न्यूज़ डेस्क (शेफाली शर्मा): देशव्यापी लॉक डाउन ने सभी के लिए तरह-तरह की समस्याएं खड़ी कर दी हैं परंतु सबसे बड़ी समस्या शहरों में फंसे प्रवासी मजदूरों के आवाजाही की है। अलग-अलग शहरों में लॉक डाउन के चलते दिहाड़ी मजदूरों को उनके घर पर वापिस पहुँचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई।
वकील प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) द्वारा दायर इस याचिका की सुनवाई के दौरान जस्टिस एन वी रमन्ना की पीठ ने केंद्र सरकार से जवाब माँगा है कि क्या केंद्र सरकार के पास मजदूरों को उनके घर भेजने की कोई योजना है। सर्वोच्च न्यायालय ने जवाब देने के लिए केंद्र सरकार को एक हफ्ते का समय दिया है।
दरअसल याचिका में कहा गया है कि गाँव-देहात से बड़ी संख्या में दिहाड़ी मजदूर देश के अलग-अलग बड़े शहरों में फंसे हुए है। COVID-19 लॉक डाउन के चलते दिहाड़ी मजदूरों के पास अब खाने तक के लिए पैसे नही है तो ऐसी स्थिति में जो कामगार मजदूर कोरोना मुक्त है उन्हें घर भेजने की व्यवस्था की जानी।
केंद्र सरकार की ओर से याचिका का जवाब देते हुए सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने कहा कि सरकार ऐसे मजदूरों की चिंता कर रही है और उन्हें खाने और रहने की सुविधाएं भी प्रदान की जा रही हैं। सरकार मजदूरों के अधिकारों का पूरी तरह से ख्याल रख रही है। एसजी ने कहा कि मजदूरों को घर भेजने से संक्रमण का गंभीर खतरा पैदा हो सकता है। जो संक्रमण अब तक गांवों में नहीं फैला है, उसके वहां भी फैलने का गंभीर खतरा है।
गृह सचिव अजय भल्ला ने कि लॉक डाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों को कुछ विशेष शर्तों के साथ राज्य के भीतर ही काम करने की अनुमति दी जा सकती है. परंतु 3 मई तक लॉक डाउन बढ़ने के कारण किसी भी प्रकार से मजदूरों को अंतर राज्य की आवाजाही की अनुमति नहीं दी जा सकती।