न्यूज़ डेस्क (शौर्य यादव): मौजूदा वक्त में कोरोना वायरस इन्फेक्शन (Corona virus infection) की सबसे ज्यादा मार अमेरिकी नागरिक (American citizen) झेल रहे हैं। खतरनाक हो रहे हालातों के लिए राष्ट्रपति ट्रंप (President trump) चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) को जिम्मेदार मान रहे हैं। ट्रंप के मुताबिक वायरस बनाने और उसे फैलाने में चीन की सीधी भूमिका है। हांगकांग में चीन के विस्तारवादी रवैया (Expansionist attitude) के कारण मानव अधिकारों को बेरहमी से कुचला जा रहा है। दूसरी ओर विश्व स्वास्थ्य संगठन बीजिंग (Beijing) के सीधे पर प्रभाव में है। अगर वक्त रहते विश्व स्वास्थ्य संगठन ने प्रभावी कदम उठाए होते हैं तो, ये विश्वव्यापी समस्या यूं खतरनाक ना हुई होती। ऐसे में संगठन की विश्वसनीयता संदिग्ध है।
व्हाइट हाउस में प्रेस ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए, विश्व स्वास्थ्य संगठन से संबंध तोड़ने की घोषणा की। और साथ ही चीन पर कड़े प्रतिबंध भी लगाएं। अमेरिका में काम कर रहे हैं चीनी शोधकर्ताओं (Chinese Researchers) का काम रोक कर, उन्हें अमेरिका से बाहर निकाला जाएगा। इसके साथ ही ट्रंप प्रशासन न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज और नैस्डेक (Nasdaq) में लिस्टेड उन चीनी कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा, जो अमेरिकी कानूनों का पालन नहीं कर रही। हांगकांग को पर्यटन और उद्योग में मिले विशेष अमेरिकी दर्जे को भी खत्म किया जाएगा।
इस दौरान राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा- चीन अमेरिकी हितों से खिलवाड़ करता आया है। इसके लिए पूर्व अमेरिकी नेतृत्व (Former american leadership) सीधे तौर पर जिम्मेदार है। मैं ये सब आगे नहीं होने दूंगा। रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स सीनेटरों (Republican and Democrat Senator) ने चीन के खिलाफ उठाए गए इन कदमों को बेहद मामूली बताया है। अब वक्त आ गया है चीन इंफेक्शन के मुद्दे पर दुनिया के सवालों का जवाब दे।
राष्ट्रपति ट्रंप लगातार चीन के प्रति आक्रमक फैसले ले रहे हैं। चीन के खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगाना और विश्व स्वास्थ्य संगठन को चीन का पिछलग्गू (Hanger) बताते हुए आर्थिक सहायता रोक देना। इस तरह आने वाले दिनों के लिए अमेरिका ने अपना रवैया साफ कर दिया है। ताइवान, दक्षिणी चीन सागर और हांगकांग के हालात चीनी-अमेरिकी संबंध को शीतयुद्ध (Cold war) की आग में झोंक देंगे।