नई दिल्ली (समरजीत अधिकारी): कांग्रेस पार्टी (Congress Party) के ‘एक व्यक्ति, एक पद के नियम’ का पालन करते हुए राज्यसभा (Rajya Sabha) में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने आज (1 अक्टूबर 2022) इस्तीफा दे दिया, इससे काफी हद तक साफ हो जाता है कि उनको पूरा भरोसा है कि वो 17 अक्टूबर को कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनावों में वो शशि थरूर (Shashi Tharoor) को हरा देगें। भले ही उनके इस्तीफे की खबर सामने आने के बाद से कई नाम सामने आये और कभी लगा कि पी.चिदंबरम और दिग्विजय सिंह (P.Chidambaram and Digvijay Singh) कथित तौर पर इस दौड़ में सबसे आगे हैं।
नामांकन दाखिल करने के आखिरी दिन बीते शुक्रवार (30 सितम्बर 2022) को दिग्विजय सिंह इस दौड़ से बाहर हो गये क्योंकि ये साफ हो गया कि उनके वरिष्ठ मल्लिकार्जुन खड़गे ये चुनाव लड़ेंगे। झारखंड (Jharkhand) के केएन त्रिपाठी (KN Tripathi) तीसरे कांग्रेसी हैं जिन्होंने नामांकन दाखिल किया है, लेकिन उन्हें इस त्रिकोणीय मुकाबले में गंभीर चुनौती नहीं माना जा रहा है।
82 विधायकों ने अशोक गहलोत के पक्ष में अपनी मजबूत लामबंदी दिखायी। गहलोत खेमे को डर था कि सीएम कुर्सी पर सचिन पायलट (Sachin Pilot) के आने से उनकी स्थिति पर खासा असर पड़ेगा। इन विधायकों द्वारा इस्तीफा देने की धमकी के बाद कांग्रेस की अध्यक्ष पद की दौड़ से अशोक गहलोत हट गये, जिसके बाद दक्षिण भारत के दलित कांग्रेली नेता खड़गे का नाम आगे किया गया। कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम पर एकमत राय रखते है।
खड़गे के नामांकन को एके एंटनी, अंबिका सोनी, मुकुल वासनिक (Mukul Wasnik) और जी-23 गुट के सदस्यों ने अपना समर्थन दिया, जिसमें आनंद शर्मा, भूपिंदर हुड्डा, पृथ्वीराज चव्हाण और मनीष तिवारी (Prithviraj Chavan and Manish Tewari) शामिल है। थिंक टैंक थरूर के लिये पार्टी का भीतरी समर्थन कम है। हालांकि उन्होंने अपने इरादे साफ कर दिये हैं कि वो इन चुनावों में निष्पक्ष जोरआज़माइश करना चाहते है।
हाल ही में शशि थरूर ने कहा था कि वो बतौर नेता खड़गे का सम्मान करते हैं और उनके साथ चुनावी मुकाबला असल में दोस्ताना लड़ाई होगी।
आज थरूर अपने चुनावी अभियान की शुरूआत की जिसके तहत वो महाराष्ट्र (Maharashtra) में दीक्षाभूमि स्मारक का दौरा करेंगे। वो वहां श्रद्धांजलि देंगे जहां बीआर अंबेडकर (BR Ambedkar) ने साल 1956 में बौद्ध धर्म ग्रहण किया था।
रविवार (2 अक्टूबर 2022) को थरूर सुबह 9 बजे वर्धा (Vardha) में महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के सेवाग्राम आश्रम (Sevagram Ashram) जायेगें और बाद में पवनार (Pawnar) में विनोबा भावे (Vinoba Bhave) के आश्रम जायेगें। वो दोपहर 12.45 बजे तक नागपुर (Nagpur) लौटेंगे और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं, पार्टी की राज्य इकाई के सदस्यों और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे।
17 अक्टूबर को होने वाले चुनाव में 9,100 से ज्यादा प्रतिनिधि वोट डालने के पात्र हैं। नतीज़ों का ऐलान 19 अक्टूबर को किया जायेगा। आशावादी नज़रिये के बावजूद थरूर की राह कठिन है। भले ही गांधी परिवार (Gandhi Family) ने थरूर को चुनाव में तटस्थता का आश्वासन दिया हो, लेकिन खड़गे को गांधी परिवार बेहद करीबी माना जाता है और मतदाता इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं।
खड़गे राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के भी काफी करीब हैं। वो गांधी परिवार के वफादार हैं और सबसे ज्यादा संभावना है कि वो किसी भी मामले में उनका विरोध नहीं करेंगे। कांग्रेस के सभी रैंकों और काडर में भी उनका काफी सम्मान है। दूसरी ओर शशि थरूर जी-23 के उन लोगों में शुमार है, जिन्होनें सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को धमाकेदार खत पर साइन करके सनसनी मचा दी थी। इस प्रकरण को गांधी परिवार के खिलाफ विद्रोह माना गया। हालांकि बाद में शशि थरूर ने जी-23 से दूरी बना ली।
बता दे कि शशि थरूर के समर्थन में जी-23 और बाकी के कांग्रेसी नहीं है। हालांकि उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी ने उनसे कहा था कि आंतरिक चुनाव लड़ने के लिये उनका खुला स्वागत है। माना जा रहा है कि खड़गे को पार्टी प्रमुख बनाना एक मजबूरी है क्योंकि सोनिया गांधी थरूर पर भरोसा नहीं करेंगी।