नई दिल्ली (प्रियंवदा गोप): दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने कोरोना की वज़ह ध्वस्त किये जाने के बाद नये स्कूल भवन बनाने की मांग करने वाले एक आवेदन के मामले में दिल्ली सरकार से जवाब मांगा। स्कूल पहले टेंट और पोर्टा केबिन में संचालित होता था। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद (Chief Justice Satish Chandra Sharma and Justice Subramaniam Prasad) की ओर से दिल्ली सरकार को नोटिस देकर अदालत की जांच का जवाब देने को कहा गया है।
दिल्ली सरकार के स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी के मुताबिक, टेंडर फिर से दे दिया गया है और नये भवन पर काम जल्द शुरू हो सकता है। जज ने मामले की अगली सुनवाई के लिये 20 जुलाई की तारीख तय की।
नए स्कूल भवन के लिये रास्ता बनाने के लिये पूर्वोत्तर दिल्ली के मुस्तफाबाद (Mustafabad) में गवर्नमेंट गर्ल्स सेकेंडरी स्कूल और गवर्नमेंट बॉयज़ सेकेंडरी स्कूल को ध्वस्त कर दिया गया था। बता दे कि उच्च न्यायालय एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट (NGO Social Jurist) की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसकी अगुवाई वकील अशोक अग्रवाल (Advocate Ashok Aggarwal) ने की।
अदालती कार्रवाई के दौरान वकील अशोक अग्रवाल ने कोर्ट से कहा कि- “वो दिल्ली सरकार को तुरन्त 56 कक्षाओं का बनाने करने का आदेश जारी किया जाये ताकि स्कूलों का संचालन जारी रह सके।” याचिका के मुताबिक अतिरिक्त कक्षाओं के निर्माण के लिये जून 2021 में लोक निर्माण विभाग (PWD- Public Works Department) को 16.54 करोड़ रूपये मंजूर किये गये थे, लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हो सका है।
इसी क्रम में एनजीओ के अधिवक्ता आगे ने कहा कि, “बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिये अपने संवैधानिक और कानूनी दायित्वों का निर्वहन करने में दिल्ली सरकार की ओर से ये बड़ी घोर नाकामी है।”
बता दे कि याचिका का जवाब देने में देरी के लिये कोर्ट ने दिल्ली सरकार को दोषी ठहराया गया।