एजेंसियां/न्यूज डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के मुद्दों पर भारत के विरोध के बावजूद पाकिस्तान और चीन ने अफगानिस्तान में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का विस्तार करने की योजना पर आगे बढ़ने का फैसला किया है। CPEC चीन की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का अहम हिस्सा है, जिसका मकसद चीन के पुराने कारोबारी रास्ते सिल्क रूट को फिर से बहाल करना है।
भारत ने लगातार 60 बिलियन अमरीकी डालर वाली इस परियोजना का विरोध किया है, जो बलूचिस्तान (Balochistan) में पाकिस्तान के दक्षिणी ग्वादर बंदरगाह (South Gwadar Port) को चीन के पश्चिमी शिनजियांग (Western Xinjiang) से जोड़ता है और ये पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है। पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ (Shahbaz Sharif) की बीजिंग की आधिकारिक दौरे के दौरान चीन ने बीते बुधवार (2 अक्टूबर 2022) को पाकिस्तान को देश की स्थायी आर्थिक और रणनीतिक परियोजनाओं के लिये अपने लगातार समर्थन का आश्वासन दिया।
पाकिस्तान के प्रधान मंत्री कार्यालय (पीएमओ) के मुताबिक, बीजिंग में पीपुल्स ग्रेट हॉल में शहबाज शरीफ के साथ बैठक के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Chinese President Xi Jinping) और प्रीमियर ली केकियांग (Li Keqiang) ने ये प्रतिबद्धतायें ज़ाहिर कीं। मामले पर चीनी विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि- “दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान की विदेशी वित्तीय संपत्तियों को आज़ाद करने समेत अफगानिस्तान को लगातार मदद करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की जरूरत को रेखांकित किया। दोनों पक्ष अफगानों के लिए अपनी मानवीय और आर्थिक मदद देने जारी रखने और अफगानिस्तान (Afghanistan) में विकास सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए।”
जुलाई में CPEC के विस्तार की रिपोर्ट सामने आने के बाद, भारत ने किसी तीसरे देश में CPEC परियोजनाओं के विस्तार पर कड़ी आपत्ति जतायी और संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के बारे में चिंता ज़ाहिर की। मामले पर विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता अरिंदम बागची (Arindam Bagchi) ने कहा कि, “हमने तथाकथित सीपीईसी परियोजनाओं में तीसरे देशों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने की रिपोर्ट देखी। किसी भी पक्ष द्वारा इस तरह की कोई भी कार्रवाई सीधे भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करती है।”
उन्होंने आगे कहा कि भारत तथाकथित सीपीईसी में परियोजनाओं का दृढ़ता से और लगातार विरोध करता है, जो भारतीय इलाके में हैं, जिस पर पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा। ऐसी गतिविधियां स्वाभाविक रूप से अवैध, नाजायज और अस्वीकार्य हैं।