न्यूज डेस्क (प्रियंवदा गोप): अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) दिल्ली पर हुए साइबर हमले में कई वीवीआईपी जैसे नौकरशाहों और राजनेताओं (Bureaucrats And Politicians) समेत लाखों मरीजों का निजी डेटा में सेंध लग चुकी है। मामले में एम्स ने मंगलवार (29 नवंबर 2022) को कंप्यूटर आईटी डिवीजन के दो जूनियर टेक्निशियन को सस्पेंड कर दिया। हालांकि खबर लिखे जाने तक विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी।
पीटीआई के मुताबिक हैकर्स ने क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) में 200 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी। पीटीआई ने मंगलवार को कहा कि अस्पताल लगातार सात दिनों तक साइबर हमले का शिकार रहा। हालांकि दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने कहा कि एम्स से फिरौती की कोई मांग नहीं की गयी और ना ही ऐसी कोई बात उनके संज्ञान में आयी है।
एम्स ने मंगलवार को कहा, “ई-अस्पताल का डेटा सर्वर पर बहाल कर दिया गया है। सेवाओं को बहाल करने से पहले नेटवर्क को सैनिटाइज किया जा रहा है। अस्पताल सेवाओं के लिये डेटा की मात्रा और बड़ी संख्या में सर्वर/कंप्यूटर की वज़ह से रिस्टोर की प्रक्रिया में कुछ समय लग रहा है। साइबर सुरक्षा के लिये एहतियाती उपाय किये जा रहे हैं। आउट पेशेंट, इन-पेशेंट, लैब समेत सभी अस्पताल सेवाओं को मैन्युअल मोड पर चलाया जा रहा हैं।”
अस्पताल के एक अधिकारी ने कहा कि, “इस साइबर हमले की वजह से एम्स को करोड़ों का भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ेगा या जिसकी गिनती नहीं की जा सकती है। एम्स का मेन सर्वर (Main Server) अस्तपाल परिसर के अंदर है, इसे काफी सुरक्षा के बीच रखा गया है। अन्य तीन बैकअप सर्वर विभिन्न भूकंपीय क्षेत्रों में हैं। ये बैकअप सर्वर (Backup Server) भूकंप के दौरान नुकसान से बचाने के लिये बनाये गये हैं और इन्हें आसानी से एक्सेस नहीं किया जा सकता है। दिलचस्प बात ये है कि मौजूदा मामले में सभी सर्वरों को हैक कर गया और इसमें क्लर्क से लेकर नौकरशाहों, वीवीआईपी, राजनेताओं तक के लाखों मरीजों के निजी डेटा शामिल हैं।”
एम्स से जुड़े एक अन्य अधिकारी ने कहा कि-“सर्वर में रजिस्ट्रेशन, दाखिला, डिस्चार्ज, यूएचआईडी (UHID) आधारित जांच, परामर्श, मरीज की आधार संबंधी जानकारियां, उनका मोबाइल नंबर और अस्पताल के कई अहम रिकॉर्ड जैसे मेडिकल रिसर्च, क्लीनिकल डेटा, टेंडर समेत प्रोक्योरमेंट शामिल हैं। खरीद से संबंधित डेटा। डेटा हैक होने का 7वां दिन है और सरकारी विशेषज्ञ इसे रिस्टोर नहीं कर पा रहे हैं। इससे पता चलता है कि राष्ट्रीय सूचना केंद्र (NIC/National Information Center) आईटी सिस्टम में सुधार की खासा जरूरत है। एनआईसी केंद्र सरकार के अन्य अस्पतालों, मंत्रालयों और विभाग की आईटी सेवाओं की भी देखभाल कर रहा है जो कि अब जोखिम में हैं।”
बता दे कि इस मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA), इंडिया कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस के विशेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय टीम कर रही है। इस टीम में दिल्ली पुलिस, इंटेलिजेंस ब्यूरो, CBI और गृह मंत्रालय के लोग भी शामिल है।
इससे पहले डॉ. डी.के. शर्मा (Dr. D.K. Sharma) एम्स दिल्ली के चिकित्सा अधीक्षक ने कहा कि, “मरीजों के साथ कुछ समस्याएँ हो सकती हैं। हालांकि हम मैनुअल मोड के जरिये जितना मुमकिन हो सके मरीज़ों को उचित चिकित्सा सेवायें मुहैया करवाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। जब से एम्स पर साइबर हमला (Cyber Attack) हुआ है, हम रोजाना लगभग 12,000 मरीजों को देख रहे हैं।”