न्यूज डेस्क (शाश्वत अहीर): पंजाब सिविल सेवा के अधिकारियों (Punjab Civil Service Officers) ने आज से (9 जनवरी 2023) से पांच दिनों के सामूहिक आकस्मिक अवकाश पर जाने का फैसला किया है। राज्य सतर्कता ब्यूरो (Vigilance Bureau) की ओर से लुधियाना (Ludhiana) में नरिंदर सिंह धालीवाल (Narinder Singh Dhaliwal) की ‘अवैध’ गिरफ्तारी के विरोध में ये कदम उठाया गया है। ये फैसला पंजाब सिविल सर्विसेज ऑफिसर्स एसोसिएशन (Punjab Civil Services Officers Association) ने बीते रविवार को लिया।
ब्यूरो ने कहा था कि पीसीएस अधिकारी नरिंदर सिंह धालीवाल को बीते शुक्रवार (6 जनवरी 2023) को सतर्कता ब्यूरो ने गलत तरीके से वाहनों के चालान से बचने के लिये ट्रांसपोर्टरों से रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था। धालीवाल को लुधियाना में क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण (RTA- Regional Transport Authority) के तौर पर तैनात किया गया था। पीसीएस ऑफिसर्स एसोसिएशन ने धालीवाल की गिरफ्तारी पर चर्चा के लिये आम सभा की बैठक की। बैठक में लिये गये एसोसिएशन के संकल्प में 80 पीसीएस अधिकारी शामिल हुए। बैठक में कहा गया कि, “पीसीएस अधिकारी (PCS Officer) को अवैध, गलत और मनमाने ढंग से और गैरवाज़िब प्रक्रिया के बिना गिरफ्तार किया गया है।”
बैठक में ये फैसला लिया गया कि राज्य के सभी पीसीएस अधिकारी 9 जनवरी से शुरू होने वाले आगामी सप्ताह के लिये सामूहिक आकस्मिक अवकाश (Collective Casual Leave) पर जायेगें। साथ ही कहा गया कि इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री भगवंत मान (Chief Minister Bhagwant Mann) को ज्ञापन सौंपा जायेगा। एसोसिएशन ने धालीवाल की अवैध गिरफ्तारी की जांच के लिये सरकार से हाई पावर कमेटी गठित करने की मांग की और 13 जनवरी तक इसकी रिपोर्ट मांगी।
समिति में प्रिसिंपल सेक्रेटरी (Principal Secretary) रैंक के वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के साथ-साथ पीसीएस अधिकारी और परिवहन विभाग (Transport Department) के प्रतिनिधियों को शामिल करने की मांग की गयी है। प्रस्ताव में कहा गया है कि आगे की कार्रवाई 14 जनवरी को स्थिति की समीक्षा पर निर्भर करेगी।
सतर्कता ब्यूरो ने शुक्रवार को कहा था कि 18 नवंबर को मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार विरोधी हेल्पलाइन के माध्यम से दर्ज की गयी एक शिकायत की जांच के दौरान ये पाया गया था कि धालीवाल लुधियाना में मासिक आधार पर कई ट्रांसपोर्टरों से लोगों के जरिये रिश्वत लेने में शामिल थे। शुरूआती जांच में सामने आया कि रिश्वत लेकर वो ट्रांसपोर्टरों से जुड़े वाहनों के चालान नहीं काटते थे।