बिजनेस डेस्क (राजकुमार): डेबिट और क्रेडिट कार्ड (Debit And Credit Cards) के लिये ऑनलाइन पेमेंट के नियम 1 अक्टूबर 2022 से बदल जायेगें, क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI- Reserve Bank of India) के कार्ड-ऑन-फाइल (CoF) टोकन नियम लागू हो गये हैं। नए नियमों से पेमेंट एक्सपीरियंस में सुधार और कार्डहोल्डर्स को ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचने की खासा उम्मीद है। आरबीआई के नये टोकन दिशानिर्देशों की समय सीमा 1 जुलाई से लागू होने वाली थी, लेकिन इसे बढ़ाकर 30 सितंबर कर दिया गया।
क्या हैं क्रेडिट और डेबिट कार्ड के नये नियम?
साल 2021 में केंद्रीय बैंक ने मर्चेंट साइटों (Merchant Sites) को ग्राहकों के कार्ड विवरण (कार्ड नंबर, एक्सपायरी डेट) को सहेजने पर पाबंदी लगा दी और टोकन को अपनाने को अनिवार्य कर दिया क्योंकि कई संस्थाओं के साथ कार्ड डिटेल्स की उपलब्धता से कार्ड डेटा चोरी या गलत इस्तेमाल होने का खतरा काफी बढ़ जाता है।
क्या है टोकनाइजेशन?
टोकनाइजेशन (Tokenization) सेंसिटिव डेटा को ‘नॉन- सेंसिटिव’ डेटा में बदलने का प्रोसेस है जिसे टोकन कहा जाता है। ये टोकन डेबिट या क्रेडिट कार्ड होल्डर्स के 16-अंकीय खाता संख्या को डिजिटल क्रेडेंशियल (Digital Credential) में बदल देते हैं, जिसे चोरी या दुबारा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। कुल मिलाकर आपका डेटा टोकन में तब्दील कर दिया जाता है। जब कार्ड के डिटेल्स एन्क्रिप्टेड (Encrypted) तरीके से सहेजे जाते हैं तो धोखाधड़ी या छेड़छाड़ किये गये डेटा का जोखिम कम हो जाता है।
अब तक 19.5 करोड़ टोकन जारी किये जा चुके हैं और ज़्यादातर बड़े व्यापारियों ने पहले ही आरबीआई के कार्ड-ऑन-फाइल (सीओएफ) टोकननाइजेशन मानदंडों का अनुपालन किया है।
कस्टमर्स पर किस तरह पड़ेगा असर?
एक दुकानदार को अपने पूरे कार्ड का विवरण देना होगा जब वो कुछ खरीदेंगे। एक बार जब ग्राहक किसी चीज़ को खरीदना करते हैं तो व्यापारी टोकनाइजेशन शुरू कर देगा और कार्ड को टोकन करने के लिये सहमति मांगेगा। एक बार सहमति दिये जाने के बाद व्यापारी कार्ड नेटवर्क को अनुरोध भेज देगा।
कार्ड नेटवर्क (Card Network) एक टोकन बनायेगा, जो कि 16-अंकीय कार्ड नंबर के लिये प्रॉक्सी के तौर पर काम करेगा और इसे व्यापारी को वापस भेज देगा। कारोबारी इस टोकन को भविष्य के लेन-देन के लिये सहेज लेगा। अब उन्हें अप्रूवल देने के लिये पहले की तरह सीवीवी और ओटीपी (CVV and OTP) दर्ज करना होगा।