न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ): Manipur Violence: इंफाल में बीते रविवार को दंगाईयों की भीड़ ने एक एंबुलेंस में आग लगा दी। मरने वालों में कुकी पुरुष से शादी करने वाली मेइती महिला, उसका बेटा और एक रिश्तेदार शामिल है। इस बात की तस्दीक आसपास के लोगों और पीड़ित परिवार के रिश्तेदारों ने की है। एंबुलेंस बच्चे को अस्पताल ले जा रही थी, और पुलिस कर्मी इसे एस्कॉर्ट कर रहे थे।
वारदात लाम्फेल पुलिस थाना (Lamphel Police Station) इलाके के अंतर्गत इंफाल (Imphal) पश्चिम के इरोइसेम्बा इलाके (Iroisemba Locality) में हुई। मामले को लेकर पुलिस स्टेशन के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि रविवार शाम करीब सात बजे एंबुलेंस में आग लग गयी। अधिकारी नेन आगे कहा कि- “हम सिर्फ एंबुलेंस के अंदर से कुछ हड्डियाँ बरामद कर सके हैं।” इस वारदात को लेकर एफआईआर दर्ज कर ली गयी है, जिसमें हत्या से जुड़ी धारायें लगायी गयी हैं।
मणिपुर में 3 मई को पहली बार मेइती और कुकी के बीच संघर्ष शुरू होने के एक महीने से ज्यादा वक्त बीतने के बाद ये वारदात सामने आयी है। कांगपोकपी जिले (Kangpokpi District) के कांगचुप चिंगखोक गांव (Kangchup Chingkhok Village) के निवासियों के मुताबिक मरने वालों में मीना हैंगिंग, उनका बेटा 7 साल का बेटा टॉमशिंग, और मीना की रिश्तेदार लिडिया लौरेम्बम (Lydia Laurembaum) शामिल हैं।
कांगचुप इलाके में कई कुकी गांव हैं और कांगपोकपी जिले की सीमा पर इंफाल पश्चिम के साथ फायेंग के मेतेई गांव (Meitei Village of Phayeng) के करीब है। इस इलाके में 27 मई से राज्य भर में हिंसा की दूसरी लहर में भारी गोलीबारी देखी जा रही है। पीड़ितों के रिश्तेदार और गांव के निवासी जिन हैंगिंग के मुताबिक, जब रविवार को इलाके में गोलीबारी हुई तो टॉमशिंग सिर में गोली लगने से घायल हो गया था, जिसके बाद उसे क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान (Regional Institute of Medical Sciences) इलाज के लिये ले जाया रहा था।
जिन हैंगिंग ने आगे कहा कि- “हमारे गाँव की महिलायें और बच्चे पिछले एक महीने से असम राइफल्स (Assam Rifles) की चौकी पर रह रहे हैं, जबकि पुरुष गाँव की रक्षा का काम कर रहे हैं। रविवार को टॉमशिंग को दूर से सिर में गोली मार दी गये थी। हम नहीं जानते कि गोली गैर इरादतन तौर पर चलायी गयी थी या उसे जानबूझकर निशाना बनाया गया।”
इस वारदात के बाद से परिवार में दहशत फैल गयी और उन्होंने टॉमशिंग को इम्फाल पश्चिम में रिम्स में ले जाने का फैसला लिया।
पीड़ित परिवार के एक अन्य रिश्तेदार चंपी हैंगिंग ने कहा कि परिवार को इस बात पर यकीन था कि मीना और लिडिया दोनों मेइती थीं। इसलिए घाटी से सफर करते समय उन्हें कुछ नहीं होगा। वो तीनों एंबुलेंस की मदद से वहां से निकल रहे थे, साथ ही मणिपुर पुलिस की दो गाड़ियां एंबुलेंस को एस्कॉर्ट करते हुए सुरक्षा मुहैया करवा रही थी।
एंबुलेंस में तैनात तीनों मृतक लोगों के साथ गये मेडिकल स्टाफ के एक सदस्य ने कहा कि- “मुझे कांगचुप में असम राइफल्स पोस्ट से एक मरीज को लेने के लिये हमारी कंपनी के प्रोपराइटर का फोन आया। मैं, एक ड्राइवर के साथ मरीज को निकालने के लिये दौड़ा। हमें बताया गया कि वो मैतेई हैं। जैसे ही हम वहाँ पहुँचे हमने दो महिलाओं और एक लड़के को उठाया जिसके सिर में चोट लगी थी। उसकी हालत गंभीर थी। अस्पताल जाने के रास्ते में जिला पुलिस ने हमारा साथ दिया।”
उसने आगे कहा कि- “इरोइसेम्बा पहुंचने से पहले ही हमें कई बार रोका गया। जब हम इरोइसेम्बा (Iroisemba) पहुँचे तो हमें दंगाईयों की एक भीड़ ने हमें रोक लिया और पूरी तरह से घेर लिया। चालक और मुझे एम्बुलेंस से बाहर निकाला गया और पास के एक क्लब में ले जाया गया। पुलिस की तादाद ज्यादा थी। उन्होंने (मणिपुर पुलिस) भीड़ को तितर-बितर करने के लिये फायरिंग नहीं की। वारदात के वक्त शाम के करीब 6.30 बजे थे। हमें क्लब में करीब दो घंटे बैठाये रखा गया।’
मामले को लेकर इंफाल पश्चिम के एसपी इबोम्चा सिंह (SP Ibomcha Singh) की प्रतिक्रिया लेने के लिये जब कॉल और मैसेज किया गया तो उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया।