न्यूज़ डेस्क (शौर्य यादव): देश के मौजूदा हालात किसी हॉलीवुड फिल्म (Hollywood movie) से कम नहीं है। जहां एक मुसीबत खत्म हो रही है तो दूसरी मुसीबत तैयार है। अभी देश कोरोना वायरस (Corona virus) से जूझ रहा है। अम्फान अपना कहर बरपा कर निकल चुका है। अगली तबाही पाकिस्तान (Pakistan) के रास्ते राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश से होती हुई उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की दहलीज पर खड़ी है। कई करोड़ टिड्डियों (locusts) का समूह फसलें बर्बाद करने के लिए आमादा है। इससे पहले ईरान (Iran) और पाकिस्तान इनकी मचाई हुई तबाही देख चुके हैं। इन टिड्डियों का झुंड कई किलोमीटर में फैला हुआ होता है। साथ ही ये 1 दिन में 200 से 250 किलोमीटर का सफर तय कर सकती हैं। अगर हवा का अनुकूल साथ मिल जाए तो ये और भी काफी लंबा सफर तय कर सकती हैं। फिलहाल राजस्थान के 16, उत्तर प्रदेश के 17 जिले इसकी चपेट में आ चुके हैं। मध्य प्रदेश का एक बड़ा हिस्सा इसकी मार झेल रहा है। इनका हमला पहली बार 30 अप्रैल को राजस्थान (Rajasthan) में देखा गया था। कयास लगाए जा रहे हैं कि राजस्थान और हरियाणा के रास्ते टिड्डियों का हमला दिल्ली में भी हो सकता है।
जलवायु परिवर्तन (Climate change) के कारण आर्द्रता की बढ़ती दशाएं टिड्डियों के प्रजनन (Reproduction) के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनाती हैं। पीली टिड्डियों (Yellow locusts) का हमला वैश्विक स्तर पर सबसे पहले यमन (Yemen) में दर्ज किया गया था। पश्चिम एशिया (West asia) के तकरीबन 17 देश इसकी चपेट में आ चुके हैं। पिछले हफ्ते के दौरान राजस्थान के जैसलमेर, बाड़मेर, सिरोही, जालौर, भीलवाड़ा, श्रीगंगानगर (Shri Ganga Nagar) ,प्रतापगढ़, उदयपुर, नागौर, अजमेर और जोधपुर में पीली टिड्डियों के झुंडो ने अपना प्रकोप दिखाया। कपास, बरसीन, गेहूं, बाजरा, मूंगफली, सब्जियों की फसलों को इनके बड़े समूह तेजी से चट कर जा रहे हैं। जल्द ही भारत में मॉनसून दस्तक देने वाला है ऐसे में इनके प्रजनन चक्र में काफी तेजी आ सकती है।
उत्तर प्रदेश में इनके संभावित हमले को देखते हुए टास्क फोर्स का गठन (Formation of task force) और हेल्पलाइन नंबर (Helpline number) जारी कर दिया गया है। जालौन, ललितपुर, हमीरपुर, इटावा, कानपुर देहात को हाई अलर्ट पर रखा गया है। प्रशासन ने किसी भी प्रकार की सहायता के लिए कंट्रोल रूम नंबर 0522-2205867 जारी कर दिया है। बागपत, शामली, मेरठ, सहारनपुर, और मुजफ्फरनगर जिलों को भी सतर्क कर दिया गया है। ढोल, थाली, कटोरी चम्मच बजाकर इन्हें भगाने के निर्देश जारी किए गए हैं साथ ही इस काम के लिए तेज आवाज वाले दूसरे यंत्रों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। जिसमें डीजे का इस्तेमाल काफी कारगर साबित हो सकता है। साथ ही कृषि विशेषज्ञों (Agricultural experts) द्वारा साइपरमेथ्रिन और क्लोरपाइरीफॉस (Cypermethrin and Chlorpyriphos) के छिड़काव की भी सलाह दी जा रही है।