वैज्ञानिक तौर पर कहें तो रुद्राक्ष (Rudraksha) एक फल की गुठली (बीज) है। संसार में यही एक ऐसा फल है, जिसको खाया नहीं जाता बल्कि गुद्दे को निकालकर उसके बीज को धारण किया जाता है। ये एक ऐसा बीज (काष्ठ रुपक) है, जो पानी में डूब जाता है। पानी में डूबना ये दिखाता है कि इसका आपेक्षिक घनत्व ज्यादा है, क्योंकि इसमें लोहा, जस्ता, निकल, मैंगनीज, एल्यूमिनियम, फास्फोरस, कैल्शियम, कोबाल्ट, पोटैशियम, सोडियम, सिलिका, गंधक जैसे तत्व होते हैं। इसी वजह से रुद्राक्ष का मानव शरीर से स्पर्श को महान गुणकारी बतलाया गया है।
हमारे देश भारत में इसका इस्तेमाल आध्यात्मिक क्षेत्र में ज्यादा तौर पर किया जाता है। हमारे देश में व्यावसायिक तौर से रुद्राक्ष प्राय: तीन रंगो में पाया जाता है। लाल, मिश्रित लाल व काला। इसमें धारियां बनी रहती हैं। इन धारियों को मुख कहा गया है। एक मुखी से लेकर इक्कीस मुखी तक रुद्राक्ष होते हैं। परंतु वर्तमान में चौदहमुखी तक रुद्राक्ष उपलब्ध हैं।
रुद्राक्ष के एक ही वृक्ष से कई प्रकार के रुद्राक्ष मिलते हैं। एक मुखी रुद्राक्ष को साक्षात् शिव (Shiv) का स्वरूप कहा गया है। सभी मुख वाले रुद्राक्षों का अपना एक अलग महत्व होता है। हमारे ऋषि-मुनियों के मुताबिक इन रुद्राक्षों के मुख के अनुसार देवों की महिमा बतलाई गयी है। ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक निम्नानुसार मंत्र-जाप करने से कष्ट निवारण का महत्व दिखलाया गया है।
रुद्राक्ष एवं उसके समर्पित देवता के मंत्र
1 मुखी
(समर्पित देव – साक्षात भगवान ‘शिव’)
मंत्र – ॐ नमः शिवाय
2 मुखी (गौरीशंकर)
(समर्पित देव – अर्धनारीश्वर (शिव – शक्ति)
मंत्र – ॐ नमः
3 मुखी
(समर्पित देव – अग्निदेव)
मंत्र – ॐ क्लीं नमः
4 मुखी
(समर्पित देव – ब्रह्मा, सरस्वती)
मंत्र – ॐ ह्रीं नमः
5 मुखी
(समर्पित देव – कालाग्नि रुद्र)
मंत्र – ॐ ह्रीं नमः
6 मुखी
(समर्पित देव – कार्तिकेय (मुरुगन)
मंत्र – ॐ ह्रीं हुं नमः
7 मुखी
(समर्पित देव – नागराज)
मंत्र – ॐ ह्रीं हुं नमः
8 मुखी
(समर्पित देव – भैरव, अष्ट विनायक)
मंत्र – ॐ हुं नमः
9 मुखी
(समर्पित देव – माँ दुर्गा)
मंत्र – ॐ ह्रीं दुं दुर्गायै नमः, ॐ ह्रीं हुं नमः
10 मुखी
(समर्पित देव – श्री हरि विष्णु)
मंत्र – ॐ नमो भवाते वासुदेवाय ॐ ह्रीं नमः
11 मुखी
(समर्पित देव – एकादश रुद्र)
मंत्र – ॐ तत्पुरुषाय विदमहे महादेवय धीमही तन्नो रुद्रः प्रचोदयात, ॐ ह्रीं हुं नमः
12 मुखी
(समर्पित देव – सूर्य)
मंत्र – ॐ ह्रीम् घृणिः सूर्यआदित्यः श्रीं, ॐ क्रौं क्ष्रौं रौं नमः
13 मुखी
(समर्पित देव – कार्तिकेय, इंद्र, इंद्राणी)
मंत्र – ऐं हुं क्षुं क्लीं कुमाराय नमः, ॐ ह्रीं नमः
14 मुखी
(समर्पित देव – शिव, हनुमान, आज्ञा चक्र)
मंत्र – ॐ नमः
15 मुखी
(समर्पित देव – श्री पशुपति नाथ)
मंत्र – ॐ पशुपत्यै नमः
16 मुखी
(समर्पित देव – महामृत्युंजय, महाकाल)
मंत्र – ॐ ह्रौं जूं सः त्र्यंबकम् यजमहे सुगंधिम् पुष्टिवर्धनम उर्वारुकमिव बंधनान् मृत्योर्मुक्षीय सः जूं ह्रौं ॐ
17 मुखी
(समर्पित देव – विश्वकर्मा, माँ कात्यायनी)
मंत्र – ॐ विश्वकर्मणे नमः
18 मुखी
(समर्पित देव – माँ पार्वती)
मंत्र – ॐ नमो भगवते नारायणाय
19 मुखी
(समर्पित देव – श्री नारायण)
मंत्र – ॐ नमो भवाते वासुदेवाय
20 मुखी
(समर्पित देव – ब्रह्मा)
मंत्र – ॐ सच्चिदेकं ब्रह्म
21 मुखी
(समर्पित देव – श्री कुबेर)
मंत्र – ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्य समृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा ।।