बढ़ी विपक्षी लामबंदी की सुगबुगाहट, आज हुई नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की Rahul Gandhi से मुलाकात

न्यूज डेस्क (समरजीत अधिकारी): बीते एक महीने से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) और उनके डिप्टी तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने 2024 के लोकसभा चुनावों में सत्ताधारी पार्टी को वापस लाने के लिये गैर-बीजेपी मोर्चा बनाने की अपनी कवायदों के तहत कई प्रमुख विपक्षी नेताओं से मुलाकात की। इसी क्रम में आज (22 मई 2023) कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Congress President Mallikarjun Kharge) और पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से मुलाकात करेंगे और विभिन्न विपक्षी नेताओं के साथ हुई बातचीत का भी विवरण साझा करेंगे साथ ही मुमकिन तौर पर पटना में एक बड़े विपक्षी सम्मेलन की तारीख भी तय की जायेगी।

बता दे कि कुमार और तेजस्वी ने आखिरी बार 12 अप्रैल को खड़गे और राहुल से मुलाकात की थी, जिसके दौरान ये तय किया गया था कि बिहार (Bihar) के मुख्यमंत्री छह दलों के नेताओं से संपर्क करेंगे, जिनमें से ज्यादातर ऐसे हैं, जो कि सबसे पुरानी पार्टी के साथ अच्छे समीकरण साझा नहीं करते, साथ ही कम से कम दो दल ऐसे हैं जो विपक्ष के पाले में नहीं हैं।

पिछले महीने नीतीश कुमार ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee), समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav), ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक (Chief Minister Naveen Patnaik) और दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की थी। उन्होंने शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे और एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के अलावा झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और वामपंथी नेताओं सीताराम येचुरी और डी राजा (Sitaram Yechury and D Raja) से भी लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनज़र विपक्षी एकता पर चर्चा की।

नीतीश कुमार और अखिलेश यादव तेलंगाना के मुख्यमंत्री और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के प्रमुख के चंद्रशेखर राव और वाईएसआरसीपी प्रमुख और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगनमोहन रेड्डी (Chief Minister YS Jaganmohan Reddy) से नहीं मिल पाये हैं। नीतीश कुमार चाहते हैं कि विपक्ष वोट को टूटने से रोकने के लिये ज्यादा से ज्यादा सीटों पर भाजपा के खिलाफ एक साझा उम्मीदवार खड़ा करने की कोशिश करे।

हालांकि भाजपा के खिलाफ विपक्षी मोर्चे का विचार कांटों भरी राह से भरा हुआ है, क्योंकि कई राज्यों में कई विपक्षी दल एक-दूसरे के खिलाफ मजबूती से खड़े हैं – पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना (Uttar Pradesh and Telangana) इसकी मिसाल हैं – और इस बात पर बड़ा सवाल हैं कि अगुवाई कौन करेगा इस मोर्चे की। कई विपक्षी नेताओं का मानना है कि केंद्र सरकार के मौजूदा तौर तरीके को देखते हुए भाजपा विरोधी दलों के पास एकजुट होने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

मिसाल के लिये ज्यादातर विपक्षी दलों ने भाजपा (BJP) की अगुवाई वाली केंद्र सरकार को एक अध्यादेश लाने के लिये फटकार लगायी है, जिसने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को प्रभावी ढंग से रद्द कर दिया, जिसने दिल्ली सरकार (Delhi Government) को अहम शक्तियां सौंपी थीं। विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर संवैधानिक संघीय ढांचे को तोड़ने का आरोप लगाया है।

हाल ही में विपक्षी स्टैंड की कुछ शिफ्टिंग हुई है। बनर्जी जिन्होंने पहले ऐलान किया था कि उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी, हालांकि टीएमसी (TMC) उन सीटों पर कांग्रेस का समर्थन करने के लिये तैयार है जहां वो मजबूत है और तगड़े मजबूत उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारती है

कांग्रेस ने नवंबर-दिसंबर में होने वाले अहम विधानसभा चुनावों के लिये जमीनी स्तर पर काम जल्दी शुरू करने का भी फैसला किया है। कर्नाटक (Karnataka) में जीत से उत्साहित कांग्रेस पार्टी मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में अपने चुनावी अभियान को जल्दी शुरू करने की योजना बना रही है। कांग्रेस नेतृत्व ने चुनाव की रणनीति बनाने के लिये 24 मई को इन राज्यों के प्रभारियों और आला नेताओं की बैठक बुलायी है।

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