टेक डेस्क (यामिनी गजपति): आगामी अंतरिक्ष मिशनों के लिये पर्ड्यू विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के साथ विकसित नासा (NASA) की इस तकनीक के बदौलत धरती पर सिर्फ पांच मिनट में इलेक्ट्रिक वाहन को चार्ज किया जा सकता है, जो ज्यादा से ज्यादा लोगों को इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने के लिये प्रोत्साहित कर सकता है। नासा के मुताबिक पर्ड्यू यूनिवर्सिटी (Purdue University) की चार्जिंग केबल की क्षमता 2,400 एम्पीयर है, जो इलेक्ट्रिक ऑटोमोबाइल को चार्ज करने में लगने वाले समय को सिर्फ पांच मिनट तक कम करने के लिये जरूरी 1,400 एम्पीयर से बहुत ज्यादा है।
फ्लो बॉयलिंग एंड कंडेनसेशन एक्सपेरिमेंट (FBCE- Flow Boiling and Condensation Experiment) को नासा के बायोलॉजिकल एंड फिजिकल साइंसेज डिवीजन (Division of Biological and Physical Sciences) की अगुवाई वाली टीम और इस्साम मुदावर के अगुवाई वाली टीम के जरिये डेवलप किया गया था, ताकि अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS- International Space Station) पर लंबी अवधि की माइक्रोग्रैविटी में टू फेज फ्लूइड फ्लो और हीट ट्रांसफर एक्सपेरिमेंट को किया जा सके।
दूसरे तरीकों के मुकाबले ये नई “सबकूल्ड फ्लो बॉयलिंग” तकनीक हीट ट्रांसमिशन (Heat Transmission) की काबिलियत में खासा इज़ाफा करती है और इसका इस्तेमाल भविष्य की स्पेस सिस्टम के तापमान को रेगुलेट करने के लिये किया जा सकता है। धरती पर भी ये तकनीक बेहद उपयोगी है; खासतौर से ये इलेक्ट्रिक वाहन में होने वाली इलैक्ट्रिक फ्लो की दर का बढ़ा सकता है।
फिलहाल ईवी चार्जिंग समय बहुत ज्यादा है, सड़क के बगल में बने चार्जिंग स्टेशन पर 20 मिनट से लेकर होम चार्जर पर घंटों तक। जो लोग इलेक्ट्रिक वाहन (Electric Vehicle) के मालिक होने के बारे में सोच रहे हैं, उन्होंने लंबी चार्जिंग अवधि और चार्जिंग प्वाइंट्स को लेकर बड़ी चिंता जाहिर की है।
इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिये चार्जिंग समय को पांच मिनट तक कम करने के कारोबारी टारगेट को हासिल करने के लिये चार्जिंग सिस्टम को 1,400 amps पर करंट देने की जरूरत होगी। मुदावर की टीम ने नासा एफबीसीई टेस्टिंग के जरिये खोजे गये “सबकूल्ड फ्लो बॉयलिंग” सिद्धांतों को इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने की प्रक्रिया के लिये कम्पेटबल किया है।
मुदावर की टीम ने जो तकनीक तैयार की है वो 24.22 किलोवाट तक की गर्मी को हटाकर बाजार में अब तक के सबसे तेज इलेक्ट्रिक वाहन चार्जर को 4.6 गुना सप्लाई देने की काबिलियत पैदा कर सकती है। इस नई तकनीक के इस्तेमाल से वाहन को चार्ज करने के लिये जरूरी वक्त में खासा कमी आयी है और दुनिया भर में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिये महत्वपूर्ण बाधाओं में से एक को दूर कर सकता है।