बिजनेस डेस्क (राजकुमार): भारत के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI- Reserve Bank of India) ने खुलासा किया है कि कौन सी बैंकिंग फर्म (Banking Firm) भारत में सबसे ज्यादा सुरक्षित और विश्वसनीय हैं। ग्राहक और भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) इन बैंकों पर इतना ज्यादा निर्भर है कि अगर उन्हें नुकसान होता है तो इसका असर पूरे देश में महसूस किया जाता है। दो वाणिज्यिक बैंक और एक सार्वजनिक बैंक आरबीआई की इस लिस्ट में शामिल हैं। लिस्ट में कुछ जाने-पहचाने बैंकों के नाम भी हैं, क्योंकि इस लिस्ट को बनाने में पिछले साल के आंकड़े भी शामिल हैं।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के मुताबिक सार्वजनिक क्षेत्र का भारतीय स्टेट बैंक (SBI), निजी क्षेत्र का HDFC बैंक और ICICI बैंक इस लिस्ट में शुमार है। देश के कुछ सबसे बड़े और प्रभावशाली वित्तीय संस्थान घरेलू व्यवस्थित रूप से अहम बैंकों की इस लिस्ट में शामिल हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) इन संस्थानों पर करीब से ध्यान देता है, अगर ये बैंक दिवालिया हो जायेगें तो ये भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये काफी खतरनाक होगा।
भारतीय रिजर्व बैंक सूचीबद्ध बैंकों के लिये कड़े पैमाने पर लागू होता है। विनियामक जरूरतों को पूरा करने के लिये इन वित्तीय संस्थानों को टियर-1 इक्विटी के तौर पर अपनी जोखिम-भारित संपत्ति (Risk Weighted Assets) का एक निश्चित प्रतिशत बनाये रखना होता है। भारतीय रिजर्व बैंक का आदेश है कि एसबीआई अपनी आरक्षित संपत्ति का 0.60 प्रतिशत टीयर -1 इक्विटी के रूप में रखे हुए है, जबकि एचडीएफसी और आईसीआईसीआई बैंक को सिर्फ 0.20 प्रतिशत बनाये रखने की जरूरत है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने साल 2015 से देश की वित्तीय प्रणाली और अर्थव्यवस्था में अहम बैंकों की एक लिस्ट जारी की है और उन पर बारीकी से नज़र रखे हुए है। अगस्त में हर साल भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) बैंकों की रीच और उनके ऑप्रेशंस के आधार पर उनका आकलन करता है। इस लिस्टिंग से पता चलता है कि सूचीबद्ध बैंक दिवालियेपन से सुरक्षित हैं, और अगर जरूरत हो तो सरकार उनकी मदद करने के लिये तैयार है।
RBI ने मार्च 2022 तक टॉप परफॉर्मेंस करने वाले बैंकों की एक लिस्ट तैयार की है। RBI ने शुरुआत में सिर्फ साल 2015 और साल 2016 में इस लिस्ट में SBI और ICICI बैंक को लिस्टेड किया था। मार्च 2017 तक के आंकड़ों को देखते हुए HDFC बैंक को बाद में इस फेहरिस्त में शामिल किया गया था। साल 2015 में जब पहली सूची सामने आयी थी तो उसमें सिर्फ दो ही नाम थे, जिसने वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज (Moody’s) के आकलनों पर संदेह पैदा किया।