न्यूज डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत दर्ज मामले में गैंगस्टर दीपक बॉक्सर (Gangster Deepak Boxer) के खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट (Patiala House Court) में आरोप पत्र दायर किया। यह चार्जशीट दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मकोका की धाराओं के तहत 13 जुलाई को दाखिल की गयी थी। आरोप है कि दीपक बॉक्सर जितेंद्र उर्फ गोगी गैंग (Jitendra Gogi Gang) के क्राइम सिंडिकेट का हिस्सा है। बता दे कि इस मामले में 15 अन्य आरोपी हिरासत में हैं और मामले में आरोपपत्र पहले ही दाखिल किया जा चुका है।
कोर्ट ने हाल ही में दीपक बॉक्सर से जुड़ी जांच की अवधि बढ़ाने से इनकार कर दिया है। इसके बाद पुलिस ने दीपक बॉक्सर के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया, इस मामले में ये सप्लीमेंट्री चार्जशीट है। वो इस मामले में फरार हो गया था और इसी साल अप्रैल में मैक्सिको (Mexico) भागने के बाद 15 अप्रैल 2023 को गिरफ्तार किया गया था। विशेष न्यायाधीश शैलेन्द्र मलिक (Special Judge Shailendra Malik) अब 28 जुलाई 2023 को दीपक पहल उर्फ बॉक्सर के खिलाफ आरोप पत्र पर सुनवाई करेगें।
कोर्ट ने दीपक बॉक्सर के खिलाफ एक मामले में जांच की अवधि 90 दिन से ज्यादा बढ़ाने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि कानून में उम्मीद की जाती है कि जांच एजेंसी बिना गैरजरूरी देरी के ईमानदारी से जांच करेगी। इस तरह की कवायद को महज औपचारिकता के तौर पर नहीं लिया जा सकता क्योंकि इसमें शामिल अभियुक्तों की स्वतंत्रता का बहुमूल्य अधिकार शामिल है। विशेष न्यायाधीश शैलेन्द्र मलिक ने 11 जुलाई को जांच की अवधि बढ़ाने से इनकार कर दिया था।
कोर्ट ने मकोका (MCOCA) से जुड़े प्रावधानों का जिक्र किया और कहा कि, “उन हालातों से निपटने के लिये प्रावधान किया गया है, जहां गंभीर प्रयास करने के बावजूद मामले की प्रकृति, तथ्य और सबूत ऐसे हैं कि जिनकी तफ्तीश 90 दिनों में पूरी करना नामुमकिन नहीं है।”
विशेष न्यायाधीश मलिक ने कहा कि, “हालांकि मौजूदा मामले में सबसे पहले लोक अभियोजक (Public Prosecutor) की रिपोर्ट उन खास हालातों के बारे में पूरी तरह से चुप है, जिनके लिये आरोपी की न्यायिक हिरासत को बढ़ाने की मांग की गयी है।”
विशेष न्यायाधीश ने सिर्फ ये जिक्र किया था कि जांच में उठाये गये कुछ कदम अधूरे छोड़ दिये गये हैं, जैसे आपराधिक मामलों की वेरिफाइड कॉपी जिसमें आरोपी दीपक बॉक्सर शामिल है, उसे इकट्ठा नहीं किया जा सका, उसकी आमदनी और संपत्तियों से जुड़े प्रमाणिक ब्यौरे भी अदालत के सामने नहीं रखे गये है। इन्हीं बातों को मद्देनज़र रखते हुए अभियुक्तों की ज्युडिशियल कस्टडी (Judicial Custody) को बढ़ाने की वाज़िब कानूनी वज़ह नहीं हो सकती है।
माननीय न्यायालय ने 11 जुलाई को जारी अपने आदेश में कहा था कि, “कोर्ट सिर्फ जांच एजेंसी के आदेश पर काम नहीं करेगी।”
कोर्ट ने आदेश की कॉपी एडिशनल सीपी प्रमोद कुमार कुशवाह को भी भेजने का निर्देश दिया। इसके साथ ही एक कॉपी स्पेशल सी.पी. (विशेष सेल) एच.जी.एस. धालीवाल को भी भेजने को कहा। जांच अवधि बढ़ाने की मांग इस आधार पर की गयी थी कि आरोपियों के खिलाफ दर्ज कई मामलों की वेरिफाईड कॉपी इकट्ठा की जा रही है। साथ ही सेटिफिकेट की कॉपियां हासिल करने के लिये अलग अलग अदालतों में अर्जी दी जा चुकी है।
बता दे कि आरोपी दीपक पहल के पैन कार्ड और पिछले 10 सालों के आईटीआर से जुड़ी जानकारियां मुख्य आयकर आयुक्त के कार्यालय से आनी बाकी है। अतिरिक्त. पीपी ने एमसीओसी अधिनियम की धारा 21(2)(बी) के तहत दायर रिपोर्ट में आरोपी की न्यायिक हिरासत को 90 दिन से बढ़ाकर 150 दिन करने की मांग की गयी। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस मामले में दीपक पहल उर्फ बॉक्सर को पहले 9 दिसंबर, 2020 को घोषित अपराधी घोषित किया गया था।
इसके बाद उसी दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने दूसरी एफआईआर के तहत गिरफ्तार कर लिया गया। चूंकि दीपक पहल मौजूदा मामले में भी वांछित था, इसलिये उसे 15 अप्रैल 2023 को इस मामले में गिरफ्तार किया गया। चूंकि दीपक की 90 दिनों की न्यायिक हिरासत की तारीख 14 जुलाई, 2023 को या उससे पहले खत्म हो रही है।
उधर दूसरी ओर दीपक बॉक्सर के वकील वीरेंद्र मुआल (Advocate Virendra Mual) ने अर्जी का पुरजोर विरोध किया। उन्होंने कहा कि आवेदन में लिये गये आधार काफी कमजोर और कानून के मुताबिक टिकाऊ नहीं हैं। उन्होंने ये भी कहा कि आवेदन में कोई वाज़िब वज़ह नहीं दी गयी है। उन्होंने तर्क दिया कि अभियुक्तों को जमानत मिलने का उनका बेशकीमती हक़ मारा जा रहा है।