न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ): Indian Army: भारत और चीन के बीच कई दशकों से सीमा को लेकर गतिरोध बना हुआ है। चीन की ओर से तिब्बत (Tibet) पर कब्जा करने के बाद ये मुद्दा और भी पेचीदा हो गया। सीमाओं के बारे में दोनों ओर की अलग अलग सोच को लेकर साल 1962 में एक जंग और दशकों तक कई गतिरोधों को देखा गया। हालांकि साल 1962 की जंग के बाद गलवान (Galwan) में हुआ गतिरोध ऐसा घटनाक्रम था, जिसमें दोनों पक्षों के कई लोगों की जान चली गयी। इसके बाद गतिरोध के भड़कने में भारतीय और पीएलए सेना को दो साल से अधिक समय से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पार बर्फीली चोटियों पर ज्यादा मुस्तैद देखा गया। दोनों देशों की सेनाओं की अगुवाई में कई दौर की चर्चा हुई है, ताकि मौजूदा गतिरोध को खत्म करने की कोशिश की जा सके।
9 दिसंबर, 2022 को पीएलए (PLA) सेना के कुछ सौ जवानों ने वही छल-कपट आजमाया, जिसका उन्होंने गलवान घाटी में सहारा लिया था; उन्होंने एलएसी पर यथास्थिति को बदलने की कोशिश की। उन्हें भारतीय सेना की ओर से तगड़े पलटवार का सामना करना पड़ा। कुछ दिनों बाद ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) के प्रयासों से मीडिया में एक दिलचस्प तथ्य सामने आया। ये भारतीय नौसेना की ओर P8 I लंबी दूरी की समुद्री टोही और पनडुब्बी रोधी युद्धक विमान के साथ-साथ जनरल एटॉमिक्स MQ-9B सी गार्जियन ड्रोन को LAC पर तैनात करने की खबर थी।
माना जाता है कि इस खबर ने एलएसी के पार काफी खलबली मचा दी। कई चीनी ऑनलाइन और प्रिंट मीडिया में इन विमानों को नीचे गिराने से जुड़ी खब़रे छायी हुई देखी गयी। ऐसी खब़रे कई मीडिया प्लेटफॉर्म पर देखी गयी। साथ ही पीएलए विमान के दबदबे को उजागर करने की कोशिश की गयी, जिसमें उनके जे-20 भी शामिल थे। जबकि ये चीनी नज़रिया ऐसे वक्त में सामने आया जब भारतीय सेना थियेटर कमांड (Theater Command) बनाने की ओर तेजी से आगे बढ़ रही है।
भारतीय सेना ने अपने कई इकाइयों को इंटीग्रेट करने के लिये कई कवायदों को अंजाम दिया है, इसके लिये बड़े पैमाने पर बजट खर्च करने के लिये वित्तीय तैयारियां शुरू हो चुकी है। इसे बहुत बड़े पैमाने पर अंजाम दिया जायेगा। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भारतीय थल सेना ने एलएसी पर भारतीय नौसेना के हथियारों का इस्तेमाल किया यानि कि ऑपरेशनल प्लानिंग को इंटीग्रेट करने का ये अपने आप में पहला उदाहरण है।
बीते सालों में भारत के सशस्त्र बलों ने कई खास तकनीकों, हथियार और सेंसर प्रणालियों को जंगी हथियारखाने शामिल किया है। जबकि कुछ का इम्पोर्ट किया गया, कई ऐसे हैं जो स्वदेशी स्रोतों के जरिये खरीदे गये हैं, जो कि भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूती देते है। इस तरह के दो हथियार/सेंसर प्रणालियां यानि कि बोइंग P8 I और जनरल एटॉमिक्स MQ-9B हैं, जिन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका से खरीदा और पट्टे पर लिया गया।
भारत की नौसेना को लगभग 12 P8 I विमानों का ऑपरेट करने के लिये जाना जाता है, इसकी पहली उड़ा को साल 2013 में शुरू किया गया। साफतौर से इसने साल 2020 और 2021 में LAC समेत कई मिशनों के लिये 30,000 घंटे से ज्यादा की उड़ानें भरी। अब अगर माना जा रहा है कि सेना साल 2022 में भी ऐसा करना जारी रखा हुआ हैं। MQ-9B जनरल एटॉमिक्स ड्रोन को साफतौर से साल 2020 में भारतीय नौसेना की ओर से चीन के साथ लगी सीमा पर तैनात किया गया है, ये भारत के चारों ओर के विशाल समुद्री इलाके पर नज़र रखने के लिये पट्टे पर दिया गया था। और अब माना जाता है कि इसका इस्तेमाल जमीनी सीमाओं पर भी किया जा रहा है।
सेना के ऑप्रेशंस के लिये खास नौसैनिक क्षमताओं की तैनाती दो पहलुओं पर रौशनी डालती है; भारतीय सेना की योजनाओं में इन प्रणालियों को इंटीग्रेट किया जाना शुरू कर दिया गया है। सेना और नौसेना की अपने संसाधनों को पूल करने और निर्बाध एकीकरण सुनिश्चित करने की ये क्षमता दिखने लगी। ये उन पहलुओं में से एक है जिसे ‘थियेटराइजेशन’ हासिल करने का लक्षणों में से एक कहा जा सकता है।