चांदी के अभाव में कोई सफेद वस्तु दान कर सकते हैं।
10. गौ-दान
इस दान को करने से मुक्ति की प्राप्ति होती है। जातक इस दान को संकल्प से प्रतीकात्मक रूप से भी कर सकता है।
11. भूमि दान
भूमि दान की जगह एक गमले में पौधा लगाकर भी दान किये जाने का आजकल प्रचलन है।
12. मान्न दान
श्राद्ध में जो लोग भोजन कराने में अक्षम हों, वो आमान्न दान देते हैं। आमान्न दान अर्थात् अन्न, घी, गुड़, नमक भोजन में इस्तेमाल होने वाली वस्तुयें इच्छानुसार मात्रा में दी जाती हैं। श्राद्ध का भोजन 4 लोगों को खिलाये ब्राह्मण, कुत्ते, गाय और कौये। खास ध्यान रखें कि सूतक में ब्राह्मण को भोजन नहीं कराना चाहिये। सिर्फ गाय को रोटी दें।