बिजनेस डेस्क (राजकुमार): भारत में कार्बन मुक्त ईंधन के प्रोडक्शन को प्रोत्साहित करने के लिये केंद्र सरकार की ओर से बीते बुधवार (4 जनवरी 2022) को 19,744 करोड़ रूपये की राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी गयी। उम्मीद है कि नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (National Green Hydrogen Mission) 8 लाख करोड़ रूपये के निवेश को आकर्षित करेगा।
ग्रीन हाइड्रोजन सीरीज के हिस्से के तौर पर भारत का लक्ष्य अगले पांच सालों के लिये सालाना 5 मिलियन टन वैकल्पिक ईंधन का निर्माण करना है। ग्रीन हाइड्रोजन योजना के हिस्से के रूप में पेश किये गये प्रोत्साहनों से उत्पादन की लागत में खासा कमी आने की उम्मीद है।
आखिर क्या है ग्रीन हाइड्रोजन
ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen) कार्बन मुक्त हाइड्रोजन है। इसे वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत के तौर पर देखा जाता है जो कि कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने में काफी मदद कर सकता है। ग्रीन हाइड्रोजन का इस्तेमाल ईंधन के तौर पर वाहनों, बड़ी औद्योगिक इकाइयों जैसे स्टील प्लांट और तेल रिफाइनरियों (Steel Plants and Oil Refineries) के लिये किया जा सकता है।
पानी के अणुओं को तोड़कर ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाता है। ये इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया (Electrolysis Process) के माध्यम से पानी के अणुओं को तोड़ने में सूर्य जैसे नवीकरणीय स्रोतों से पैदा बिजली का इस्तेमाल करके किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान उप-उत्पाद के तौर पर ऑक्सीजन का उत्पादन होता है।
ये है ग्रीन हाइड्रोजन मिशन
मिशन के 19,744 करोड़ रुपये के शुरूआती खर्च के साथ केंद्र सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन ट्रांजिशन प्रोग्राम (SIGHT) प्रोग्राम के लिये रणनीतिक हस्तक्षेप के लिए 17,490 करोड़ रूपये, पायलट परियोजनाओं के लिये 1,466 करोड़ रुपये, अनुसंधान एवं विकास के लिये 400 करोड़ रुपये और अन्य घटकों के लिये 388 करोड़ रुपये निर्धारित किये हैं।
इसका योजना का मकसद 2030 तक कम से कम 5 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष की क्षमता के लिये हरित हाइड्रोजन उत्पादन को प्रोत्साहित करना है। उम्मीद है कि ये परियोजना 8 लाख करोड़ रूपये के निवेश को आकर्षित करेगी और 2030 तक 6 लाख से ज्यादा नौकरी के अवसर पैदा करेगी।
इस योजना से होने वाले फायदों में निर्यात के अवसर, ट्रांसपोर्ट मोबिलिटी (Transport Mobility), उद्योगों और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों का डीकार्बोनाइजेशन, आयातित फीडस्टॉक और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करना, स्वदेशी विनिर्माण क्षमता में इजाफा, रोजगार सृजन, अत्याधुनिक तकनीक के लिये अनुसंधान एवं विकास शामिल हैं। मिशन का मकसद ग्रीन हाइड्रोजन की मांग, उत्पादन, निर्यात और इस्तेमाल के लिये संभावनायें पैदा करना है।
कार्यक्रम के तहत चुने गये इलाकों में हाइड्रोजन हब बनाया जायेगा। केंद्र सरकार रणनीतिक हाइड्रोजन इनोवेशन पार्टनरशिप (SHIP) के तहत R&D के लिये सार्वजनिक-निजी भागीदारी ढांचा बनाने पर भी विचार कर रही है।