Manipur Ethnic Violence: खूनखराबे और मारकाट के बीच उठी मणिपुर को तीन हिस्सों में बांटने की मांग

न्यूज डेस्क (अमित त्यागी): Manipur Ethnic Violence: मणिपुर लगातार अराजकता के हालातों में बना हुआ है और राज्य के कई हिस्सों में हो रही हिंसक घटनाओं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं। मणिपुर में हिंसा की वज़ह से विपक्ष और राज्य सरकार के बीच सियासी जंग भी छिड़ गयी है और साथ ही अलग केंद्र शासित प्रदेश की मांग भी उठने लगी है।

मणिपुर में अशांति के बीच कुकी और मैतेई (Kuki and Meitei) नेताओं ने एक अलग केंद्र शासित प्रदेश की मांग उठानी शुरू कर दी है, और अधिकारियों से राज्य में जातीय हिंसा को खत्म करने के लिये मणिपुर को तीन अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के लिये दरख्वास्त भेजी है।

मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद सुर्खियों में आये कुकी नेता और भाजपा विधायक पाओलीनलाल हाओकिप (BJP MLA Paolinlal Haokip) ने कहा कि राज्य के नस्लीय संघर्ष का समाधान खोजने का एकमात्र रास्ता मणिपुर को तीन अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों बांटकर ही निकल सकता है।

एक इंटरव्यूह के दौरान हाओकिप ने राज्य में जातीय अलगाव को राजनीतिक और प्रशासनिक मान्यता देने की वकालत की, साथ ही कुकी समुदाय के नेताओं की ओर से कुकी इलाकों के लिये अलग प्रशासन की पहले से की गयी अस्पष्ट रूप से बतायी गयी मांगों को और ज्यादा बढ़ा दिया।

इससे पहले दोनों समुदायों के बीच जातीय संघर्ष को सुलझाने की कोशिश में 10 कुकी विधायकों ने एक साथ मिलकर मणिपुर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने की पैरवी की थी, जिसमें एक हिस्सा उनकी जनजाति को और दूसरा हिस्सा मैतेई समुदाय को दिये जाने की वकालत की गयी थी।

कुकी समुदाय ने जातीय हिंसा के समाधान की उम्मीद में केंद्र सरकार से उन इलाकों में एक अलग प्रशासन देने ने की मांग की है, जहां उनकी जनजाति रहती है। कुकियों ने झड़पों की नस्लीय आवाज़ को खत्म करने और खूनखराबे को रोकने के लिये इस प्रस्ताव का सुझाव दिया है।

इस बीच आलोचकों का कहना है कि इस फॉर्मूलेशन से सीधे तौर पर अलग-अलग नागा, कुकी और मैतेई इलाके बन जायेगें, लेकिन इस फॉम्यूले को उन इलाकों में लागू करना काफी मुश्किल होगा जहां कई गांवों और जिलों में मिलीजुली जनजातीय आबादी रहती है।

हाओकिप ने आगे कहा कि, “जैसा कि मैं देखता हूं, आगे बढ़ने का रास्ता केंद्र सरकार के लिये जातीय अलगाव को राजनीतिक और प्रशासनिक मान्यता देना है, जहां मणिपुर राज्य को तीन केंद्र शासित प्रदेशों के तौर पर बांटकर मौजूदा समस्या का समाधान किया जा सकता है।”

हालाँकि केंद्र सरकार ने मणिपुर राज्य को विभाजित करने के किसी भी मांग का जवाब नहीं दिया है और कहा है कि वो राज्य में हिंसा को हल करने के लिये लगातार ज़मीनी काम कर रहे हैं।

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