न्यूज डेस्क (देवव्रत उपाध्याय): Atiq Ahmed Murder Case: गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद और अशरफ अहमद (Atiq Ahmed and Ashraf Ahmed) की बहन ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है और कथित तौर पर रिटायर जज या स्वतंत्र जांच एजेंसी की अध्यक्षता में सरकार की ओर से की गयी एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल किलिंग (Extra Judicial Killing) की छानबीन की मांग की है। बता दे कि अतीक अहमद और अशरफ अहमद की 15 अप्रैल को उत्तर प्रदेश में पुलिस हिरासत में गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी।
आयशा नूरी की ओर से दायर याचिका में उनके भतीजे और अतीक अहमद के बेटे की मुठभेड़ में हत्या की जांच की भी मांग की गयी है। आयशा नूरी (Ayesha Noori) ने अपनी याचिका में कहा कि- उत्तर प्रदेश सरकार (Government of Uttar Pradesh) ने उनके परिवार को निशाना बनाकर फर्जी मुठभेड़ और हत्यायें करवाने की मुहिम छेड़ रखी है। इसकी स्वतंत्र एजेंसी से बड़े पैमाने पर जांच करवायी जानी चाहिये।
याचिका में कहा गया है कि हिरासत में न्यायेतर हत्यायें करवाने वाले उच्च-स्तरीय लोगों को पकड़ने के लिये स्वतंत्र जांच एजेंसी की दरकार है, जो लोग इस मुहिम से जुड़े हुए है। याचिका में उन्होंने कोर्ट को वारदात के बारे में जानकारी दी और इसे राज्य प्रायोजित हत्यायें (State Sponsored Killings) करार दिया। इसमें उत्तरदाताओं की ओर से किये गये न्यायेतर हत्याओं के अभियान की छानबीन सुप्रीम कोर्ट की रिटायर जज से करवाये जाने या फिर स्वतंत्र एजेंसी से मामले की पड़ताल करवाये जाने की गुज़ारिश की।
याचिका में उन्होंने कहा कि, “उत्तरदाता याचिकाकर्ता के भाइयों, दिवंगत खालिद अजीम उर्फ अशरफ और दिवंगत अतीक अहमद के साथ-साथ याचिकाकर्ता के परिवार के अन्य सदस्यों की मौत के लिये सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं, जिनकी मौत कुछ ही दिनों के अंतराल पर हुई।”
याचिका में यह भी कहा गया है कि प्रतिवादी-पुलिस अधिकारी यूपी सरकार के पूर्ण समर्थन का आनंद ले रहे हैं, जिसने उन्हें प्रतिशोध के तहत याचिकाकर्ता के परिवार के सदस्यों को मारने, अपमानित करने, गिरफ्तार करने और परेशान करने की पूरी छूट दे दी है।
याचिकाकर्ता ने इस बात पर रोशनी डाली कि याचिकाकर्ता के परिवार के सदस्यों और अन्य व्यक्तियों की मौतें उत्तर प्रदेश सरकार के शातिराना, मनमाने और गैरकानूनी अभियान का हिस्सा हैं। इस तरह की व्यापक और स्वतंत्र जांच के अभाव में, संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत याचिकाकर्ता और उसके परिवार के सदस्यों के अधिकारों का उल्लंघन होगा क्योंकि संविधान का अनुच्छेद 21 राज्य के अधिकारियों पर याचिकाकर्ता के परिवार के सदस्य मौतों की कारगर ढंग से जांच करने के लिये प्रशासनिक दबाव डालता है।
याचिकाकर्ता ने उत्तर प्रदेश सरकार (Government of Uttar Pradesh) की ओर से याचिकाकर्ता के परिवार को निशाना बनाकर की जा रही मुठभेड़, हत्याओं, गिरफ्तारियों और उत्पीड़न करने की मुहिम की स्वतंत्र जांच एजेंसी से व्यापक छानबीन कराने का निर्देश जारी करने और उत्तरदाताओं (यूपी सरकार) को जारी निर्देशों का पालन करने का निर्देश देने की मांग की। बता दे कि सुप्रीम कोर्ट याचिकाकर्ता के परिवार के सदस्यों और उनके सहयोगियों की हिरासत और न्यायेतर मौतों की जांच कर रही है।
याचिकाकर्ताओं ने याचिकाकर्ता के परिवार के सदस्य और उनके सहयोगी ने शीर्ष अदालत के फैसले का पालन करने और कथित मुठभेड़ों को अंजाम देने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302, 201, 120-बी और 193 के तहत अपराधों के लिये एफआईआर दर्ज करने की भी मांग की।