न्यूज डेस्क (शाश्वत अहीर): Joshimath Crisis: जोशीमठ में धंसने का संकट काफी गहरा गया है, खतरे वाले इलाकों में रहने वाले परिवारों को अब सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा रहा है। केंद्र सरकार ने स्थिति का आकलन करने के लिये कई कदम भी उठाये हैं, जिसके तहत धंसने वाली जमीन, सड़कों और घरों में दरारों का सर्वेक्षण करना शामिल है।
जोशीमठ जो कि उत्तराखंड (Uttarakhand) का एक पवित्र शहर है साथ ही बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब (Badrinath and Hemkund Sahib) तीर्थों का प्रवेश द्वार है। जोशीमठ को लेकर कई विशेषज्ञों ने दशकों ने पहले ही धंसने की चेतावनी दे दी थी। विशेषज्ञों ने खुलासा किया है कि पिछले कुछ महीनों में जमीन का धंसना काफी तेज हो गया है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने उत्तराखंड के जोशीमठ शहर की कई सैटेलाइट तस्वीरें जारी की, जिसके तहत इलाके में जमीन के धंसाव का विश्लेषण किया गया। इसरो के मुताबिक पिछले कई महीनों में जोशीमठ की जमीन कई सेंटीमीटर धंस गयी है।
इसरो की ओर से जारी की गयी तस्वीरें कार्टोसैट-2एस उपग्रह (Cartosat-2S Satellite) से ली गयी हैं। हैदराबाद (Hyderabad) के एनआरएससी ने डूब रहे इलाकों की सैटेलाइट तस्वीरें जारी की। तस्वीरों में सेना के हेलीपैड और नरसिम्हा मंदिर (Narasimha Temple) समेत पूरे शहर को संवेदनशील क्षेत्र के रूप में चिन्हित किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल से नवंबर 2022 के बीच जमीन का धंसना धीमा था, इस दौरान जोशीमठ 8.9 सेमी तक धंस गया। लेकिन 27 दिसंबर 2022 और 8 जनवरी 2023 के बीच इन 12 दिनों में भू-धंसाव की रफ्तार में खासा तेजी आयी है और शहर 5.4 सेंटीमीटर डूब गया।
सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि जमीन धंसने से जोशीमठ-औली सड़क भी धंसने वाली है। जोशीमठ औली का प्रवेश द्वार है, जो कि देश का मशहूर स्कीइंग डेस्टीनेशन है। वैज्ञानिक अभी भी कस्बे में भूमि धंसने के बाद घरों और सड़कों में दिखायी देने वाली दरारों का अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन इसरो की शुरूआती रिपोर्ट के ये नतीज़े काफी डरावने हैं। इसरो की ओर से जारी की गयी सैटेलाइट तस्वीरों ने शहर के अतीत और मौजूदा हालातों के बीच तुलना करते हुए चौंकाने वाले खुलासे किये।