बिजनेस डेस्क (राजकुमार): बीते गुरूवार अमेरिकी बॉन्ड में आये इजाफे से निवेशकों के जोखिम से बचने और कच्चे तेल की मजबूत कीमतों के कारण रूपया 16 पैसे गिरकर अमेरिकी डॉलर (U.S. Dollar) के मुकाबले 82.33 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया। आज (7 अक्टूबर 2022) सुबह 9.30 बजे रूपया 81.89 के अपनी पिछली वैल्यू से 0.5 प्रतिशत नीचे था, जो कि बीते कारोबारी दिन 82.30 डॉलर पर कारोबार कर रहा था। दिन की शुरुआत 82.19 से करने के बाद मुद्रा की कीमत 82.33 पर पहुँच गयी।
गुरूवार को पहली बार भारतीय रुपये का बंद भाव अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 82 से नीचे था। अमेरिकी डॉलर के लिहाज से दिन के आखिर में ये 55 पैसे गिरकर 82.17 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ। कच्चे तेल की कीमतों में तेजी ने व्यापार घाटे के फिर से उभरने की चिंता पैदा कर दी है। अमेरिकी दरों में ज्यादा समय तक रहने से पूंजी खाते को मदद नहीं मिल पा रहा है। ये कारक रुपये को अनुकूल बनाने के लिये चल रहे हैं और ऐसा लगता है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI- Reserve Bank of India) रिजर्व खर्च करने में ज्यादा सावधान हो गया है।
112.10 पर डॉलर इंडेक्स जो छह अलग-अलग करेंसियों के मुकाबले डॉलर की ताकत को मापता है, 0.14 प्रतिशत कम कारोबार कर रहा था। तेल की बढ़ती कीमतों और इस साल से आगे ब्याज दरों को बढ़ाने के लिये आक्रामक अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) के दबाव से रूपये में गिरावट जारी रहेगी, जो ताकतवर डॉलर के मुकाबले अपने रिकॉर्ड निचले स्तर के करीब कारोबार कर रहा है।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रूपये का समर्थन करने के लिये विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) को बेचना जारी रखने के बावजूद आज रूपया इस साल के अपने मूल्य का लगभग 10 फीसदी खो चुका है और रूपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गया है, जो कि डालर के मुकाबले 82.33 रूपये दर्ज किया गया।
पिछले हफ्ते आरबीआई की चौथी सीधी ब्याज दर वृद्धि की घोषणा ने रूपये को मामूली राहत दी, लेकिन तेल की बढ़ती लागत और निर्यात में मंदी की वज़ह से बढ़ते कारोबारी अंतर के कारण मुद्रा में गिरावट आयी है।
बीते बुधवार (5 अक्टूबर 2022) को सऊदी अरब (Saudi Arab) की अगुवाई में तेल कार्टेल द्वारा की गयी गंभीर उत्पादन कटौती ने ब्रेंट क्रूड वायदा को तीन हफ्ते के उच्च स्तर 93.99 डॉलर प्रति बैरल पर ला खड़ा किया है।
बता दे कि भारत अपनी तेल जरूरतों का 80 फीसदी से ज्यादा आयात करता है, कच्चे तेल की कीमतों में इजाफे से देश की मुद्रास्फीति की समस्यायें और चालू खाता घाटा (सीएडी) बढ़ जायेगा। डॉलर गुरूवार को डूबा कुछ जोखिम लेने और कमोडिटी कॉम्प्लेक्स (Commodity Complex) को बढ़ावा देने के लिये, जहां तेल तीन हफ्ते में अपने उच्चतम स्तर के पास कारोबार कर रहा था।