न्यूज़ डेस्क (दिगान्त बरूआ): न्यायमूर्ति अशोक भूषण (Justice Ashok Bhushan), एसके कौल और अहमद शाह की अगुवाई वाली न्यायिक पीठ (Judicial bench) के सामने जिरह के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) कपिल सिब्बल पर जमकर बरसते हुए, अप्रत्यक्ष रूप से उन्हें प्रलय का दूत (Prophet of Holocaust) कह दिया। लॉकडाउन (Lockdown) के चलते प्रवासी मजदूरों को हो रही दिक्कतों पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय (Honorable Supreme Court) में सुनवाई चल रही थी। मौके पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता कोर्ट के सामने केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे थे। इस बीच तुषार मेहता ने उन लोगों को आड़े हाथों लिया, जो व्यक्तिगत तौर पर मजदूरों की मदद के लिए आगे ना आकर मामले में कानूनी दखल (Legal intervention) दे रहे हैं।
गौरतलब है कि, प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान (Automatic cognition) लिया। साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों से मजदूरों को पहुंचाई जा रही सहायता के बारे में जवाब-तलब दाखिल करने को कहा। केंद्र सरकार का पक्ष रखने के बाद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा- मजदूरों को त्वरित राहत (Quick relief) पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार बड़े पैमाने पर काम कर रही है। माननीय न्यायालय केंद्र सरकार के प्रयासों से संतुष्ट था। लेकिन कुछ प्रलय के दूतों को हर तरफ नकारात्मकता, निराशा और मायूसी ही नज़र आती है। इस तरह के लोग सोशल मीडिया (Social Media) पर सक्रिय होकर, केंद्र सरकार के प्रयासों को खोखला बता रहे हैं। वायरस इन्फेक्शन की इस अभूतपूर्व घड़ी में राज्य सरकारें, स्थानीय निकाय और केंद्र सरकार दिन रात काम कर रहे हैं। लेकिन ये जमात इस बात को मानने के लिए तैयार ही नहीं है। आम लोग सड़कों पर जरूरतमंदों को खाना खिला रहे हैं। लेकिन करोड़ों रुपए कमाने वाले ये लोग, एसी कमरों में बैठकर केंद्र सरकार (Central Government) के प्रयासों की मुखालफत (excoriation) कर रहे हैं। अगर मजदूरों को लेकर ये लोग वाकई फिक्रमंद है तो इन्हें खुद को साबित करना होगा। न्यायालय को किसी भी कीमत पर सियासी अखाड़ा नहीं बनने दिया जायेगा।
तुषार मेहता पर निशाना साधते हुए कपिल सिब्बल ने कहा-देश बहुत बड़ी आपदा (Disaster) से गुजर रहा है। इस मामले का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। साथ ही इसे निजी मुद्दे (Personal issues) के तौर पर देखना गलत है। हालातों को देखते हुए आपदा प्रबंधन अधिनियम (Disaster management act) के तहत राष्ट्रव्यापी योजना (Nationwide plan) बनानी चाहिए। जो कि एनडीएमए (NDMA) द्वारा मान्यता प्राप्त हो। केंद्र सरकार की ओर से इस तरह की योजना बनाने में अभी तक कोई प्रयास नहीं हुए हैं।