न्यूज डेस्क (वृंदा प्रियदर्शिनी): जम्मू-कश्मीर सरकार (Jammu and Kashmir) ने सूबे की सुरक्षा के लिये खतरा होने के चलते तीन और सरकारी कर्मचारियों की सेवायें खत्म कर दी हैं। सरकार ने ये कदम संविधान के अनुच्छेद 311(2)(सी) के तहत उठाया, जो कि सरकार को किसी कर्मचारी को बिना जांच किये बर्खास्त करने की मंजूरी देता है। बता दे कि राज्य सरकार ने कुछ इसी तरह एक महीने से भी कम वक्त के भीतर इस अनुच्छेद की मदद से शोपियां बलात्कार-हत्या विवाद में कथित रूप से शामिल दो डॉक्टरों नौकरी से निकाल दिया था।
सामने आयी जानकारी के मुताबिक कश्मीर विश्वविद्यालय (Kashmir University) के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) फहीम असलम, राजस्व अधिकारी मुरावत हुसैन मीर और पुलिस अधिकारी अरशद अहमद थोकर को बर्खास्त करने का फरमान आज (17 जनवरी 2023) जारी कर दिया गया।
नौकरी से निकाले गये फहीम असलम (Faheem Aslam) के पास कश्मीर विश्वविद्यालय से मास कम्युनिकेशन और जर्नलिज़्म में मास्टर डिग्री है, वो साल 2008 से ही विश्वविद्यालय में पीआरओ हैं। इससे पहले वो स्थानीय अंग्रेजी अखबार दैनिक ग्रेटर कश्मीर (Newspaper Daily Greater Kashmir) के लिये बतौर संवाददाता का काम किया करता था।
नौकरी से निकाले जाने वाला दूसरा शख़्स दक्षिण कश्मीर के रहना वाला मुरावत मीर (Muravat Mir) है, जो कि साल 1985 में राजस्व विभाग में जूनियर अस्सिटेंट के तौर पर अप्वाइंट किया गया था। वहीं अरशद थोकर (Arshad Thokar) को साल 2006 में जम्मू-कश्मीर पुलिस की सशस्त्र शाखा में कांस्टेबल के तौर पर बहाली मिली थी। बाद में उसे साल 2009 में पुलिस की एक्जूक्यूटिव विंग में ट्रांसफर कर दिया गया।
बता दे कि अनुच्छेद 311(2)(सी) सरकार को कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मांगे बिना या उसके चाल चलन की जांच का आदेश दिये बिना उन्हें बर्खास्त करने की मंजूरी देता है। पिछले डेढ़ साल में जम्मू-कश्मीर सरकार ने राज्य की सुरक्षा के मद्देनज़र संभावित खतरों को देखते हुए लगभग 52 कर्मचारियों की सेवायें खत्म कर दी हैं। फिलहाल ये सामने नहीं आ आ सका है कि इन लोगों को किन वज़हों से नौकरी से निकाला गया। हटाये गये राजकीय कर्मचारियों में से छह जम्मू क्षेत्र से हैं, जबकि बाकी कश्मीर घाटी से तालुक्क रखते हैं।