नई दिल्ली (दीप्ति गोस्वामी): तेजी से बढ़ते वायरस इंफेक्शन के मद्देनज़र पीएम मोदी ने जनता से आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करने की अपील की थी। इस ऐप की मदद से वायरस इंफेक्शन डेंसिटी ट्रैसिंग (Virus infection density tracing), ट्रैकिंग और मॉनिटरिंग करने में स्थानीय प्रशासन (Local administration) को काफी मदद मिलेगी। बहरहाल मौजूदा हालातों में, ये यूजर द्वारा सबसे ज़्यादा डाउनलोड की जाने वाली ऐप बन गयी है। तकरीबन पूरे देशभर में 83 मिलियन यूजर इसका इस्तेमाल कर रहे है। वायरस इंफेक्शन के खिल़ाफ जंग में सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology) का इस्तेमाल करने वाला भारत पहला देश नहीं है। इससे पहले ठीक इसी तर्ज पर चीन, अमेरिका, सिंगापुर, हांगकांग समेत कई यूरोपीय देशों भी ऐप विकसित कर चुके है। लेकिन ऐसा मुल्क जहां डेटा निगरानी, गोपनीयता (Privacy) और डेटा संरक्षण (Data protection law) से जुड़े कानून (टेलीग्राफ अधिनियम 1885 अभी लागू है) का कोई मतलब नहीं है। वहाँ इस तरह की कवायद काफी डरावनी है।
जानी मानी अन्तर्राष्ट्रीय भारतीय लेखक अरुंधति रॉय इस मसले पर कहती है कि- कोरोना वायरस भारत सहित निरंकुश देशों (Autocratic countries) के लिए नायाब तोहफा है। कोरोना के दस्तक देने से पहले भारत के लोग सर्विलांस स्टेट (जनता की निगरानी करने वाला देश) में सोये हुए थे। जब देश में कोरोना का कहर थमेगा। तब जनता सुपर सर्विलांस स्टेट (Super surveillance state) में होगी।
निजी आंकड़ों का खुलासा, व्यक्तिगत गोपनीयता का उल्लंघन और नागरिकों की उच्चस्तरीय निगरानी (Disclosure of personal data, violation of personal privacy and high level surveillance of citizens) से जुड़ा मामला कर्नाटक में देखने को मिला। जहां स्थानीय प्रशासन ने क्वारंटाइन (Quarantine) किये गये लोगों की सूची, व्यक्तिगत जानकारियां जीपीएस लोकेशन और जियो टैगिंग (Geo tagging) को सार्वजनिक कर दिया। बड़ा मसला डेटा को संभालने और इस्तेमाल से जुड़ा हुआ है। इस मामले में भारत की रिकॉर्ड कुछ खास नहीं रहा।
दूसरी ओर MyGovIndia के सीईओ अभिषेक सिंह (CEO Abhishek Singh) ने पुख़्ता दावा किया कि- ऐप को गोपनीयता के मूल सिद्धांतों के साथ डेवलप किया गया है। इंफेक्शन के लिहाज़ से जो यूजर कम जोखिम वाली श्रेणी में आते है। उनका डेटा सिर्फ 45 दिनों तक रखा जाता है, साथ ही ज़्यादा जोखिम वाले यूजर का डेटा 60 दिनों तक संरक्षित रखा जाता है।
केन्द्र सरकार की ओर से आश्वासन दिया गया कि- डेटा का इस्तेमाल किसी दूसरे मकसद के लिए नहीं किया जायेगा। साथ ही थर्ड पार्टी तक डेटा एक्सेसबिलीटी (Data accessibility) नहीं होगी।
मौजूदा हालात अपवाद है। ऐसे में व्यक्तिगत स्वतन्त्रता, गोपनीयता और डेटा संरक्षण से जुड़े विषय दूसरे पायदान पर आते है। इंफेक्शन रोकना सरकार की प्राथमिकता है। लेकिन डेटा की गोपनीयता (Data privacy) को लेकर भारत का ट्रैक रिकॉर्ड (Track record of india) उतना मजबूत नहीं रहा है। देश में कई घटनायें सामने आयी है। जहां सरकारी डेटा निजी हाथों तक पहुँचा है। लेकिन एक बार फिर भी सोचना होगा अगर ये मसला उठा है तो इसके पीछे कारणों की एक बड़ी श्रृंखला (A large Chain of reasons) है।