WB local body elections: पश्चिम बंगाल में 8 जुलाई को होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों ने फिर से सूबे में राजनीतिक हिंसा के दौर को ला दिया है। 8 जून को चुनावी अधिसूचना जारी होने के बाद सात लोगों की मौत हो गयी है, जिनमें सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और इंडियन सेक्युलर फ्रंट (Congress and Indian Secular Front) जैसी विपक्षी पार्टियां शामिल हैं। बंगाल सरकार ने 15 जून के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें सभी जिलों में केंद्रीय बलों की तैनाती का निर्देश दिया गया है। राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग के पास एक ही दिन में राज्य भर में बड़े पैमाने पर ये सब इंतज़ाम करने के पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। इसलिये केंद्रीय बलों की तैनाती का स्वागत किया जाना चाहिए था, खासकर जब उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया है कि तैनाती की लागत का पैसा केंद्र देगी, ना कि राज्य सरकार
त्रिस्तरीय स्थानीय निकाय चुनाव (West Bengal Three Tier Local Body Elections) लगभग 73,897 सीटों पर होंगे। साल 2013 में राज्य चुनाव आयोग ने खुद केंद्रीय बलों की तैनाती के लिये सुप्रीम कोर्ट से निर्देश मांगा था, जो अब इस मौजूदा विरोध के ठीक उलट है। दशकों से राज्य की राजनीति में हिंसा आम बात रही है, और विपक्षी पार्टियां हमेशा सभी चुनावों में केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग करती हैं।
साल 2018 के स्थानीय निकाय चुनावों में केंद्रीय बलों की कोई तैनाती नहीं हुई थी, और एक तिहाई से ज्यादा सीटों पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) के उम्मीदवारों ने बिना किसी मुकाबले के जीत हासिल की थी। इन सीटों पर विपक्षी दलों को कोई उम्मीदवार खड़ा करने की इजाजत नहीं थी। इस बार जहां हालात थोड़े बेहतर है वहीं प्रत्याशियों को डराने-धमकाने की खबरों के बीच राज्य के 341 में से करीब 50 प्रखंडों में विपक्षी दल नामांकन नहीं भर पाये हैं।
इसी क्रम में राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस (Governor C.V. Anand Bose) ने भांगर और कैनिंग में हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया, साथ ही राजभवन कोलकाता (Raj Bhavan Kolkata) ने कंट्रोल रूम खोला है, जहाँ नागरिक चुनाव से संबंधित अपनी शिकायतें दर्ज कर सकते हैं। राज्यपाल ने इसे पीस रूम का नाम दिया है। यहां नागरिकों की ओर से दी गयी शिकायत सीधे राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग को फॉरवर्ड की जायेगी। राज्यपाल ने बिगड़ती कानून व्यवस्था के हालातों पर ध्यान केंद्रित किया है और राज्य चुनाव आयोग (West Bengal Election Commission) और राज्य सरकार को हिंसा की शिकायतों को गंभीरता से लेने के लिये कहा है। उन्होंने चुनी हुई सरकार के साथ टकराव से भी सावधानीपूर्वक परहेज किया है।
पश्चिम बंगाल (West Bengal) लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण के मकसद से त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली रखने वाले पहले राज्यों में से एक था। ऐसे में स्टेकहोल्डर्स समेत सभी राजनीतिक दलों को ये सुनिश्चित करना होगा कि पंचायत पदाधिकारियों के चुनाव की कवायद अराजकता में न तब्दील हो जाये।