Ghosi Bypolls: सत्तारूढ़ भाजपा उत्तर प्रदेश के घोसी में 5 सितंबर को होने वाले उपचुनाव के लिये दलित मतदाताओं को लुभाने के लिये हर मुमकिन कोशिश कर रही है, ताकि मैदान में मायावती (Mayawati) की अगुवाई वाली बसपा की गैरमौजूदगी का फायदा उठाया जा सके। अपने चुनावी अभियान के दौरान दलितों तक पहुंचने के लिये भाजपा ने साल 1995 के गेस्ट हाउस कांड की घटना का भी जिक्र किया, जब समाजवादी पार्टी (सपा) के कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर मायावती पर हमला करने की कोशिश की थी।
घोसी में भाजपा उम्मीदवार दारा सिंह चौहान (Dara Singh Chauhan) के लिये प्रचार करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीते शनिवार (2 सितम्बर 2023) को एक चुनावी रैली के दौरान कहा कि, “जब सपा को मौका मिला तो उसने गेस्ट हाउस कांड का अंजाम दिया।”
अपने भाषण के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने विपक्षी दलों, अखिलेश यादव की अगुवाई वाली सपा और कांग्रेस पर हमला किया, लेकिन मायावती पर निशाना नहीं साधा। साल 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा उत्तर प्रदेश में अपनी सार्वजनिक बैठकों में मायावती को निशाना बनाने से बच रही है क्योंकि उसे लगता है कि बसपा सुप्रीमो की किसी भी आलोचना से दलितों को लुभाने के उसकी कोशिश को खासा नुकसान हो सकता है।
बता दे कि कुख्यात गेस्ट हाउस कांड जून 1995 में हुआ था, तत्कालीन मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद सपा कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर लखनऊ वीवीआईपी गेस्टहाउस में मायावती पर हमला करने की कोशिश की थी। मायावती ने अपने गेस्टहाउस के कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया था जबकि सपा कार्यकर्ता बाहर जमा थे। भाजपा नेताओं ने ये भी दावा किया था कि उन्होंने उसे बचाया था। इस घटना से राज्य में दलितों और कई गैर-यादव ओबीसी समुदायों में सपा के खिलाफ खासा नाराजगी फैल गयी थी।
रैली को संबोधित करते हुए आदित्यनाथ ने कथित तौर पर बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर (Babasaheb Bhimrao Ambedkar) मेडिकल कॉलेज और कांशी राम विश्वविद्यालय के नाम बदलने के लिये पिछली अखिलेश यादव की अगुवाई वाली सपा सरकार पर भी निशाना साधा।
अपने शासनकाल के दौरान मायावती ने लखनऊ में अंबेडकर, बसपा संस्थापक कांशीराम (BSP founder Kanshi Ram) और कुछ अन्य समाज सुधारकों के नाम पर कई स्मारक और पार्क बनवाये थे। मायावती शासन के दौरान प्रमुख विपक्ष रही सपा पर हमला करने के लिये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि- ‘‘अखिलेश ने तब ये ऐलान करके महान हस्तियों का अपमान किया था कि सत्ता में आने के बाद वो मैरिज हॉल खोलने के लिये इन स्मारकों को गिरा देंगे।
इसी मामले पर एक नेता ने कहा कि-“भाजपा ने भी इन स्मारकों और पार्कों में हाथियों की मूर्तियों पर जनता का पैसा खर्च करने के लिये बसपा सरकार की आलोचना की थी। लेकिन शनिवार को उसने मौका पाकर इसी मुद्दे पर सपा पर निशाना साधा। इससे पता चलता है कि बीजेपी दलितों के वोट पाने के लिये काम कर रही है और वो बीएसपी नेतृत्व पर नरमी बरता रही है।”
इसी मुद्दे पर घोसी में दलितों के बीच प्रचार करने वाले बीजेपी प्रवक्ता जुगल किशोर (BJP spokesperson Jugal Kishore) ने कहा कि, ”घोसी में 90,000 से ज्यादा जाटव दलित वोट हैं। 70 फीसदी से ज्यादा दलित बीजेपी उम्मीदवार को वोट देने जा रहे हैं। सपा गलत तरीकों का इस्तेमाल कर बाकी 30 फीसदी वोट हासिल करने की कोशिश कर रही है। मायावती जाटव समुदाय से हैं, घोसी में कुल करीब 4.30 लाख वोटर्स हैं।
