न्यूज डेस्क (अमित त्यागी): पिछले साल से कई स्तरों पर चुनावी नाकामियों का सामना करने के बाद समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party-SP) नये, समर्पित संगठनात्मक ढांचे के साथ जनवादी पार्टी के तौर पर विकसित होने की कोशिश कर रही है। पार्टी ने अपनी विचारधारा पर राज्य भर की कई लोकसभा सीटों पर अपने कार्यकर्ताओं के लिये ट्रेनिंग कैंप आयोजित करने और उन्हें भाजपा (BJP) का मुकाबला करने के लिये तर्कों से लैस करने का भी फैसला किया है।
इस मकसद के साथ पार्टी ने वरिष्ठ नेताओं को उनके लोकसभा क्षेत्रों में बूथ समितियों के पुनर्गठन के लिये काम सौंपा है, जहां लंबे समय से पार्टी निष्क्रिय हैं और जहां ज़मीनी कार्यकर्ता अन्य दलों में शामिल होने के लिये चले गये हैं।
इन प्रभारियों को हरेक जोन के लिये एक प्रभारी के साथ जोनल इकाइयों का नया संगठनात्मक ढांचा तैयार करने का फरमान सुनाया गया है। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में कम से कम छह जोन होंगे, प्रत्येक जोन को छह सेक्टरों में बांटा जायेगा। हरेक सेक्टर की इकाई 10-12 बूथ इकाइयों की देखरेख करेगी। फील्ड वर्क के दौरान इन लोकसभा प्रभारियों को गांवों और शहरी इलाकों में कार्यकर्ताओं और जनता से भी संवाद करना होगा।
इन प्रभारियों को 5 जून तक अपना काम पूरा करना है, ताकि प्रशिक्षण शिविर शुरू हो सके। शिविरों का आयोजन दो-दो निर्वाचन क्षेत्रों के युवा कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं के समूहों में किया जाएगा। मामले को लेकर पार्टी के एक नेता ने कहा कि, “अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और अन्य वरिष्ठ नेता कार्यकर्ताओं को पार्टी की विचारधारा, शासन में भाजपा सरकार की नाकामियों के बारे में जानकारी देगें।”
नये सांगठनिक ढांचे को विकसित करने के फैसले पर पूर्व मंत्री और कैराना लोकसभा प्रभारी सुधीर पंवार (Sudhir Panwar) ने कहा कि, ‘सपा जन आधारित पार्टी है, लेकिन मौजूदा सियासी तस्वीर में राजनीतिक मामलों पर अपनी विचारधारा और राय को फैलाने और चुनौतियों के बारे में कार्यकर्ताओं की जागरूकता बढ़ाने के लिये इस तरह के बुनियादी डिजाइन को अमली जामा पहनाने की दरकार है। इसलिए बूथ समितियों के निर्माण और जोनल संरचनाओं के गठन के लिये निर्वाचन क्षेत्र के प्रभारियों को तैनात किया गया है।”
पार्टी के एक अन्य नेता ने कहा कि सपा जनवादी पार्टी है, जो कि मतदाताओं के बीच कोई फर्क नहीं करती है और धर्म, जाति, लिंग या आर्थिक हालातों के बावजूद समावेशी बनी हुई है। कुछ बातों जैसे मीडिया का खास विचाराधारा वाले दलों की ओर झुकाव, राजनीति में धर्म का खुला और ज़बरदस्त इस्तेमाल साथ ही संस्थानों का भगवाकरण जैसे बिंदुओं ने हमारे लिये कड़ी चुनौती पेश की है। साथ ही सूबे की सियासी तस्वीर को देखते हुए हमें इस तरह के कदम उठाने पड़े। हमें सामंजस्यपूर्ण संगठनात्मक ढांचे की सख़्त जरूरत है, और हम इस पर लगातार काम कर रहे है।
लोकसभा क्षेत्रों में जहां ऐसे प्रभारी नियुक्त किये गये हैं, उनमें अमेठी और रायबरेली (Amethi and Rae Bareli) शामिल हैं, जहां सपा ने पिछले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को वॉकओवर दिया था। विधायक इंद्रजीत सरोज रायबरेली के साथ-साथ कौशांबी और प्रतापगढ़ (Kaushambi and Pratapgarh) के प्रभारी हैं। अमेठी में पार्टी ने पूर्व एमएलसी सुनील साजन, आनंद भदौरिया और पूर्व विधायक अरुण वर्मा को तैनात किया है।
पार्टी के वरिष्ठ विधायक और दलित चेहरा अवधेश प्रसाद अयोध्या (Ayodhya) के प्रभारी हैं, जबकि विधायक लालजी वर्मा को आजमगढ़ समेत चार निर्वाचन क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी गयी है, जहां से अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) 2019 में चुने गये थे, लेकिन पिछले उपचुनाव में पार्टी भाजपा से हार गयी थी।
पार्टी उत्तराखंड (Uttarakhand) की हरिद्वार लोकसभा सीट (Haridwar Lok Sabha seat) से भी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है, जहां पूर्व विधायक किरण पाल कश्यप को प्रभारी बनाया गया है।
मौजूदा कवायद के मद्देनज़र सपा नेता आरके चौधरी (SP leader RK Chowdhary) ने कहा कि- “संगठनात्मक इकाइयों के गठन के अलावा हम नये कार्यकर्ताओं से भी मिल रहे हैं, उनके घरों पर पार्टी के झंडे लगा रहे हैं और उनके साथ तस्वीरें खिंचवा रहे हैं, ताकि उनका मनोबल बढ़ाया जा सके और संगठनात्मक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा सके।” बता दे कि आरके चौधरी मिश्रिख और हरदोई लोकसभा क्षेत्र के प्रभारी हैं।
नाम ना बताने की शर्त पर सपा के एक नेता ने कहा कि- “कैडर आधारित पार्टी की तर्ज पर बूथ स्तर तक संगठन को और ज्यादा धार देने के लिये लोकसभा प्रभारियों की नियुक्ति की गयी। हम अपने जन-आधारित चरित्र को बनाये रखेंगे, लेकिन कैडर-आधारित पार्टी की तरह एक संगठनात्मक संरचना भी होगी, जो कि सपा को कुछ हद तक हाइब्रिड पार्टी बना देगी जो कि विचारधारा और जनवादी पार्टी है, हम पार्टी को कैडर आधारित संगठन में बदलने के लिये लगातार काम कर रहे है।”
पार्टी के एक अन्य नेता ने कहा कि, “जन-आधारित पार्टी के तौर पर सपा की ताकत कुछ अन्य ओबीसी जातियों और मुसलमानों के समान मतदाताओं के अलावा समर्पित यादव वोट बैंक (Yadav Vote Bank) है। ये लोग समाजवादी विचारधारा और उसके शीर्ष नेतृत्व पर भरोसा करके सपा को वोट देते हैं। लेकिन भाजपा और बसपा के पास बूथ से लेकर राज्य तक विभिन्न स्तरों पर संगठनात्मक संरचनायें हैं, जो कि उन्हें हर मतदाता तक पार्टी के संदेश को बेहतर ढंग से पहुंचाने में मदद करती हैं। बीजेपी (BJP) इस ढांचे का इस्तेमाल करते हुए वोटों को बटोरने और एंटी-इनकंबेंसी की भरपाई के लिए करती है। सपा को भाजपा के खिलाफ अपनी लड़ाई में इसका इस्तेमाल करने के लिये इस तरह के ढांचे की जरूरत महसूस हुई।