नई दिल्ला (शौर्य यादव/एजेंसियां): हांगकांग में बीजिंग द्वारा मानवाधिकार का खुला उल्लंघन (Human rights violations by Beijing) और नये सुरक्षा कानून को लेकर वाशिंगटन (Washington) काफी हमलावर हो गया है। अमेरिकी हुक्मरान तकरीबन हर मंच से चीन का घेराव कर रहे है। फिलहाल दक्षिण-पूर्वी एशिया में चीन के कारण सामरिक और रणनीतिक तनाव चरम पर है। इस बीच चीन के खिल़ाफ ट्रम्प प्रशासन ने आव्रजन नियमों (Immigration rules) के तहत बड़ा फैसला लेते हुए, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (Chinese Communist Party) के किसी भी सदस्य को वीज़ा ना देने की कवायद शुरू कर दी है।
अमेरिकी प्रशासन की इस पहल का खुलासा खुद विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान किया उन्होनें कहा- चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के मौजूदा और भूतपूर्व वे सभी सदस्य जिन्होनें हांगकांग की स्वायत्ता (Autonomy of hong kong) से खिलवाड़ करने में अपना योगदान दिया है। उन पर त्वरित प्रभाव से वीजा प्रतिबंध लगाया जाता है। चीन ने 1984 में ब्रिटेन के साथ हुए संय़ुक्त घोषणापत्र के आश्वासनों, अनुशंसाओं और नियमावली (Assurances, Recommendations and Manuals of Joint Declaration) को सीधे तौर पर भंग किया है। राष्ट्रपति ट्रम्प ने उन सभी सीसीपी पदाधिकारियों (CCP Officials) के खिलाफ ज़वाबी कार्रवाई करने की बात कही थी, जिन्होनें हांगकांग में मानवाधिकारों का उल्लंघन, नागरिक स्वतन्त्रता का हनन और लोकतान्त्रिक परिवेश को खत्म करने का मसौदा तैयार किया था। मौजूदा अमेरिकी नीति इस दिशा की ओर बढ़ रही है। सीसीपी ने बीजिंग के सत्तानायकों को हांगकांग की प्रशासनिक व्यवस्था में दखल देने का अधिकार दिया। इसके साथ ही मनमाने ढंग से राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (National security law) की आड़ में लगातार हांगकांग की स्वायत्ता कम करने की कोशिशें जारी है।
लोकतन्त्र और मौलिक अधिकारों का हवाला देते हुए माइक पोंपियो ने आगे कहा- चीन पूरी तरह से ब्रिटेन के साथ हुए संयुक्त घोषणापत्र को दरकिनार कर रहा है। चीनी प्रशासन की मौजूदा कवायदें इसी ओर इशारा करती नज़र आ रही है। स्थानीय प्रशासन पर दबाव बनाकर सीसीपी लोकतंत्र समर्थकों (Democracy supporters) को जेल भिजवा रही है। इसके साथ ही बीजिंग गुपचुप तरीके से परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ रहा है। विस्तारवाद के चलते चीन ने कई अन्तर्राष्ट्रीय नियमों (International regulations) को ताक पर रखा दिया है।
नाटो देशों (NATO Countries) को खुला संदेश देते हुए उन्होनें कहा- चीन की ओर से उभर रही चुनौतियों के खिल़ाफ अटलांटिक (Atlantic) के दोनों तरफ जागरुकता फैलाते हुए काम करना, मौजूदा वक्त में हमारी प्राथमिकता है। चीन की ओर से मुनाफा कमाने वाला कारोबारी गुट हमसे तनाव कम करने की गुज़ारिश करता है। उनके मुताबिक हमें सीसीपी के उभरती आक्रामकता का पचा लेना चाहिए (Aggression should be digested)। ये सोच पूरी तरह से बेमानी है, अमेरिकी प्रशासन इसे कबूल नहीं कर सकता। आजादी और तानाशाही (Freedom and dictatorship) कभी हाथ नहीं मिला सकते।
कुल मिलाकर दक्षिण एशिया में तनाव कम होता नहीं दिख रहा। दक्षिण पूर्व और एशिया- प्रशांत (Southeast and Asia-Pacific) में अमेरिकी सैन्य दखल (US military intervention) बड़े संकट की ओर इशारा कर रहा है। ऐसे में चीन को अपनी विस्तारवाद और वर्चस्ववादी नीतियों (Expansionism and domination policies) पर लगाम कसनी होगी। नहीं तो नतीज़े बेहद गंभीर हो सकते है।