बिजनेस डेस्क (राजकुमार): Union Budget 2023: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से वित्त वर्ष 2023-24 के लिये नये इंकम टैक्स स्लैब (New Income Tax Slab) के ऐलान से देश का मध्यम वर्ग खासा खुश है। स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ टैक्स छूट कई सालों के बाद बढ़ी है। इसका मतलब है कि वेतनभोगी वर्ग वित्तीय वर्ष 2022-23 की तुलना में कम टैक्स चुकायेगा। वित्त मंत्री (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने कहा कि आयकर छूट उन लोगों को दी गयी है जिनकी सालाना आमदनी सात लाख रुपये है। इसका मतलब है कि सालाना 7 लाख रुपये तक की आय वालों को बिल्कुल शून्य आयकर देना होगा। पहले ये सीमा 5 लाख रुपये थी।
बता दे कि नया आयकर स्लैब केवल सिर्फ लोगों के लिये लागू होगी जो कि नई कर व्यवस्था का विकल्प चुनते हैं। इसका मतलब है कि जो लोग पुरानी टैक्स व्यवस्था (Old Tax System) का इस्तेमाल करते हैं उन्हें पुराने टैक्स स्ट्रक्चर के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा। नई कर योजना 2020 में उन लोगों के लिये लाई गयी थी जो ज्यादा निवेश नहीं करते हैं और 80सी और आयकर अधिनियम की अन्य धाराओं के तहत कटौती नहीं चाहते हैं। कटौती चाहने वालों को पुरानी कर व्यवस्थाओं का इस्तेमाल जारी रखना होगा।
बजट भाषण के दौरान इस मुद्दे पर वित्त निर्मला सीतारमण ने कहा कि- “मैंने साल 2020 में 6 आय स्लैब के साथ 2.5 लाख रुपये से शुरू होने वाली नई व्यक्तिगत आयकर व्यवस्था की शुरुआत की। मैं स्लैब की संख्या को घटाकर 5 करके और कर छूट की सीमा को बढ़ाकर 3 लाख रुपये करके इस व्यवस्था में कर संरचना को बदलने का प्रस्ताव करती हूं।”
नई इनकम टैक्स दरों के मुताबिक 3 लाख रुपये सैलरी वालों से कोई इनकम टैक्स (Income Tax) नहीं लिया जायेगा। 3 से 6 लाख रुपये तक की सैलरी वालों पर 5 फीसदी टैक्स लगेगा। 6 लाख रुपये से 9 लाख रुपये के बीच वेतन वालों पर 10 प्रतिशत लागू होगा। 9 लाख रुपये से 12 लाख रुपये के बीच 15 फीसदी, 12 लाख रुपये से 15 लाख रुपये के बीच 20 प्रतिशत और 30 प्रतिशत से अधिक वेतन वालों पर 30 फीसदी इंकम टैक्स वसूला जायेगा।
मोदी सरकार ने उच्चतम अधिभार दर को भी 35 प्रतिशत से हटाकर 25 प्रतिशत कर दिया है।
इनकम टैक्स कैलकुलेशन:
9 लाख रुपये सालाना सैलरी वालों को 45000 रुपये टैक्स के तौर पर चुकाने होंगे। 15 लाख रुपये सैलरी वालों को 1.87 लाख रुपये टैक्स के तौर पर देना होगा।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि- “नई कर दरें 0 से 3 लाख रुपये – शून्य, 3 से 6 लाख रुपये – 5%, 6 से 9 लाख रुपये – 10%, 9 से 12 लाख रुपये – 15%, 12 से 15 लाख रुपये – 20% और 15 लाख से ऊपर – 30%, होगी”।
बता दे कि जिनकी सैलरी 7 लाख रुपये तक है, उन्हें स्टैंडर्ड डिडक्शन और अन्य डिडक्शन के बाद जीरो टैक्स देना होगा।
पुराने टैक्स सिस्टम (Old Tax System) के तहत 2.5 लाख रुपये तक की सलाना आमदनी वाले किसी भी व्यक्ति को आयकर से पूरी तरह छूट हासिल है। ढाई से पांच लाख रुपये तक की आमदनी पर पांच फीसदी टैक्स है। लोग निवेश के जरिये भी 1.5 लाख रूपये बचा सकते हैं। नौकरीपेशा लोगों को भी स्टैंडर्ड डिडक्शन के तौर पर 50,000 रुपये मिलते हैं। हालांकि सरकार इस पर 12500 रुपये की छूट भी देती है। जिसका मतलब है कि जब तक आप 5 लाख रुपये नहीं कमाते तब तक आप शून्य कर का भुगतान करते हैं।
पुरानी और नयी टैक्स स्लैब की तुलना
0-2 लाख रुपये तक दोनों में टैक्स दर शून्य।
2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये: दोनों में 5 फीसदी।
5 लाख और 7.5 लाख रुपए: पुराने में 20 फीसदी, नये में 10 फीसदी।
7.5 लाख से 10 लाख रुपये: पुराने में 20 फीसदी और नये में 15 फीसदी।
10 लाख रुपये से 12.5 लाख रुपये: पुराने में 30 फीसदी और नये में 20 फीसदी।
12.5 लाख रुपये से 15 लाख रुपये: पुराने में 30 फीसदी और नये में 25 फीसदी।
15 लाख रुपये और उससे अधिक: पुरानी और नयी टैक्स स्लैब दोनों में ही 30 प्रतिशत।
दोनों टैक्स स्लैब के तहत सलाना 5 लाख रूपये से कम तनख्वाह वाले प्रभावी रूप से शून्य कर का भुगतान करते हैं। नई कर दरें उन लोगों के लिये लागू होती हैं जो नई टैक्स व्यवस्था का विकल्प चुनते हैं। अगर आप नई कर व्यवस्था का विकल्प चुनते हैं तो आप एलआईसी, एसआईपी, एफडी आदि जैसे दीर्घकालिक निवेशों पर टैक्स रिबेट (Tax Rebate) नहीं मांग पायेगें।