नई दिल्ली (शाश्वत अहीर): राहुल गांधी (Rahul Gandhi) बुधवार (19 अक्टूबर 2022) को उस समय मीम बनाने वालों के निशाने पर आ गए जब उन्होंने आधिकारिक घोषणा से पहले अनजाने में कांग्रेस के संगठनात्मक चुनावों के नतीजे घोषित कर दिये। अब पार्टी वायनाड (Wayanad) के सांसद के बचाव में स्पष्टीकरण लेकर साममे आयी है। राहुल गांधी जिन पर रिमोट कंट्रोल के जरिये पार्टी को नियंत्रित करने का आरोप लगाया गया था, ने आधिकारिक घोषणा से पहले मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) को नये कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में चुनावी नतीज़ो का खुलासा किया।
उनसे पूछा गया कि नये कांग्रेस अध्यक्ष (Congress President) के तहत पार्टी में उनकी क्या भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि ये फैसला खड़गे को करना है। उन्होंने कहा “मैं कांग्रेस अध्यक्ष की भूमिका पर टिप्पणी नहीं कर सकता, ये श्री खड़गे (पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार) पर टिप्पणी करने के लिये है। अध्यक्ष तय करेंगे कि मेरी भूमिका क्या है …,”
जब राहुल गांधी ये बयान दे रहे थे तो, उस दौरान चुनाव की मतगणना जारी थी। ट्विटर पर गलती के लिए ट्रोल किये जाने के बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश (JaiRam Ramesh) ने सफाई जारी की। उन्होंने कहा कि जब तक राहुल गांधी ने बयान दिया था तो ये साफ हो चुका था कि खड़गे चुनाव जीतेंगे। मीडिया में गलत खबरें आयी हैं कि राहुल गांधी ने दोपहर करीब 1 बजे अदोनी में शुरू हुई अपनी प्रेस वार्ता के दौरान खड़गे जी को कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर घोषित किया। तथ्य ये है कि प्रेस मीट शुरू होने से पहले मतदान की दिशा बिल्कुल साफ हो चुकी थी।
बता दे कि खड़गे ने शशि थरूर (Shashi Tharoor) को भारी अंतर से हराया। थरूर ने कहा था कि गांधी परिवार जो दो दशकों से ज्यादा समय तक कांग्रेस के शीर्ष पर रहे, अब वो पार्टी में तटस्थ रहेंगे।
हालांकि अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) समेत कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने खड़गे के लिये अपने खुले समर्थन का ऐलान किया, जो कि गांधी के दृढ़ वफादार है। इस महीने की शुरूआत में पार्टी छोड़ने वाले गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने अपने धमाकेदार इस्तीफे में राहुल गांधी को अपरिपक्व बताया और कहा कि वो रिमोट कंट्रोल के जरिये कांग्रेस पार्टी को चलायेगें।
भाजपा (BJP) अक्सर कांग्रेस को वंशवाद वाली पार्टी कहती रही है। जनता के बीच विश्वास बहाली के लिये गांधी परिवार ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिये खुला चुनाव कराने की बात कही और खुद को इन आंतरिक चुनाव के अलग रखा। साथ ही गांधी परिवार ने दावा किया था कि वो इन चुनावों में किसी भी उम्मीदवार का समर्थन और सिफारिश नहीं करेगें। खड़गे दो दशकों बाद पहले गैर-गांधी कांग्रेस अध्यक्ष हैं।