पिछले कुछ दिनों में सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों और बार-बार पुलिस की कार्रवाई में एक दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत के साथ ईरान (Iran) में हिजाब के खिलाफ महिला क्रांति ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। जिस देश में हिजाब न पहनने पर सख्त सजा का प्रावधान है, वहां ईरान की महिलाओं ने सभी परंपराओं, रूढ़ियों और वर्जनाओं को तोड़ा है और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
हिजाब पहनने में थोड़ी सी गलती पर पुलिस हिरासत में एक महिला की मौत ने पूरे देश को गुस्से से भर दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ईरान में एक युवती को पुलिस ने सिर्फ उसके दो बाल दिखने पर के लिये हिरासत में ले लिया। ईरान की नैतिक पुलिसिंग (Moral Policing) के मुताबिक ये नियमों के खिलाफ था। हिरासत में लिये जाने के बाद युवती की कथित तौर पर मौत हो गयी।
ईरान में हिजाब के खिलाफ नफरत इतनी बढ़ गयी है कि महिलाओं ने सार्वजनिक तौर पर अपने बाल कटवाकर और हिजाब जलाकर अपनी कड़ी नाराजगी जाहिर की है। हिजाब, शरिया कानून (Sharia Law) और ईरानी नैतिकता पुलिस के खिलाफ महिलाओं के समर्थन में पुरूष भी आगे आये हैं।
ईरान में पिछले 7 दिनों से विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। देश के 80 से ज्यादा शहरों में हिजाब विरोधी आंदोलन लगातार जारी है। ईरानी सरकार भी इन प्रदर्शनों को दबाने के लिये सख्त कार्रवाई कर रही है। अब तक 17 से ज़्यादा प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है।
ईरान में पुलिस हिजाब विरोधी प्रदर्शन में शामिल लोगों को पकड़ने के लिये घर-घर जाकर गिरफ्तारियां कर रही है। विरोध को दबाने के लिये ईरानी सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर, फेसबुक, टेलीग्राम और यूट्यूब पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। ईरान में मौजूदा हिजाब विरोधी प्रदर्शन 2019 के बाद से सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन बताया जा रहा है, जो कि ईंधन की कीमतों की वज़ह से हुआ था।
महसा अमिनी (Mahsa Amini) नाम की युवा लड़की की मौत के बाद, जिसे ईरान में हिजाब नियमों के तहत हिरासत में लिया गया था, अमेरिकी समाचार चैनल सीएनएन ने इब्राहिम रायसी (Ibrahim Raisi) को एक इंटरव्यूह के लिए आमंत्रित किया। लेकिन इब्राहिम रायसी ने शर्त रखी थी जो हिजाब को लेकर ईरान के सख्त नियम और विचार प्रक्रिया को दिखाती थी।
ईरानी राष्ट्रपति रायसी ने इंटरव्यू देने वाली महिला पत्रकार क्रिस्टीन (Female Journalist Christine) को हिजाब पहनकर इंटरव्यू लेने के लिये कहा, महिला पत्रकार क्रिस्टीन ने इस मांग को नज़रअंदाज़ कर दिया और इस इंटरव्यू को रद्द करना पड़ा। क्रिस्टीन ने तब रायसी को याद दिलाया कि उनके पत्रकारिता करियर के दौरान आजतक किसी ईरानी राष्ट्रपति ने कभी ऐसी मांग नहीं की।
ईरान की सरकार महिलाओं पर अपने शरिया कानून थोपने पर अड़ी है। लेकिन ईरानी महिलायें हिजाब विरोधी प्रदर्शनों में सरकार के अत्याचारों को सहकर भी अपने अधिकारों के लिये आवाज बुलंद रही हैं। हिजाब विरोधी प्रदर्शनों के दौरान ईरान से सामने आनी वाली तस्वीर मन को झकझोर देने वाली है, इन तस्वीरों में सुरक्षा बलों को बिना किसी रोक-टोक के महिला प्रदर्शनकारियों पर बड़ी ही बेरहमी से नकेल कसते हुए दिखाया गया हैं।
ईरान इस्लामिक गणतंत्र (Islamic Republic) देश है जो कि शरिया कानून के अन्तर्गत काम करता है। ईरान में तयशुदा ड्रेस कोड के तहत 7 साल से ऊपर की सभी लड़कियों और महिलाओं के लिये हिजाब पहनना जरूरी है। ऐसा न करने पर शरिया कानून के तहत कोड़े मारने का भी प्रावधान है। सरकार हर कीमत पर महिलाओं पर हिजाब कानून थोपना चाहती है। इसलिए इसके भारी विरोध के बावजूद सरकार इससे पीछे नहीं हटना चाहती है।
ईरानी सामाजित कार्यकर्ताओं का मानना है कि ईरानी सरकार लाठी-बंदूक के दम पर महिलाओं की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है। ईरानी सरकार हिजाब के बारे में क्या सोचती है, इसकी सबसे बड़ी मिसाल ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी की सोच से सामने आयी।
विरोध के बीच महसा अमिनी का परिवार देश में नैतिकता पुलिस के खिलाफ सख्त कार्रवाई और उनकी बेटी की मौत की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहा है।