न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ): Manipur Unrest: सुप्रीम कोर्ट ने आज (20 जुलाई 2023) कहा कि वो उस वीडियो से बहुत परेशान है, जो कि हाल रही में सामने आया है जिसमें दो आदिवासी महिलाओं को नग्न परेड करते और उनके साथ छेड़छाड़ करते देखा गया है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय (Hon’ble Supreme Court) ने केंद्र और राज्य से अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud), न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा (Justice PS Narasimha and Justice Manoj Mishra) की न्यायिक पीठ ने कहा कि ये प्रकरण सरासर नामंजूर है और महिलाओं को हिंसा में साधन के तौर पर इस्तेमाल करना अस्वीकार्य है। कल ऑनलाइन सामने आए एक वीडियो पर स्वत: संज्ञान लेते हुए पीठ ने केंद्र और राज्य से इस मुद्दे पर उठाये गये कदम का मूल्यांकन करने को कहा। अपना रूख़ स्पष्ट करते हुए न्यायिक पीठ ने कहा कि- “ये बिल्कुल अस्वीकार्य है। सांप्रदायिक संघर्ष वाले इलाके में लैंगिक हिंसा भड़काने के लिये महिलाओं को साधन के तौर पर इस्तेमाल करना बेहद परेशान करने वाला है।” .
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि- ये संवैधानिक दुरुपयोग और मानवाधिकारों का सबसे बड़ा उल्लंघन है। जो वीडियो सामने आये हैं उससे हम बेहद परेशान हैं।’ अगर सरकार कार्रवाई नहीं करती है तो हम कार्रवाई करेंगे’
पीठ ने कहा कि उसे सरकारों की ओऱ से उठाये गये कदमों से अवगत कराया जाना चाहिए ताकि अपराधियों पर ऐसी हिंसा के लिये मामला दर्ज किया जा सके और आने वाले कल में ऐसी वारदातों को रोकने के लिये क्या कदम उठाये गये हैं, इस बारे में भी बताया जाये। पीठ ने कहा कि ”वीडियो मई महीने का हो सकता है, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।’ मीडिया में जो दिखाया गया है और जो विजुअल्स सामने आये हैं, वो काफी गंभीर संवैधानिक उल्लंघन और महिलाओं को हिंसा के साधन के तौर पर इस्तेमाल करके मानव जीवन का उल्लंघन करते हैं, ये संवैधानिक लोकतंत्र के खिलाफ है। केंद्र और राज्य को उठाए गये कदमों से अदालत को अवगत करवाया जाये।”
केंद्र और मणिपुर सरकार (Government of Manipur) की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने भी घटना की निंदा करते हुए कहा, “ये अस्वीकार्य है।” मेहता ने आगे कहा कि, “सरकार भी इस घटना से बेहद चिंतित है। ऐसी घटनायें हमें पूरी तरह से नामंजूर हैं।” सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की प्रतिक्रिया के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई 28 जुलाई तक के लिये टाल दी। शीर्ष अदालत ने मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों (Meitei and Kuki Communities) के बीच हिंसा से संबंधित मामलों को भी सीज़्ड कर लिया है।