न्यूज डेस्क (शाश्वत अहीर): कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश (Karnataka Education Minister BC Nagesh) ने सरकारी स्कूलों में भगवद गीता को उनकी नैतिक शिक्षा कक्षाओं में शामिल करने की सरकार की योजना को बरकरार रखा। मंत्री ने ये भी कहा कि भगवद गीता (Bhagavad Gita) धार्मिक पुस्तक नहीं है और ये किसी भी धार्मिक प्रथाओं को बढ़ावा नहीं देती है, लेकिन कुरान (Quran) धार्मिक पुस्तकों में से एक है। उन्होंने कहा कि भगवद् गीता छात्रों को नैतिक शिक्षा के लिए प्रेरित करती है और यहां तक कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गीता की शिक्षाओं ने बहुत से लोगों की मदद की है।
बीसी नागेश ने आगे कहा कि, “कुरान धार्मिक किताब है। जबकि गीता धार्मिक पुस्तक नहीं है। ये भगवान की पूजा या किसी धार्मिक प्रथा की बात नहीं करती है। ये नैतिक बात है और छात्रों को प्रेरित करती है। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भी लोगों गीता से प्रेरणा मिली।”
बता दे कि सोमवार (19 सितम्बर 2022) को बीसी नागेश ने कहा था कि बसवराज बोम्मई (Basavaraj Bommai) की अगुवाई वाली कर्नाटक सरकार स्कूलों में मोरल लेक्चर के तौर पर भगवद गीता को पेश करने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि, “एक समिति पहले से ही इस पर काम कर रही है और हमारी योजना इस साल दिसंबर से इसे लागू करने की है। हालांकि ये पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं है और इन शिक्षाओं पर आधारित कोई परीक्षा नहीं होगी।”
गौरतलब है कि सीएम बोम्मई ने मार्च 2022 में कहा था कि राज्य सरकार राज्य में कक्षा छह से 10 तक के छात्रों के लिये स्कूलों में नैतिक शिक्षा के हिस्से के तौर पर भगवद गीता को शामिल करने पर विचार कर रही है। इस बीच कांग्रेस (Congress) नेता और पूर्व सीएम सिद्धारमैया (Siddaramaiah) ने कहा कि सरकार का ध्यान छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने पर होना चाहिए।
मामले पर सिद्धारमैया ने कहा कि- “छात्रों को स्कूलों में भगवद गीता, कुरान या बाइबिल (Bible) पढ़ाया जा सकता है लेकिन सरकार की प्राथमिकता स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने पर होनी चाहिये। ये प्राथमिक आदर्श वाक्य होना चाहिये। हमारी पार्टी को पवित्र पुस्तक को स्कूलों मे नैतिक शिक्षा के रूप में पढ़ाने में कोई आपत्ति नहीं है।”