नई दिल्ली (प्रगति चौरसिया): कोरोना वायरस की चपेट से जूझ रहा भारत बेहाल है। लेकिन सीमा पर तैनात जवानों के अदम्य शौर्य और साहस में जरा भी कमी नहीं आयी है। बीते दिनों जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सेना के दो अधिकारी, दो जवान, और राज्य पुलिस के एक उप निरीक्षक शहीद हो गए। इसके ठीक बाद घाटी में सीआरपीएफ (CRPF) के ज़वानों पर घात लगाकर हमला कर उन्हें शहीद कर दिया गया। इन आंतकी घटनाओं ने पूरे देश को झकझोर दिया। एक ओर जहां पूरा देश कोरोना वायरस महामारी जैसी विषम परिस्थिति से गुजर रहा है। वही दूसरी ओर जवानों के शहीद होने की खबर से ज्यादा गमगीनीयत और क्या होगी। लेकिन भारतीय सुरक्षाबलों ने आतंकियों की इस कायराना हरकत का मुंहतोड़ जवाब दे दिया।
ऐसे सुरक्षाबलों ने किया ऑपरेशन
हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर रियाज नायकू को जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया। सुरक्षाबलों को पहले से ही ये खुफिया जानकारी थी कि मंगलवार को रियाज नायकू अपने गांव अवंतिपुरा आने वाला है। मौका गंवाए बिना सुरक्षाबलों ने पूरे गांव को चारों ओर से घेर लिया। साथ ही जिस घर का उसने आसरा लिया था, उसे 40 किलो आईईडी से उड़ा दिया। फिलहाल इलाके में और भी आतंकियों के छिपे होने के अंदेशे से सर्च ऑपरेशन अभी भी जारी है।
टेक्निकल स्किल में था माहिर
भारतीय सेना के लिए नायकू की मौत किसी उपलब्धि से कम नहीं है। रियाज नायकू की गिनती खूंखार आतंकियों में की जाती थी। कश्मीरी आतंकवाद का भारतीय चेहरा रियाज नायकू टेक्निकल स्किल का जानकार और बखूबी उसे जमीनी स्तर पर इस्तेमाल करने में माहिर था। घाटी में वह गणित का टीचर भी रह चुका था। टेक्निकल स्किल (Technical skill) में माहिर ये आतंकी घाटी के युवाओं में कई दिनों से जहर भर रहा था। हालांकि पहले भी ये सुरक्षाबलों के चंगुल में आ चुका है। लेकिन घाटी के स्थानीय लोगों द्वारा मिल रही मदद के कारण हर बार फरार होने में सफल रहा। जिस कारण सेना ने उसे A++ कैटेगरी में शामिल किया। साथ ही उस पर 12 लाख का ईनाम घोषित किया।
घाटी में पुलिसकर्मियों का किया अपहरण
हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद नायकू का चेहरा तेजी से उभर कर सामने आया। कमांडर सब्जार भट की मौत के बाद उसे 29 वर्ष की उम्र में हिज्बुल मुजाहिदीन का नया कमांडर बना दिया गया। तब से ही वो भारतीय सेना की हिट-लिस्ट में शामिल हो गया था। नायकू ने पुलिस वालों के अपहरण से अपनी करतूतों की शुरुआत की थी। दरअसल बुरहान वानी की मौत के बाद बौखलाए नायकू ने घाटी के पुलिसकर्मियों को नौकरी छोड़ने की चेतावनी दी थी। जिसे पुलिस वालों ने नकार दिया था। इसके बाद बदले की आग में जलते हुए उसने कई पुलिसकर्मियों का अपहरण किया।
ऐसे बना आतंकवादी
2010 में कुछ लोग घाटी में प्रदर्शन कर रहे थे। हालातों को संभालने के लिए सुरक्षाबलों को आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा था। इस दौरान 17 साल के अहमद मट्टो को आंसू गैस का गोला लगने से जान चली गई थी। इस पूरी कार्रवाई में कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था। जिसमें रियाज नायकू भी शामिल था। हालांकि 2012 में उसे रिहा कर दिया गया था। लेकिन यहां से उसने अपनी राह बदल ली और दहशतगर्दी का दामन थाम लिया। पिता से उसने भोपाल यूनिवर्सिटी में एडमिशन के नाम पर सात हजार मांगे और तब से दोबारा कभी घर नहीं लौटा। जब उसके दहशतगर्द बनने की खबर सामने आई तबसे घरवालों ने उसे हमेशा के लिए मरा हुआ मान लिया।
कांग्रेस ने दी बधाई
घटना के बाद कांग्रेसी नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर सुरक्षाबलों को ऑपरेशन के लिए बधाई दी। साथ ही उन्होंने कहा कि निर्दोष लोगों की मौत पर आतंकवादियों को बख्शा नहीं जा सकता।