चीन की कम्युनिस्ट पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी कांग्रेस की सबसे बड़ी बैठक बीते रविवार (16 अक्टूबर 2022) को शुरू हो गयी और ये 22 अक्टूबर तक चलेगी। इस बैठक में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) के तीसरी बार राष्ट्रपति चुने जाने की पुख्ता संभावना है।
इस बैठक में भारतीय सैनिकों और चीनी सैनिकों के बीच हुई गलवान झड़प (Galwan Skirmish) का वीडियो दिखाया गया। कम्युनिस्ट पार्टी की इस बैठक में मिलिट्री कमांडर ‘क्यूई फाबाओ’ भी शामिल हुए हैं। जून 2020 में गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ झड़प में क्यूई फैबाओ (Qi Fabao) घायल हो गये थे।
इस वीडियो में क्यूई फैबाओ को भारतीय सेना (Indian Army) की ओर बढ़ते हुए दिखाया गया है। दरअसल इस वीडियो को चीनी सेना (Chinese Army) ने झड़प की शुरूआत में रिकॉर्ड किया था, और बाद में इसे सोशल मीडिया पर शेयर भी किया गया। चीन हमेशा गलवान के बारे में झूठ बोलता है। इस खूनी झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गये थे, जबकि 38 चीनी सैनिक नदी में बह गये थे, हालांकि चीन हमेशा कहता रहा है कि उसके सिर्फ चार सैनिक मारे गये।
दरअसल जिनपिंग ने इस वीडियो को प्रोपेगेंडा के तहत दिखाया। वीडियो एक बड़े वीडियो का एक छोटा सा हिस्सा था। गलवान में चीनी सेना की हार जिनपिंग के लिये बड़ा झटका था, जो इस मुद्दे पर लगातार अपनी पार्टी के निशाने पर रहे हैं। इसलिये जब भी गलवान में चीन की हार का मुद्दा उठता है तो जिनपिंग को अपनी कुर्सी पर खतरा नजर आता है।
गलवान संघर्ष में चीन की हार के बारे में जिनपिंग बार-बार झूठ बोल सकते हैं, लेकिन सच्चाई चीन की जनता, जिनपिंग की कम्युनिस्ट पार्टी (Communist Party) और पूरी दुनिया को पता है।
इस हार के बाद जिनपिंग को पार्टी के भीतर बार-बार विरोध का भी सामना करना पड़ा। इसलिये जिनपिंग गलवान संघर्ष पर अपनी जीत का प्रचार प्रसार करते रहे हैं। चुनाव में जिनपिंग के तीसरी बार राष्ट्रपति चुने जाने की संभावना है। हालांकि जिनपिंग अपनी जीत में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। इसलिये जीत को पूरी तरह से तय करने के लिये प्रोपेगेंडा वीडियो का इस्तेमाल किया गया।
इससे पहले जिनपिंग ने अपनी हार की शर्म को मिटाने के लिये क्यूई फाबाओ को ‘सीमा की रक्षा के लिये हीरो रेजिमेंटल कमांडर’ की उपाधि से सम्मानित किया। इस साल की शीतकालीन ओलंपिक (Winter Olympics) मशाल भी क्यूई फैबाओ को सौंपी गयी। भारत ने भी इसका कड़ा विरोध किया था।
कई वैश्विक अखबारों ने ये भी दावा किया कि गलवान संघर्ष में चीन को भारी नुकसान हुआ। ऑस्ट्रेलियाई अखबार द क्लैक्सन ने इस साल फरवरी में संघर्ष के मामले में एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि गलवान झड़प में 38 चीनी सैनिक मारे गये थे। दिलचस्प ये है कि गलवान मामले पर जिनपिंग ने एक ब्लॉगर को 8 महीने की सजा मुकर्रर की, जिसने गलवान में मरे चीनी सैनिकों की सही तादाद को उजागर किया था।