गेस्ट हाउस घटना को उछालने की भाजपा की कोशिश पर किशोर ने कहा कि, “हम गेस्ट हाउस घटना का मुद्दा उठाते हैं क्योंकि भाजपा दलितों की सबसे बड़ी शुभचिंतक है। हम लोगों को बता रहे हैं कि बीजेपी ने उस घटना में दलित महिला मायावती की जान की रक्षा की थी और सरकार बनाने के लिये बीएसपी को समर्थन दिया था। राज्य में भाजपा सरकार का ये दूसरा कार्यकाल है लेकिन हमारी सरकार ने मायावती सरकार की ओर से नामित किसी भी जिले या संस्थान का नाम नहीं बदला।”
भाजपा के एक नेता ने कहा कि- “पार्टी के लिये साल 2024 के संसदीय चुनावों से पहले यूपी में दलितों का समर्थन हासिल करने के अपने प्रयासों को तेज करने की एक बड़ी और अहम वज़ह साल 2022 में राज्य विधानसभा चुनावों के नतीजे थे, जिसमें अनुसूचित जाति (एससी)-आरक्षित में उसका गिरता प्रदर्शन था।”
राज्य की कुल 403 विधानसभा सीटों में से दो सीटें अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिये रिजर्व हैं, ओबरा और दुद्धी जो कि साल 2022 और 2017 के चुनावों में भाजपा ने जीती थीं।
साल 2017 के चुनावों में 84 एससी-आरक्षित सीटों में से भाजपा ने 69 सीटें जीती थीं, सपा ने सात और बसपा ने सिर्फ दो सीटें जीती थीं। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) ने ऐसी तीन सीटें जीती थीं, अपना दल (सोनेलाल) ने दो सीटें जीती थीं, जबकि एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार ने जीती थी। साल 2017 के चुनावों में एसबीएसपी और अपना दल (एस) दोनों भाजपा के सहयोगी थे, जिससे अनुसूचित जाति सीटों पर भाजपा की अगुवाई वाले गठबंधन की तादाद 74 सीटों तक पहुंच गयी।
हालांकि साल 2022 के चुनावों में भाजपा की अगुवाई वाला गठबंधन सामूहिक रूप से 63 एससी सीटें जीत सकता है, जबकि भाजपा खुद 58 सीटें जीत सकती है, जो कि साल 2017 के मुकाबले 11 कम है। इसके ठीक उलट एसपी और उसके सहयोगियों ने इन सीटों पर अपने प्रदर्शन में सुधार करते हुए कुल मिलाकर 20 सीटें जीतीं, एसपी ने खुद 16 सीटें हासिल कीं, जो कि साल 2017 के आंकड़े से 9 ज्यादा हैं।
भाजपा के लिये अपनी दलित पहुंच बढ़ाना इसलिए भी अहम है क्योंकि सपा भी इस समुदाय को लुभाने के लिये लगातार ज़मीनी काम कर रही है। इस साल 15 मार्च को एसपी ने दलित आंदोलन और सामाजिक सुधारों में उनके योगदान को मान्यता देते हुए कांशीराम की जयंती मनायी थी। तब अखिलेश ने आरोप लगाया था कि बसपा अंबेडकर और कांशीराम के दिखाये रास्ते पर नहीं चल रही है।
बाद में सपा ने 14 अप्रैल को राज्य भर के सभी जिलों में पार्टी कार्यालयों में बड़े पैमाने पर अंबेडकर की जयंती मनायी। दलितों तक पहुंचने की कोशिश करते हुए, एसपी ने इस साल की शुरुआत में कोलकाता में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान मंच पर अखिलेश के बगल में पार्टी के अनुभवी विधायक दलित (पासी) नेता अवधेश प्रसाद को बैठाया था।
घोसी उपचुनाव में चौहान और सपा उम्मीदवार सुधाकर सिंह के बीच सीधी लड़ाई है, जिन्हें कांग्रेस का समर्थन हासिल है। दिलचस्प बात ये है कि चौहान ने साल 2022 के चुनाव में ये सीट सपा के टिकट पर जीती थी। इस साल जुलाई में वो सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हो गये, जिसके चलते उपचुनाव कराना पड़ा।