नई दिल्ली (प्रियवंदा गोप): आयकर विभाग ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग सर्विस (BBC) के दिल्ली कार्यालय में छापेमारी की। अभी ये साफ नहीं हो पाया है कि विभाग ने बीबीसी के परिसर में क्यों छापेमारी की। सूत्रों के हवाले से छनकर ये खब़र सामने आ रही है कि ये छापेमारी नहीं बल्कि सर्वे है। 60-70 लोगों की टीम बीबीसी के दिल्ली कार्यालय में ‘सर्वे’ कर रही है है।
जब इंकम टैक्स विभाग (ITD- Income Tax Department) की टीम परिसर में दाखिल हुई तो बीबीसी स्टाफ़ को अपने फ़ोन बंद रखने का फरमान सुना दिया गया है। परिसर में न तो किसी को प्रवेश करने दिया जा रहा है और न ही बाहर आने दिया जा रहा है। बीबीसी के लंदन (London) कार्यालय को इस मामले से अवगत करा दिया गया है।
इस बीच कांग्रेस ने इस कार्रवाई के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को लेकर हालिया विवाद को जिम्मेदार ठहराया है। पार्टी ने इस कदम को अघोषित आपातकाल बताया। कांग्रेसी वरिष्ठ नेता जयराम रमेश (Senior Congress leader Jairam Ramesh) ने मामले पर कहा कि “पहले बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री आयी और उस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। अब बीबीसी दिल्ली ऑफिस पर छापा मारा जा रहा है। ये अघोषित आपातकाल है। यहां हम अडानी गाथा पर जेपीसी (JPC) जांच की मांग कर रहे हैं और वहां सरकार बीबीसी के पीछे पड़ी है।”
पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने साल 2002 के गुजरात दंगों (Gujarat Riots) पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगाने की याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में दावा किया गया है कि डॉक्यूमेंट्री भारत के उदय और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के खिलाफ गहरी साजिश का नतीजा है।
याचिका में आरोप लगाया गया था कि- “2002 की गुजरात हिंसा से जुड़ी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री फिल्म में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को न सिर्फ उनकी छवि को धूमिल करने के लिये प्रसारित की गयी, बल्कि ये नरेंद्र मोदी विरोधी ठंडे प्रचार का प्रतिबिंब है, ये बीबीसी की ओर से भारत के सामाजिक ताने-बाने को तबाह करने के लिये हिंदू धर्म विरोधी प्रचार है।”
सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्यूमेंट्री को ब्लॉक करने के अपने फैसले को चुनौती देने वाली अलग-अलग याचिकाओं पर केंद्र से जवाब मांगा था।
बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री का नाम ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ (India: The Modi Question) है। साल 2002 के गुजरात दंगों पर आधारित इस डॉक्यूमेंट्री को केंद्र ने दुष्प्रचार का हिस्सा करार दिया था। केंद्र सरकार ने बाद में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर डॉक्यूमेंट्री दिखाने वाले ट्वीट और वीडियो को हटाने का फरमान सुनाया था। विपक्ष ने इस कदम की निंदा की और इसे सेंसरशिप करार दिया। कांग्रेसी सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने ट्वीट कर लिखा था कि, “सच्चाई चमकती है। इसे बाहर आने की बुरी आदत होती है। इसलिये कितने भी प्रतिबंध, दमन और डराने वाले लोग सच को सामने आने से नहीं रोक सकते।”
बता दे कि प्रतिबंध के बावजूद कई राजनीतिक संगठनों ने अपने संबंधित विश्वविद्यालयों में इस डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन किया।